हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
सर्वोच्च संवैधानिक पदों का चुनाव और विकृत राजनीति

सर्वोच्च संवैधानिक पदों का चुनाव और विकृत राजनीति

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, राजनीति, विशेष
0

देश में नये राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चयन की प्रक्रिया जारी है और इस कड़ी में राष्ट्रपति पद के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। राष्ट्रपति पद के लिए सत्तारूढ़ एनडीए की ओर से आदिवासी महिला द्रौपदी मुर्मू और विपक्ष की ओर से यशवंत सिन्हा उम्मीदवार हैं जबकि उपराष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की ओर से जगदीप धनखड़ और विपक्ष की ओर से राजस्थान की पूर्व राज्यपाल मार्गरेट अल्वा उम्मीदवार हैं।

राष्ट्रपति पद के लिए मतदान संपन्न हो चुका है लेकिन इस बीच जिस प्रकार की राजनीति और बयानबाजी देखने को मिली है वह बेहद ही शर्मनाक और विकृत मानसिकता वाली रही है। यह भी साफ हो गया है कि वर्तमान समय में देश के सभी विरोधी दल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके नेतृत्व में भाजपा को मिल रही लगातार विजय से कितने कुंठित हो गये हैं कि वह विरोध करने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

समाचार मिल रहे हैं कि राष्ट्रपति के लिए मतदान के दौरान सम्पूर्ण भारत के हर राज्य में विरोधी दलों के विधायकों ने भी द्रौपदी मुर्मू जी के पक्ष में वोटिंग की है। यह तो मतों की गिनती के बाद ही पता चलेगा कि किन विधायकों व सांसदों ने क्रॉस वोटिंग की है लेकिन फिलहाल राजनैतिक गलियारों में हलचल काफी तेज है क्योंकि चुनाव पारिणम आने के बाद देश के अंदर सभी राज्यों मे एक बार फिर नये राजनैतिक समीकरण बनेंगे । इतना तो तय है कि राष्ट्रपति के चुनाव में क्रॉस वोटिंग से कोई भी राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय दल अछूता नहीं बचा है।

लेकिन हम यहां पर यह विष्लेषण कर रहे हैं कि देश के विरोधी दल मोदी और भाजपा विरोध के नाम पर मानसिक रूप से कितना गिरते जा रहे हैं। राष्ट्रपति पद के चुनावों के दौरान उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने जिस प्रकार कि बयानबाजी की वह बहुत ही स्तरहीन और हैरान करने वाली थी। वहीं टीवी चैनलों पर जिस प्रकार से विरोधी दलों के प्रवक्ता बोल रहे थे वह भी बहुत ही हैरान करने वाला वह दुर्भाग्यपूर्ण था।

यशवंत सिन्हा ने अपने बयानों में मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली और सारी मर्यादा भूल गये । वह देशहित, सुरक्षा हित भी भूल गये। कश्मीर तो महबूबा मुफ्ती, फारूख अब्दुल्ला और जेल में बंद यासिन मलिक को देशभक्त कहा। अनुंच्छेद- 370 को वापस लाने की बात कही और असम में जाकर कहा कि वह सीएए किसी भी सूरत में नहीं लागू करने देंगे। उन्होंने कहा कि वह केंद्रीय एजेंसियो का दुरूपयोग रूकवाएंगे। यशवंत सिन्हा ने एक महिला उम्मीदवार का सम्मान भी नहीं किया और वह द्रौपदी मुर्मू जी का गूंगी गुड़िया जैसे शब्दों से अपमान करते रहे। वहीं सोशल मीडिया में वामपंथी और भाजपा विरोधी सेकुलर गैंग ने एक बेहद जहरीला अभियान चलाया । देश की न्यायपालिका में जनहित याचिकाओं का काला कारोबार करने वाले प्रशांत भूषण जैसे कुख्यात लोगों ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघचालक मोहन भागवत जी के साथ एडिटेड फोटो और उसके नीचे आपत्तिजनक कैप्शन लिखकर विकृत अभियान चलाया ।

द्रौपदी मुर्मू जी के खिलाफ जिस प्रकार अपमानजनक शब्दों का प्रयोग करते हुए विकृत व नफरत भरा अभियान चलाया गया उससे इन दलों की महिला और आदिवासी समाज के प्रति झूठी हमदर्दी की पोल खुल गयी। देश के इतिहास में यह पहली बार होने जा रहा है कि एक बेहद गरीब आदिवासी परिवार की महिला देश के सर्वोच संवैधानिक पद पर आसीन होने जा रही है और देश के परिवारवादी, जातिवादी दलों के नेताओं को यह बात पसंद नहीं आ रही है। प्रधानमंत्री नरेंद मोदी ने राष्ट्रपति पद पर एक गरीब आदिवासी महिला को लगभग पहुंचाकर एक नया इतिहास रच दिया है । द्रौपदी मुर्मू जी की विजय के पश्चात एनडीए 1.3 लाख गांवो में जश्न मनायेगा जिसके कारण भी इन दलों के हाथ पांव फूल रहे हैं।

