सीए होने की कीमत और उसके पीछे का संघर्ष कोई सीए ही बता सकता है. वर्षों तक सीए की पढ़ाई के दौरान ना तो दिवाली मना पाता है और ना ही होली. सुबह 5 बजे उठता है क्यूंकि 7 बजे कॉलेज पहुंचना होता है, कॉलेज से 10 बजे भागता है क्यूंकि उसे 10.30 बजे उसे ऑफिस पहुंचना होता है, ऑफिस से 5.30 बजे निकलना होता है क्योंकि 6.30 उसे कोचिंग पहुंचना होता है कोचिंग से से साढ़े आठ बजे निकल के 9 बजे घर पहुंचता है साढ़े 9 बजे खाना खाकर उसे 10 बजे से साढ़े ग्यारह बजे तक पढ़ना फिर बिस्तर पर जाना होता है क्यूंकि उसे 5 बजे फिर उठना है. इसी बीच में उसे कॉलेज ऑफिस कोचिंग सेल्फ स्टडी सबको निभाना होता है. सारे रिश्तेदार दोस्त शादी समारोह सब बेमानी हो जाता है, लोगों के ताने सुन सुन तपस्या कर बहुतायत में फेल होने के भी झटका ले जब वह एक दिन सीए बनकर निकलता है तो कोई एक दिन आकर कहता है की सीए साहब जरा एक आपकी चिड़िया चाहिए थी, तो कोई आपसे साल में 1000 का फीस दे रिटर्न भरा साल भर फोन कर यह बोलकर मुफ्त राय लेगा की अरे आप ही तो हमारे सीए हैं.
ये मैं अपनी बात नहीं कर रहा हर 5 में से 4 सीए की यही कहानी है. एक सीए के ज्ञान का वजन किसी को नहीं दिखता है, बहुतायत क्लाइंट दोस्त बन जाते हैं और दोस्त के बीच पैसा कैसा धंधा कैसा फिर एक नैतिक बैरियर आ जाता, बहुतायत लोग तो जब नहीं तब फोन कर छोटी से छोटी चीज पर राय मांगते हैं, उन्हें यह अहसास नहीं होता की उनके ही बात पर यदि उसे हां का मोहर लगाना हो तो भी उसे वर्षों के संचित ज्ञान और पता नहीं कितने पढ़े हुए किताबों को उस एक क्षण में प्रोसेस कर एक शब्द बोलता है “Yes”.
सरकार की तरफ से उसके सही के लिये इतनी कसावट और कसौटी कर दी गई है की गोया दस्तखत ना हुआ क्या हुआ, एक एक दस्तखत में वह अपना भविष्य दांव पर लगा रहा होता है और सामने वाला चिड़िया बोल के निकल जाता है. लोग समझते हैं की सीए टैक्स चोरी सिखाता है जबकि अनुभव यह है कि सीए ही टैक्स भरवाता है उसकी भूमिका होती है कि वह अपने ज्ञान का इस्तेमाल कर कई बार सही टैक्स भरवाता है. होंगे कुछ गलत समुद्र है यह दुनिया लेकिन इस समाज की अपनी एक कहानी दुनिया और दुश्वारियां हैं.
सीए का वित्तीय जीवन कितना कठिन होता है छोटे शहरों में यह जान लीजिये, सरकार उसको उसी से ही पैसा लेने को बोलती है जिसका उसे रिपोर्ट करना होता है, बड़ी असहज स्थिति हो जाती है जब कोई रिपोर्ट सीए अपने क्वालिफिकेशन के साथ रिपोर्ट करता है, काम से हाथ धोना पड़ता है, कई बार तो किये गए काम से ही हाथ धोना पड़ता है और कोई पैसा नहीं देता है क्यूंकि रिपोर्ट तो आपने दी नहीं. टैक्स ऑडिट का पैसा तो अगले साल मिलता है जब वह आता है.
मित्र रिश्तेदार से लगायत सब सोचते हैं की बहुत छाप रहा है तो कोई सामने से पूछता भी नहीं है कि सीए साहब कष्ट में हो क्या, सब ने Preassume कर लिया है यह की यह सबसे धनी पेशा है और इस धनी के टैग में जहां जहां पेमेंट की लिस्ट बनती है प्राथमिकता की लिस्ट में अंतिम नाम होता है अरे इनको पैसे की क्या कमी लास्ट में देंगे वैसे भी बढे अच्छे आदमी हैं अपने दोस्त हैं आदि आदि.
पेशों में बड़े आदमी का टैग ऐसा लगा है की बचपन में पढ़ी “परदा” कहानी हो गई. अन्य पेशा डॉ का तो जब तक पैसा ना दो कमरे के अंदर कम्पाउण्डर जाने नहीं देगा, वकील बिना पैसा लिए काम ही नहीं करेगा पहले पेपर पढ़ने का पैसा लेगा, काम करने का अलग लेगा, यहां तो काम आपको ही दूंगा बोलकर मुफ्त में ना जाने कितने पेपर पढ़वा और राय ले लेते हैं लोग.
इस सीए दिवस पर ऐसे सभी तपस्वी सीए मित्रों को
बधाई
, इन सब ऊपर टिप्पणियों के बाद इस बात का गर्व है की समाज में अपना एक स्थान है और विशेष पहचान है.