हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
हिंदू सनातन संस्कृति का अपमान कब तक ?

हिंदू सनातन संस्कृति का अपमान कब तक ?

by हिंदी विवेक
in विशेष, सामाजिक
0

राजनैतिक स्तर पर लगातार मिल रही विफलता से कुंठित तथाकथित नास्तिक व छद्म धर्म निरपेक्षता का पालन करने  वाले संगठनों ने अब  गोलबंद होकर सनातन हिंदू संस्कृति व आस्था के केंद्रों का अपमान करना प्रारंभ कर दिया है । हिंदू देवी – देवता, पर्व- उत्सव, विधान, आस्था के केंद्र, परिवार संस्कृति कुछ भी इनके आक्रमण से बचा नहीं है। ये आक्रमण केवल वैचारिक नहीं है वरन “सर तन से जुदा” जैसे  पैशाचिक नारों और कन्हैया लाल जैसे सामान्य नागरिक की हत्या के रूप में सड़कों पर कोहराम मचा रहा है।

झूठ फैलाया गया  है कि अशिक्षित या अर्धशिक्षित लोग ही इस प्रकार के काम करते हैं लेकिन सत्य यह है कि इन लोगों का नेतृत्व तथाकथित बुद्धिजीवि वर्ग के हाथ में  है जो जे.एन.यू. जैसे विश्वविद्यालयों से लेकर विरोधी दलों के उच्च पदों तक पर बैठा  है । इन बुद्धिजीवियों को सनातन हिंदू संस्कृति व परम्पराओं से घोर चिढ़ हे और ये  प्रतिदिन हिंदू समाज व उनके आस्था के केंद्रों को अपमानित करने के लिए नये बिंदु नये तरीके से उठा रहे हैं।

इस सप्ताह कुछ ऐसी घटनाएं प्रकाश  में आयी हैं जिनके कारण हिंदू समाज आक्रोषित है। पहली घटना है हिंदू विरोधी विश्वविद्यालय जेएनयू की, जहाँ कुलपति शांतिश्री धूलिपदी पंडित समान नागरिक संहिता को व्याख्यायित करते- करते भगवान शिव की जाति का वर्णन  करने लगीं और यही नहीं रुकीं, उन्होंने हिंदू समाज की समस्त महिलाओें को शूद्र कह दिया। अपने तथाकथित बयान में उन्होंने ब्राहमण समाज को भी नहीं छोड़ा और उसका भी अपमान किया ।जब यह विश्व विद्यालय “हम लेकर रहेंगे आजादी”  जैसे नारों से गूंज रहा था उस समय इन्हें यह सोच समझकर कुलपति बनाया गया था कि यह युवाओं के
सामने कुछ नया आदर्श  प्रस्तुत करेंगी और नये सकारात्मक विचार रखेंगी लेकिन इनके ज्ञान से समस्त हिंदू समाज स्वयं को आहत महसूस कर रहा है।

जेएनयू एक ऐसा विश्वविद्यालय है जहां हिंदू संस्कृति को अपमानित किये जाने के लिए शोध  किये जाते  हैं। कभी यहां के छात्र  विवादों के कारण सुर्खियां बटोरते हैं कभी अध्यापक  लेकिन इस बार तो स्वयं कुलपति ही विवादों के घेरे में आ गए हैं। यह विवादों  का विश्वविद्यालय है जहां रामनवमी के अवसर पर नॉनवेज खाना खाने को लेकर छात्रों के दो गुटों में विवाद हो गया था। इस विवाद व झड़प में 20 छात्र घायल हुए थे। वर्ष 2020 में 5 दिसंबर को जेएनयू कैंपस में नकाबपोश  लोगों  ने छात्रों से मारपीट की थी । वर्ष 2016 जेएनयू में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी की तीसरी बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में देश  विरोधी नारे लगाये गये थे।  यह विश्वविद्यालय पहले ही भारत तथा  हिंदू विरोधी ताकतों का अड्डा बन चुका है और अब कुलपति महोदय ने अपने बयान से आग में घी डाल दिया है।

क्या कुलपति का अध्ययन इतना परिपक्व है कि उनको  को यह नहीं पता कि हिंदू समाज का कोई भी देवी- देवता किसी भी जाति का नहीं है वह केवल और केवल लोक कल्याणकारी है। सभी हिंदू देवी -देवता भाव के भूखे हैं। भगवान शिव की महिमा का वर्णन शिव पुराण में मिलता है। भगवान शिव की महिमा वेदों में की गयी है। उपनिषदों में भी शिव जी की महिमा का वर्णन मिलता है। रूद्र हृदय, दक्षिणामूर्ति , नील रूद्र उपनिषद आदि उपनिषदों में शिव जी की महिमा का वर्णन मिलता है। किसी भी धर्म ग्रंथ में भगवान शिव की जाति का उल्लेख नहीं मिलता है।

