श्रीलंका: कल आज और कल

आज श्रीलंका की जनता ने प्रधानमंत्री का घर जला दिया, राष्ट्रपति भाग निकले जनता सड़कों पर है, घरों में पैसे नहीं, बच्चों के लिए दूध नहीं । गाड़ियों में पेट्रोल नहीं । राशन नहीं । ऐसा कैसे हो गया ?

ऐसा एक दिन में तो बिल्कुल नहीं हुआ । इसकी पटकथा लंबे समय से लिखी का रही थी । तब से जबसे श्रीलंका ने अपने बंदरगाह चीन को बेचे । तब से जब से श्रीलंका की अर्थव्यवस्था पूरी तरह पर्यटन केंद्रित हो गई । तब से जबसे कोरोना आया । तब से जबसे वहा की सरकारों ने लोगों को मुफ्त….मुफ्त…..मुफ्त संसाधन उपलब्ध कराने शुरू कर दिए ।

श्रीलंका एक छोटा देश है, मौसम के लिहाज से भी सबसे अलग । मुख्य रूप से चाय का निर्यातक पर उससे उतनी आमदनी नही होती की देश चलाया जा सके। 1990 के दशक में पूरी तरह अशांत । श्रीलंका 24 अक्तूबर 1947 को आजाद हुआ । भारत की आजादी के ठीक बाद । Ceylon ने जब अपना संविधान अंगीकार किया तब वह बन गया Democratic and Socialist Republic of Srilanka.

सरकारें आई और गई । वहां भी लोकलुभावन वादे किए गए । जातिवाद (थोड़े अलग रूप में तमिलियन एवं नॉन तमिलियन की लड़ाई चली), सरकारों ने इसके दम पर अपनी सत्ता पाई पर जब यह थ्योरी पुरानी हो गई तब freebees बांटनी शुरू की गई । धीरे धीरे लोग काम कम करने लगे, पर्यटन से होने वाली आसान आमदनी और सरकार द्वारा दी जाने वाली मुफ्त की राशि पर घर चलाने लगे । सरकारें दूसरे देशों, वर्ल्ड बैंक, आई एम एफ, एशियन डेवलपमेंट बैंक आदि से कर्ज ले कर लुटाने लगीं । बारी बारी दो पार्टियां आईं अपनी जेब भर कर गईं । आज हालात आपके सामने है ।

2011 में एक साक्षात्कार के दौरान मुझसे एक सवाल पूछा गया था कि भारत और चीन की इकोनॉमी में क्या अंतर है ? ज़ाहिर है मैं अर्थशास्त्र का छात्र नहीं हूं, इसलिए ऐसे सवाल के लिए तैयार नहीं था । फिर भी थोड़ा सोच कर मैंने जवाब दिया कि चीन की जीडीपी में वहा का लगभग हर नागरिक योगदान देता है जबकि भारत में हर परिवार से औसतन एक या दो । पता नहीं जवाब सही था या नहीं, पर अगला सवाल उससे अलग आया, शायद इंटरव्यूअर सतुष्ट था ।

आज जब भारत में सरकारें ऐसे लोकलुभावन वादे करती है और सत्ता में आती हैं तो मुझे कुछ ऐसा ही डर सताने लगता है जैसा श्रीलंका, पाकिस्तान आदि देशों में हो रहा है । पाकिस्तान में हाल ही में एक मंत्री ने बयान दिया कि आवाम को एक वक्त की चाय छोड़ देनी चाहिए क्योंकि हम जो चाय पी रहे हैं वो आयात की जाती है और हमारे पास आयात के लिए उतने पैसे (डॉलर) नहीं है ।

अभी हाल ही में आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि नौ भारतीय राज्य श्रीलंका के नक्शे कदम पर चल रहे हैं । जिनमें प्रमुख हैं Punjab, Rajasthan, Bihar, Kerala and West Bengal । इन राज्यों ने इतना ज्यादा कर्ज ले लिया है कि तुरंत प्रभाव से करेक्टिव स्टेप्स नहीं उठाए गए तो इनकी हालत श्रीलंका जैसी हो सकती है ।

अब बात श्रीलंका के भविष्य की, वहां के लोगों को अगर वास्तव में अपना बेहतर भविष्य चाहिए तो उन्हें काम करना होगा, आग लगाने से जीडीपी नहीं बढ़ेगी बल्कि नुकसान बढ़ता जाएगा । जो व्यक्ति जैसा काम कर सके उसे करना होगा। वहां के युवाओं को तत्काल सुधार के लिए दूसरे देशों में जा कर काम करना होगा जिससे वहा की अर्थव्यवस्था में लिक्विडिटी इंजेक्ट की हो सके । वहां की सरकार को तुरंत ही ब्याज दरों में कमी लानी होगी । और सबसे महत्वपूर्ण देश में शांति बहाल करनी होगी ताकि पर्यटन पुनः शुरू हो सके ।

रवि भूषण मिश्रा

 

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