सावन में दूध क्यों नहीं पीना चाहिए 

सावन में हम लोगों को अक्सर कहते हुए सुनते है कि दूध शिवलिंग पर न चढ़ा कर किसी गरीब को दे देना चाहिए भगवान को उसकी क्या जरूरत है जरूरत तो इन्सान की है उसको देना चाहिए लेकीन बहुत ही कम लोग है जिनको यह बात नही पता होगी की दूध सावन के दिनों में विष के समान होता है जिसको पीने से विभिन्न बीमारियों का डर रहता है।

इस संसार में जो विष के समान होता है देवाधिदेव महादेव उसको धारण कर लेते है और अपने भक्तों को जीवनदान देते है जैसे बेलपत्र, भांग धतूरा आदि।

आयुर्वेद के नजरिए से देखा जाए तो इस मौसम में जठराग्नि कमजोर रहती है और वात प्रकुपित रहता है। इसलिए आहार-विहार संबंधी नियमों का पालन भी जरूरी होता है। आइए, आज जानते हैं कि आयुर्वेद के अनुसार किन चीजों को सावन में खाना चाहिए और किन चीजों से बचना चाहिए।

न करें दूध दही का सेवन – आयुर्वेदिक नियमों के अनुसार सावन के महीने में दूध दही का सेवन नहीं करना चाहिए। आप सोच रहे होंगे कि भला दूध दही से क्या नुकसान हो सकता है। दरअसल, सावन में बारिश के कारण हरियाली ज्यादा होती है। मौसम परिवर्तन के कारण हरियाणा में जहरीले कीड़े-मकोड़ों की भी अधिकता होती है।

यही कारण है कि गाय या भैंस घास के साथ कई कीड़े-मकोड़ों को भी खा जाते है। इसलिए दूध हानिकारक हो जाता है। इस समय में दूध के सेवन से वात बढ़ता है, जिसके कारण बीमार होने की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए सावन में दूध नहीं पीना चाहिए।

हाँ खीर बना कर खा सकते हैं क्योंकि खीर बनाते समय दूध चावल के साथ कम से कम आधा घंटे तक उबलता रहता है जिससे सारे कीटाणु नष्ट हो जाते हैं।

 

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