हिंदू समाज का हर व्यक्ति वह चाहे पुरुष हो या महिला या फिर वह किसी भी जाति,वर्ग अथवा समुदाय का हो अपने आराध्य  का अपनी मान्यता अनुसार पूजन-वंदन करता है । वामपंथी विचारधारा से प्रेरित करते हैं  कि मनुस्मृति ही हिंदू सनातन संस्कृति का संविधान है जबकि यह उनकी मूर्ति है। हिंदू धर्म ग्रंथों  के अनुसार हिंदू समाज में तो कहीं भी जातिगत व्यवस्था के कारण किसी भी प्रकार के भेदभाव का उल्लेख नहीं मिलता है। हिंदू समाज में जाति कर्म के आधार पर बनाई गयी थी लेकिन अब वही वोटबैंक के आधार पर बन गई है। यही कारण है कि आज हिंदू समाज व उनकी आस्था का किसी न किसी प्रकार से अपमान किया जा रहा है।

वामपंथी बुद्धिजीवियों का बिलबिलाना स्वाभाविक  है क्योंकि आज अयोध्या में उनकी इच्छा के विपरीत भगवान राम का भव्य मंदिर बन रहा है, और काशी व मथुरा भी नई अंगड़ाई ले रहा है । वामपंथी इतिहासकारों ने अब तक जो झूठा इतिहास देश की जनता के समक्ष परोसा था उसकी अब कलई खुल रही है। इसलिए आजकल तथाकथित बुद्धिजीवी वामपंथी जो हिंदू समाज को हमेशा  जाति में बंटा
हुआ देखना चाहते हैं देवी देवताओं  की जाति को खोज कर ला रहे हैं। ये वही लोग हैं जो कभी मां काली पर आपत्तिजनक फिल्मों  और मां सरस्वती सहित देवी दुर्गा व अन्य देवियों  की आपत्तिजनक पेंटिंग को कला कहेंगे । यह वही लोग हैं जो देवी देवताओं की तस्वीरों को कभी टायलेट व व कभी महिलाओं के अंतवस़्त्रों पर लगाते हैं। देश  का जनमानस बहुत सी पुरानी बातों को बड़ी जल्दी भूल जाता है अभी  जब
यूपी विधानसभा के चुनाव चल रहे थे तब कुछ लोग हनुमान जी की जाति को भीखोज रहे थे। आगे भी वामपंथियों की इस प्रकार की खोज जारी रहेगी। अब समय आ रहा है कि हिंदू समाज के बुद्धिजीवियों, शिक्षण संस्थाओं और राजनीतिकदलों का भी बहिष्कार करे ।

हिंदू सनातन संस्कृति के अपमान करने में अब बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार जी का नाम भी शामिल हो गया है। भाजपा से गठबंधन तोड़ने के बाद जब से नीतीश ने तेजस्वी यादव के साथ सरकार बनायी है अब वह भी अपने मुस्लिम तुष्टिकरण के रंग में रंग गये हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद वह अपने मुस्लिम मंत्री इसराइल अंसारी को लेकर गया के प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह तक ले गये  जबकि इस मंदिर में गैर हिन्दुओं का प्रवेश वर्जित है। जिसके कारण समस्त हिंदू समाज आक्रोशित है और आहत महसूस कर रहा है।

हिंदू समाज व संत समाज का मानना है कि इससे मंदिर की पवित्रता को आघात पहुंचा है। इस घटना से क्षुब्ध  बिहार सिविल सोसाइटी के अध्यक्ष आचार्य चंद्र किशोर  पाराशर ने नीतीश  कुमार समेत अन्य सात के खिलाफ मुजफ्फरपुर कोर्ट में परिवाद दर्ज कराया है। उन्होंने कहा है कि नीतीश एक मुस्लिम मंत्री के साथ मंदिर में गए हैं इससे हमारा मंदिर अपवित्र हो गया है। इसलिए उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाये। हिंदू संगठनों का कहना है कि मंदिर में मसूरी का प्रवेश  एक विधर्मी कार्य था। जब यह स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि गैर हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने की मनाही है तो उन्होंने यह कैसे किया ?

इसी प्रकार तेलंगाना में हिन्दू समाज के तीव्र विरोध के बाद भी राज्य सरकार ने अपने संरक्षण में, भारी पुलिस बल तैनात करके, लगातार हिन्दू समाज का अपमान करने वाले मुनव्वर फारूकी को बुलाकर उसका शो करवाया ।  जिससे आहत होकर जब एक हिन्दू नेता ने मुनव्वर फारुकी को उसी की भाषा में उत्तर दिया तो, सर तन से जुदा गैंग सड़कों पर उतर आया और हिन्दू नेता आज जेल में है जबकि फारुकी आराम से घूम रहा है । भव्य विश्वेश्वर शिवलिंग को फ़व्वारा बताने वाले और अलग अलग चीज़ों से उसकी तुलना करने करने वाले सबा नकवी और तस्लीम रहमानी जैसे लोग मीडिया चैनल्स पर आग उगल रहे हैं ।

– मृत्युंजय दीक्षित

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

हिंदी विवेक

Next Post
धर्मांतरण षड्यंत्र का वैश्विक केंद्र वेटिकन सिटी

धर्मांतरण षड्यंत्र का वैश्विक केंद्र वेटिकन सिटी

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0