एनडीए की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू जी को विपक्ष की ओर से “बुराई” और ”डमी“ कहने से लेकर कांग्रेस पार्टी ने उन्हें “कठपुतली” तक कहा। कांग्रेस ने कहा कि सत्तारूढ़ दल एक कमजोर राष्ट्रपति का चुनाव करना चाह रहा है । कर्नाटक से कांग्रेस विधायक एमबी पाटिल ने कहा कि भाजपा एक कमजोर राष्ट्रपति चाहती है और इसलिए भगवा पार्टी ने कभी लालकृष्ण आडवाणी को देश का राष्ट्रपति नहीं बनाया।

बिहार के लालू के लाल और बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि राष्ट्रपति भवन में मूर्ति की जरूरत नहीं है। राजद के ही प्रवक्ता ने एक बेहद शर्मनाक बयान दिया कि वह कौरव की सभा में एक और द्रौपदी का चीरहरण नहीं होने देंगे। चुनावों के दौरान सह सबसे विकृत बयान था जिसकी काफी निंदा की जा रही थी और समाज का एक बड़ा वर्ग राजद नेता के खिलाफ एससीएसटी एक्ट के तहत एफआईआर की मांग कर रहा था। यह वहीं तेजस्वी यादव हैं जब उन्हें मोदी के सामने माइक पकड़ाया गया तब उनकी आवाज अटकने लग गयी थी और वह वीडियो सोषल मीडिया में खूब वायरल हुआ और टीवी चैनलों पर भी खूब बहस व उनकी जगहंसाई हो गयी थी। कांग्रेस नेता अजय कुमार ने एक बयान में कहा कि वह भारत के एक बहुत ही बुरे दर्शन का प्रतिनिधित्व करती हैं इसलिए हमें द्रौपदी मुर्मू जी को आदिवासियों का प्रतीक नहीं बनाना चाहिए।

शर्मनाक बयानबाजी करने में बंगाल की तृणमूल कांग्रेस के नेता भी पीछे नहीं रहे। बंगाल की सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक बीरबहा हांसदा ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू आदिवासी नहीं हैं। उन्होंने कहा कि हम लोग आदिवासी हैं और हम लोग अपने धर्म की जगह सारी धर्म लिखते हैं। जबकि द्रौपदी मुर्मू ने अपने धर्म के स्थान पर हिंदू लिखा है। उनके आदिवासी होने का झूठा प्रचार किया जा रहा है। हम लोग भले ही आदिवासी हैं लेकिन सच और झूठ को समझते हैं। जबकि असलियत यह है कि यह सभी दल यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर एक ऐसे चक्रव्युह में फंसकर रह गये हैं कि वह वहां से निकल नहीं पा रहे हैं। कांग्रेस सहित सभी दल आदिवासी समाज के प्रति उनकी क्या सोच है और वह एक गरीब महिला के प्रति कैसा व्यवाहार करते हैं आदि से बेनकाब हो चुके हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार महिलाओं को सशक्त व आत्मनिर्भर बनाने के लिए एक व्यापक अभियान चला रही है। द्रौपदी जी की विजय से आदिवासी समाज भी अपने को गर्वित महसूस कर रहा है लेकिन यह सब कुछ सनतान हिंदू समाज व मजबूत हिंदू समाज विरोधी सेकुलर गैंग को रास नहीं आ रहा है। राष्ट्रपति भवन के द्वार पहली बार एक ऐसी महिला के लिए खुल रहे है जिनका बचपन साधारण चप्पल पहनकर गुजरा है। द्रौपदी मुर्मू जी का विरोध वो लोग कर रहे हैं जो लोग हमेशा महिला आरक्षण की मांग उठाते हैं अर्थात यह वही लोग है जो महिला आरक्षण के नाम पर केवल वोटबैक की नकली राजनीति करते हैं। देश के विरोधी दल न ही महिला का सम्मान करते हैं न ही उनके समाज व जाति का।

इसी प्रकार जब एनडीए ने उपराष्ट्रपति के पद पर जगदीप धनखड़ को उम्मीदवार बनाया तब विपक्ष ने स्वाभाविक रूप से उनका विरोध भी आरम्भ कर दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने एक सोशल मीडिया पर एक फोटो टवीट किया जिसमें उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और जगदीप धनखड़ जी की फोटो के नीचे लिखा कि उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार कौन ? आज का विपक्ष वैचारिक दृष्टिकोण से नीचता की पराकाष्ठा पर उतर आया है।

प्रेषक – मृत्युंजय दीक्षित

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #PMNarendra Modi#dropadimurmu #President #VicePresident #NDA #JagdeepDhankhar#YashwantSinha

हिंदी विवेक

Next Post
पुलिस का ‘कम्युनल एंगल’ ?

पुलिस का ‘कम्युनल एंगल’ ?

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0