नागरिक उत्तरदायित्वों को स्पष्ट करती पुस्तक

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विश्व की हर भाषा में लोगों को मोटिवेट करने के लिए ग्रंथों की भरमार है। बहुत से लोग केवल लफ्फेबाजी करते हैं और उनकी बातें किसी ठोस कार्य का परिणाम नहीं होती। परंतु कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने अनुभवों एवं कार्यों को किसी पुस्तक के शब्दों के…

‘हिंदी विवेक’ की जयपुर यात्रा

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हिंदी विवेक परिवार हर साल अपने कर्मचारियों के लिए दो शानदार पिकनिक आयोजन करता है, जिसके अंतर्गत देश के किसी भूभाग का भौगोलिक और सांस्कृतिक अवलोकन करते हैं। जिसका उद्देश्य होता है कर्मचारियों के जैविक परिवार और कार्यस्थल के परिवार का मिलन। यदि कोई संस्था अपनी कर्मचारियों के साथ-साथ उसके…

सतत विकास हेतु वैज्ञानिक नवाचार आवश्यक

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स्वतंत्रता के पश्चात से ही भारत विज्ञान के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है लेकिन भारत जैसे देश को वैश्विक उपलब्धि पाने के लिए जिस तरह के प्रगति की आवश्यता है, नहीं मिल पा रही है। कारण साफ है, हमारे यहां वैज्ञानिक शोधों के अवसर काफी कम हैं तथा…

संगीत की नई पौध को सींचने वाले गुरु – पं. राजेंद्र वर्मन

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पं. राजेंद्र वर्मन ने सितार वादन की कला को घरानों की परम्परा से बाहर निकालकर नई पीढ़ी की पौध विकसित करने की दिशा में सार्थक प्रयत्न किया है। सवा पांच की ताल के उन्नायक राजेंद्र वर्मन वर्तमान समय के बेहतरीन, संवेदनशील और रचनात्मक कलाकार हैं, जो उनके रागों के गायन में प्रदर्शित होता है। आप अपनी शुद्धता एवं व्यवस्थित विकास और राग की शांति के लिए जाने जाते हैं। हिंदी विवेक को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने संगीत खासकर सितार की बारीकियों और संगीत के भविष्य को लेकर लम्बी बातचीत की। प्रस्तुत हैं उस साक्षात्कार के सम्पादित अंश:

खेलोगे, कूदोगे बनोगे नवाब

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वैसे तो भारत गांवों का देश कहा जाता है लेकिन जब खेलों की बात होती है तो हमारे सामने बड़े शहरों के खिलाड़ियों की तस्वीर ही उभरती रही है। हालांकि पिछले कुछ समय से गांवों से भी बहुत तेजी से प्रतिभाएं सामने आ रही हैं। उसके प्रमुख कारणों में ग्रामीण जीवन और उनका शरीर सौष्ठव, सरकारों का बदलता दृष्टिकोण, बढ़ती बुनियादी सुविधाएं इत्यादि हैं।

दिखावा तन ढंकने से ज्यादा जरूरी है…

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भौतिक जीवन हम सब पर इतना अधिक हावी हो चुका है कि हमने शरीर ढंकने वाले वस्त्रों को भी शानोशौकत की वस्तु बना लिया है। महंगे कपड़े और उनके दुहराव से बचने की प्रवृत्ति बेमतलब का बोझ लाद रही है। आवश्यकता है कि पश्चिम के अनुकरण के नाम पर बहने की बजाय भारतीय परिवेश और मौसम के अनुकूल कपड़ों का चयन करें।

बदला नहीं बदलाव

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राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय महिलाओं के बढ़ते मजबूत कदम जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में उनके तेजी से बढ़ते प्रभाव को दर्शाते हैं। कुछ कर गुजरने का यह जज्बा राष्ट्र और समाज की प्रगति के सार्थक मोड़ों का द्योतक है। यही सच्चा नारीवाद है जो अपने पिछड़ेपन के लिए किसी वर्ग पर आरोप लगाने की बजाय अपनी प्रगति के दम पर उस रेखा को छोटा करने का प्रयास करता है।

काम करे मशीन शरीर करे जिम

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People on Treadmills
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आधुनिकता के नाम पर हम सुविधाभोगी और परजीवी होते जा रहे हैं। अपने पूर्वजों के विपरीत मेहनत करने की प्रवृत्ति से जी चुराने की वजह से हमारे शरीर में तमाम शारीरिक बीमारियां घर करती जा रही हैं और उनसे छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर हमें जिम ‘ज्वाइन’ करने की सलाह देते हैं जबकि  ज्यादातर मामलों में हम अपनी जीवन शैली में बदलाव करके शरीर फिट रख सकते हैं।

जब ब्राजील ने जर्मनी की दीवार ढहा दी 

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कान के निचले हिस्से से भी दो इंच तक की कलमों वाला यह खिलाड़ी अपनी टीम को लगभग अपने बूते पर फाइनल में लेकर आया था। वह तो लीग मैच में आयरलैंड के रोबी कीन ने पता नहीं कहां से दीवार में हल्की सी छेंद कर दी थी वरना दुनिया भर की सारी आंधियां इससे टकराकर वापस लौट जाती थीं।

भारत की बेटी जिसने एवरेस्ट विजय की

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प्रख्यात अंग्रेजी लेखक सर सलमान रुश्दी ‘मिडनाइट्स चिल्ड्रेन’ में लिखते हैं कि, तारीख और समय बहुत मायने रखते हैं।  आज भी हम इन दोनों की बात करेंगे क्योंकि तारीखों के साथ ही साथ समय भी इतिहास का हिस्सा होता है। हां, तो हम बात करते हैं। दिन और समय नोट…

मधुमक्खी से संचालित होता है प्रकृति का चक्र

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आज पांचवा विश्व मधुमक्खी दिवस है। पर्यावरण प्रणाली में मधुमक्खियों के महत्व और उनके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से हर वर्ष 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसे मनाने का प्रस्ताव स्लोवेनिया के बीकीपर्स एसोसिएशन के नेतृत्व में 20 मई 2017 को संयुक्त राष्ट्र के सम्मुख रखा गया था, जबकि…

कहानी वैक्सीन के जन्मदाता की

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2019 की शुरुआत में पूरी दुनिया एक नयी बीमारी कोविड-19 की चपेट में आ गयी थी। साल के उत्तरार्ध में लगभग हर बड़े देश और दवाओं पर अनुसंधान करने वाली कम्पनी को उपचार के तौर पर बस एक ही विकल्प दिखाई दे रहा था। सबको पता था कि इस बीमारी…

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