भारतीय सेना के विमान ‘मिग-21′ को उड़ता कफन नाम भी दिया जाने लगा है क्योंकि उससे हादसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और सेना अपने होनहार पायलट खो रही है। दुर्घटनाओं के चलते अब यह कयास लगाए जा रहे हैं कि मिग-21 को सेना से बाहर कर दिया जाएगा। मिग-21 विमान ने सेना में करीब 60 साल की सेवा दी है लेकिन अब उसे भविष्य के लिए सुरक्षित रूप में नहीं देखा जा रहा है। वायु सेना के सामने समस्या यह है कि उसके पास विमानों की कमी है ऐसे में मिग-21 को रिटायर करना सही फैसला नहीं होगा। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय वायुसेना के पास मिग-21 के 4 स्क्वाड्रन मौजूद है। एक स्क्वाड्रन में करीब 16-18 विमान होते है यानी कुल करीब 60-70 विमान है। अगर एक समय में सभी को रिटायर कर दिया जाएगा तो विमानों की कमी हो जाएगी।
मिग-21 का निर्माण 1966 में रूस में हुआ है और इसे 1963 में भारतीय सेना में शामिल किया गया। भारत ने वायु सेना के लिए कुल 874 मिग-21 विमान खरीदे थे बाद में इसके कुछ अपडेटेड विमान भी शामिल किए गये लेकिन बढ़ती दुर्घटनाओं के चलते अब इस 6 दशक पुराने विमान को रिटायर करने की बात चल रही है। हालांकि इसे धीरे धीरे चरणबद्ध तरीके से रिटायर करने की बात कही जा रही है। इस साल सितंबर में इसका पहला स्क्वाड्रन रिटायर किया जाएगा और धीरे धीरे 2025 तक सभी विमानों को बाहर कर दिया जाएगा। सेना में मिग-21 की जगह तेजस MK1 और MK2 ले लेगा। सरकार की तरफ से 83 तेजस विमानों की खरीद होने वाली है जिससे वायु सेना को अत्याधुनिक बनाया जाएगा।
देश को पहला सिंगल इंजन मिग-21 सुपरसोनिक लड़ाकू विमान 1963 में मिला। इसे बाद में अपडेट किया गया और 1976 में दूसरा वर्जन मिग-21 बाइसन लांच किया गया लेकिन समय के साथ इसमें खामिया बढ़ने लगी और करीब 6 दशक में मिग-21 से सैकड़ो दुर्घटनाएं हुई जिसमें 200 पायटल को अपनी जान गवानी पड़ी। साल 2021 में मिग-21 के कुल 5 विमान दुर्घटनाग्रस्त हुए जबकि इस साल के 28 जुलाई को हुई दुर्घटना में 2 पायलटों को अपनी जान गवानी पड़ी।
भारत अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान और चीन से घिरा हुआ है ऐसे में वायु सेना को कमजोर करना एक गलत फैसला होगा और दुश्मन इसका पूरा फायदा उठा सकता है। चीन और पाकिस्तान इस ताक में हमेशा लगे हुए है कि उन्हें कोई मौका मिले और वह भारत पर हमला कर सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति और मजबूत सेना के फैसले से दोनों देश पूरी तरह से पस्त पड़े हुए है। भारत के लिए तीनों सेनाओं का महत्व है लेकिन वायु सेना का हमेशा से युद्ध में विशेष योगदान रहा है और