‘हार्म मिसाइल’: रूस को पीछे हटने पर कर दिया मजबूर

भारत के पास है हार्म जैसी ही खतरनाक मिसाइल “रुद्रम-1”
भारत के लोगों को युद्ध में टेक्नॉलोजी का महत्व समझना चाहिए क्योंकि विदेशी आक्रमणकारियों के द्वारा उपयोग की गई बेहतर युद्ध उपकरणों की वजह से भी भारत को एक हजार साल गुलामी में झेलने पड़े हैं । इसी शृंखला में आज बात करेंगे अमेरिका की उस हार्म मिसाइल की जिसकी वजह से यूक्रेन के अंदर खारकिव के मोर्चे पर रूस की फौज को बहुत शर्मनाक हार झेलनी पड़ी है ।
यूक्रेन में खारकिव पर करीब 5 महीने तक रूस की सेनाओं का कब्जा रहा । लेकिन 6 सितंबर को यूक्रेन की आर्मी ने काउंटर ऑपरेशन शुरू किया जिसमें रूस की सेना के पांव उखड़ गए हैं । 6 सितंबर के बाद 6 दिन के अंदर ही यूक्रेन की आर्मी ने 6,000 वर्ग किलोमीटर पर कब्जा कर लिया है हर घंटे यूक्रेन की आर्मी 21 वर्ग किलोमीटर पर दोबारा कब्जा करती चली जा रही है । रूस की सेना यूक्रेन की जमीन पर हर मिनट में ढाई किलोमीटर पीछे हट रही है !
 ‘ हार्म’ अमेरिका के द्वारा विकसित की गई एक ऐसी मिसाइल है जिसके सेंसर दुश्मन के रडार केंद्रों और एयर डिफेंस सिस्टम (वायु रक्षा कवच) से निकलने वाली गर्मी, ऊष्मा और विकिरण को ट्रैक कर लेती है । और इसके बाद ये दुश्मन के रडार सेंटर्स पर हमला करके नष्ट कर देती है । रडार एक ऐसा सिस्टम होता है जो सूक्ष्म तरंगों से ये पता लगा लेता है कि आसमान में कोई लड़ाकू विमान किस दिशा में है, कितनी ऊंचाई पर है और उसकी स्पीड कितनी है ?
यानी रडार वो कवच होता है जो आसमान से आने वाले फाइटर जेट के हमले को रोकने में सक्षम होता है । इस तरह खारकिव में रूस के रडार सेंटर नष्ट होते ही खारकिव के आसमान पर यूक्रेन की वायुसेना का कब्जा हो गया । इसके बाद यूक्रेन ने हाइमार्स रॉकेट लॉन्चर्स और लड़ाकू विमानों से रूस के सैनिक अड्डों पर बहुत भीषण बमबारी की और रूस की सेना को विचलित कर दिया
ऐसे में रूस के पास अपने Su-35 लड़ाकू विमानों का इस्तेमाल करके खारकिव के आसमान पर दोबारा कब्जा हासिल करने का विकल्प था लेकिन रूस के रडार सेंटर नष्ट हो जाने की वजह से रूस के पायलटों को ये जानकारी ही नहीं मिल सकती कि आखिर दुश्मन का हमला कहां और किस दिशा से हो रहा है । ऐसी स्थिति में रूस के 4+ जेनरेशन का ये अत्याधुनिक विमान अपनी ताकत खो बैठा और नाकाम रहा ।
अब कुछ मित्रों के मन में ये सवाल भी उठ सकता है कि आखिर रूस का मिसाइल डिफेंस सिस्टम S 400 क्यों नहीं काम किया ? ये सवाल भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत भी रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद रहा है । मिसाइल डिफेंस एक ऐसा सिस्टम होता है जो उस वक्त एक्टिव हो जाता है जब दुश्मन कोई मिसाइल लॉन्च करता है । इसमें भी रडार लगे होते हैं जो दुश्मन मिसाइल को जमीन पर गिरने से पहले हवा में ही नष्ट कर देते हैं । रूस ने जानबूझकर खारकिव के अंदर  S-400 डिफेंस सिस्टम डिप्लॉय नहीं किए थे । क्योंकि इसकी टेक्नॉलजी यूक्रेन के माध्यम से अमेरिका के हाथ लगे का खतरा था ।
हार्म मिसाइल, अमेरिका ने गुप्त रूप से यूक्रेन को पिछले महीने प्रदान की थी । उस वक्त किसी को भी ये जानकारी नहीं थी कि ये जंग में अहम भूमिका निभाएगी । हालांकी कई एक्सपर्ट्स का दावा ये भी है कि रूस ने एक रणनीति के तहत खारकिव से अपनी आर्मी खुद ही हटा ली है क्योंकि खारकिव में वैसे भी सर्दियों में बर्फ जम जाती है और वहां रूस के सैनिकों को दिक्कत आ सकती थी । हालांकी इस दावे को सिर्फ बहाने की तरह ही देखा जा सकता है । लेकिन ये बात भी तय है कि अब रूस और ज्यादा ताकत के साथ यूक्रेन पर हमला कर सकता है !
हार्म मिसाइल की ही तरह भारत ने एक और विकिरण रोधी मिसाइल विकसित की है जिसे रुद्रम 1 कहा जाता है ।  नवंबर 2020 को ओडिशा के बालासोर में भारत ने इसका सफल परीक्षण किया था । ऐसी कोई मिसाइल चीन के पास भी नहीं है । दुनिया में सिर्फ चार देशों के पास रडार सेंटर नष्ट करने वाली विकिरण रोधी मिसाइल है… पहला अमेरिका… दूसरा जर्मनी…. तीसरा रूस और चौथा भारत । आप समझ सकते हैं कि ये भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है ।
रुद्रम 1 मिसाइल को लॉन्च करने के लिए भी विशेष लड़ाकू विमानों की आवश्यकता होती है । भारत सुखोई 30 और तेजस के जरिए भी इस मिसाइल को लॉन्च कर सकता है । भारत के पास ये कैपेबिलिटी है ।
– दिलीप पाण्डेय

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