राष्ट्रवाद की प्रखर आवाज मनोज मुन्तशिर!

मनोज मुन्तशिर!
मुम्बई की विवादित दुनिया में खड़ा एक ऐसा व्यक्ति जो अब भी अपने व्यवहार में भारतीय संस्कार और हृदय में धर्म ले कर जीता है।
जिसकी कलम बाहुबली फ़िल्म में चीख कर कहती है, “स्त्री पर हाथ डालने वाले की उंगलियां नहीं काटते, काटते हैं उसका गला!”
मनोज आजकल अपने गीतों के कारण हमेशा चर्चा में रहते हैं, और अपने राष्ट्रवादी तेवर के साथ वे फिल्मी गीतकारों में सबसे ऊँचा स्थान प्राप्त कर चुके हैं।
पर आजकल मनोज लगातार कुछ लोगों के निशाने पर रहने लगे हैं। वे जब पण्डित चंद्रशेखर आजाद के लिए लिखते हैं कि “जियो तिवारी जनेवधारी…” तो भारत में रह रहे बौद्धिक तालिबानियों को मिर्ची लग जाती है। अभी दो दिन पहले जब उन्होंने अकबर के लिए गढ़े गए झूठे सम्मान के विरुद्ध बोलते हुए उसके आतंकी चरित्र की वयाख्या कर दी, तो फिर वे निशाने पर आ गए।
उन्हें गालियां दी जाने लगीं हैं,
उनका बिरोध होने लगा है।
मुझे समझ नहीं आता कि भारत में रहने वाले किसी भी व्यक्ति को अकबर या उसके खानदान का कोई भी व्यक्ति कैसे प्रिय हो सकता है?
बाबर, जहांगीर, शाहजहाँ, औरंगजेब आदि ने भारत की आम जनता को किस तरह लूटा,
किस तरह लाखों-लाख लोगों को क्रूरता के साथ मौत के घाट उतारा,
किस तरह हजारों स्त्रियों को नोचा, यह क्या बताने की चीज है? किस तरह इन लुटेरों ने हमारे मन्दिर तोड़े, मूर्तियां खण्डित की, यह कौन नहीं जानता? इतिहास के पन्ने इन क्रूर आतंकियों की कहानी चीख चीख कर बताते हैं।
और अकबर! जिसके जजिया हटाने की चर्चा तो होती है पर दुबारा जजिया लगाने की चर्चा नहीं होती, वह महान हो गया?
जिसके कारण सन 1567 ई. में महारानी फुलकुंवर के साथ चित्तौड़ की हजारों देवियों को जीवित ही अग्नि समाधि लेनी पड़ी, वह महान है? जिसने एक महीने तक चित्तौड़ के आम लोगों को लूटने, उन्हें मारने और स्त्रियों का बलात्कार करने की खुली छूट अपने बर्बर सैनिकों को दी, वह महान था? चितौड़ में अकबर के आदेश से सेना के बाद पच्चीस हजार आम नागरिकों की हत्या की गई थी।
यह कौन सा पैमाना है जो आम नागरिकों को गाजर मूली की तरह कटवाने वाले क्रूर अकबर को महान सिद्ध करता है? उसे किस तर्क के बल पर महान मान लें?
मनोज मुन्तशिर ने कोई भी ऐसी बात नहीं की, जो प्रमाणित तथ्य न हो। उन्होंने तो ऐतिहासिक सत्य बताया है। फिर वे कौन से धूर्त लोग हैं जिन्हें सत्य चुभ रहा है? भारत की दशा क्या ऐसी हो गयी है जहाँ किसी प्रतिष्ठित रचनाकार को सत्य बोलने के पहले भी सोचना पड़े? तालिबान का राज हो गया है क्या?
कुछ मूर्खों को लगता है कि उनकी टुच्ची संस्थाएं ऐसा माहौल बना देंगी कि इस देश के लोग गोरी, गजनवी, बाबर, अकबर, शाहजहाँ, औरंगजेब जैसे क्रूर आतंकी लुटेरों को महान शासक मानने लगेंगे।
इन मूर्खों को समझ नहीं आता कि अब युग बदल गया है। इनके पसारे हुए झूठ के आंचल पर अब लोग पैसा फेंकने की जगह थूकने लगे है….
अकेले मनोज ही क्यों, हर वह व्यक्ति जिसने मध्यकालीन भारत का इतिहास पढ़ा है वह कभी अकबर को महान नहीं मानेगा।
मनोज मुन्तशिर जैसे लोग

बधाई के पात्र हैं जो वे सत्य के साथ खड़े हैं ।।
और मुखर हो कर बोल रहे हैं। उनके साहस को प्रणाम।।

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