इतिहास के पन्नों में गोवा

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स्कंद पुराण के अंतर्गत सहयाद्री खंड में गोवा के लिए गोराष्ट्र तथा गोमांत शब्द का उल्लेख किया गया है, वहीं नए पाषाण युग की मानव बस्तियों के अवशेष भी गोवा में मिले हैं। गोवा का इतिहास बहुत विस्तृत है। डालते है उसपर एक नजर।

पनवेल का विकास ही मेरा लक्ष्य – प्रशांत ठाकूर

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किसी क्षेत्र विशेष के सर्वांगीण विकास में वहां के जनप्रतिनिधि का योगदान सर्वोपरि होता है। पनवेल शहर के प्रगती के पीछे वर्तमान विधायक प्रशांत ठाकूर की दूरगामी सोच और विकास के प्रति प्रतिबद्धता का बड़ा योगदान रहा। हिंदी विवेक के साथ बातचीत में उन्होंने विभिन्न मुद्दों पर अपनी राय रखी।

राजर्षि एवं शिक्षण महर्षि रामशेठ ठाकूर

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पनवेल के वर्तमान विकास एवं शिक्षण हब बनने के पीछे वहां के लोकप्रिय नेता रामशेठ ठाकूर का महत्तर योगदान है। उन्होंने अपने आप को क्षेत्र की सेवा एवं भविष्य की पीढ़ी के व्यवसायिक शिक्षण के प्रति समर्पित कर दिया है।

आत्मनिर्भर शहर नवी मुंबई – सुरेश हावरे

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किसी शहर का विकास तभी पूर्ण माना जा सकता है, जब वहां पर आम लोगों के लिए सुविधाजनक घर उपलब्ध हों। नवी मुंबई ऐसा ही शहर है, तथा इसकी सफलता के पीछे गणेश नाईक, सिडको का योगदान रहा है। नवी मुंबई में जनसामान्य की निवास सुविधा हेतु हावरे प्रापर्टीज का भी योगदान रहा है। हिंदी विवेक के साथ बातचीत के दौरान हावरे प्रापर्टीज के चेयरमैन सुरेश हावरे ने सभी प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला।

खालिस्तान षड्यंत्र का तियां पांचा

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वर्तमान परिदृश्य में, जबकि 1984 में कांग्रेस द्वारा किए गए नरसंहार को हिंदुओं द्वारा सिखों के विरुद्ध किए गए दंगे की संज्ञा दी जाती है, रॉ के विशेष सचिव पद से सेवानिवृत्त जी.बी.एस. सिद्धू की पुस्तक ‘खालिस्तान षड्यंत्र की इनसाइड स्टोरी’ उन परिस्थितियों एवं कांग्रेस की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं पर सरलता से प्रकाश डालती है।

नानक नाम जहाज चढ़े सो उतरे पार

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जब उत्तरापथ म्लेच्छ आक्रमणों के दौर में संक्रमण काल से गुजर रहा था गुरु नानक ने एक ऐसे समाज-धर्म की नींव रखी, जो संत सिपाही गुरु गोविंद सिंह से होते हुए आज भी मानव मात्र के प्रति समान भाव रखते हुए राष्ट्र-धर्म-समाज की रक्षा को अपने जीवन का आधार मानती है।

सुपर पावर : चीन का दिवास्वप्न

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चीन की खुराफातों का अंत नहीं है। अमेरिका के घटते कद के बीच वह अपने आप को ‘सुपर पावर’ समझने लगा है जबकि, चीन के अंदरूनी हालात काफी खराब हैं। तिब्बत, मंगोलिया और शिंजियांग जैसी जगहों पर अनाधिकार कब्जे के कारण कागज पर उसकी भौगोलिक स्थिति काफी सुद़ृढ़ दिखती है…

नागरिक उत्तरदायित्वों को स्पष्ट करती पुस्तक

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विश्व की हर भाषा में लोगों को मोटिवेट करने के लिए ग्रंथों की भरमार है। बहुत से लोग केवल लफ्फेबाजी करते हैं और उनकी बातें किसी ठोस कार्य का परिणाम नहीं होती। परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने अनुभवों एवं कार्यों को किसी पुस्तक के शब्दों के…

‘हिंदी विवेक’ की जयपुर यात्रा

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हिंदी विवेक परिवार हर साल अपने कर्मचारियों के लिए दो शानदार पिकनिक आयोजन करता है, जिसके अंतर्गत देश के किसी भूभाग का भौगोलिक और सांस्कृतिक अवलोकन करते हैं। जिसका उद्देश्य होता है कर्मचारियों के जैविक परिवार और कार्यस्थल के परिवार का मिलन। यदि कोई संस्था अपनी कर्मचारियों के साथ-साथ उसके…

सतत विकास हेतु वैज्ञानिक नवाचार आवश्यक

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स्वतंत्रता के पश्चात से ही भारत विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है लेकिन भारत जैसे देश को वैश्विक उपलब्धि पाने के लिए जिस तरह के प्रगति की आवश्यता है, नहीं मिल पा रही है। कारण साफ है, हमारे यहां वैज्ञानिक शोधों के अवसर काफी कम हैं तथा…

संगीत की नई पौध को सींचने वाले गुरु – पं. राजेंद्र वर्मन

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पं. राजेंद्र वर्मन ने सितार वादन की कला को घरानों की परम्परा से बाहर निकालकर नई पीढ़ी की पौध विकसित करने की दिशा में सार्थक प्रयत्न किया है। सवा पांच की ताल के उन्नायक राजेंद्र वर्मन वर्तमान समय के बेहतरीन, संवेदनशील और रचनात्मक कलाकार हैं, जो उनके रागों के गायन में प्रदर्शित होता है। आप अपनी शुद्धता एवं व्यवस्थित विकास और राग की शांति के लिए जाने जाते हैं। हिंदी विवेक को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने संगीत खासकर सितार की बारीकियों और संगीत के भविष्य को लेकर लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं उस साक्षात्कार के सम्पादित अंश:

खेलोगे, कूदोगे बनोगे नवाब

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वैसे तो भारत गांवों का देश कहा जाता है लेकिन जब खेलों की बात होती है तो हमारे सामने बड़े शहरों के खिलाड़ियों की तस्वीर ही उभरती रही है। हालांकि पिछले कुछ समय से गांवों से भी बहुत तेजी से प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। उसके प्रमुख कारणों में ग्रामीण जीवन और उनका शरीर सौष्ठव, सरकारों का बदलता दृष्टिकोण, बढ़ती बुनियादी सुविधाएं इत्यादि हैं।

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