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लम्पी त्वचा रोग का प्रकोप

लम्पी त्वचा रोग का प्रकोप

by डॉ. के . एन . पाण्डे
in अक्टूबर-२०२२, विशेष, स्वास्थ्य
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देश के कई राज्य लम्पी वायरस की चपेट में हैं। हजारों गायें काल कवलित हो चुकी हैं। जानवरों को टीका लगाने का कार्य बहुत तेजी से चल रहा है लेकिन अभी भी लम्पी वायरस से होने वाला त्वचा रोग अपने उफान पर है। किसानों की आर्थिक स्थिति पर इसका काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

देश में इस वर्ष जुलाई माह के आस-पास मवेशियों खासकर गायों में लम्पी वायरस रोग की शुरुआत होने के साथ इसका प्रकोप देश के अलग-अलग हिस्सों में फैलता चला गया। लम्पी त्वचा रोग एक संक्रामक वायरल रोग है जो पशुओं में मच्छरों, मक्खियों, जुओं, ततैयों, आदि के काटने से फैलता है। यह पशुओं में संदूषित  पशु-आहार अथवा पेयजल के सेवन के माध्यम से भी फैल सकता है। इस रोग के कारण पशुओं की त्वचा पर गांठें पड़ जाती हैं, और उन्हें बुखार हो जाता है, जो इलाज नहीं कराने की स्थिति में घातक हो सकता है।

क्या है लम्पी त्वचा रोग?

विश्व जंतु स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, लम्पी त्वचा रोग की महामारी अफ्रीका के अधिकांश देशों में पाई जाती है। वर्ष 2012 से मध्य-पूर्व, दक्षिण-पूर्वी यूरोप तथा पश्चिम एवं मध्य एशिया के मार्गों से यह वायरल संक्रमण विश्व में तेजी से फैला है। वर्ष 2019 से एशिया के कई देशों में लम्पी त्वचा रोग के कई प्रकोप प्रकाश में आए हैं। यूरोपियन फूड सेफ्टी अथॉरिटी के अनुसार लम्पी त्वचा रोग पशुओं को प्रभावित करने वाला एक वायरल रोग है जिसका संचरण रक्तपान करने वाले कीटों जैसे कि मक्खियों, मच्छरों, अथवा किलनी (टिक्स) के काटने से होता है। विश्व जंतु स्वास्थ्य संगठन यानी वर्ल्ड ऑर्गेनाइजेशन फॉर एनिमल हेल्थ के अनुसार लम्पी त्वचा रोग वायरस पॉक्सविरिडी कुल और कैपरीपॉक्सवायरस जीनस का एक बड़ी तेजी से फैलने वाला वायरस है। संक्रमित मवेशियों के सम्पर्क में आए पशुओं में इस वायरस के संचरण की सम्भावना रहती है। वायरस से संक्रमित पशु का इलाज हो जाने के पश्चात वह भली-भांति संरक्षित हो जाता है और अन्य पशुओं को संक्रमित नहीं कर सकता। संक्रमित पशुओं में लक्षणों के नहीं उभरने की स्थिति में यह वायरस रक्त में कुछ सप्ताह तक बना रह सकता है और धीरे-धीरे समाप्त हो जाता है।

लक्षण

लम्पी त्वचा रोग वायरस से संक्रमित मवेशियों की त्वचा पर दो से 5 सेंटीमीटर की गांठें उभर आती हैं, तेज बुखार आता है, दूध का उत्पादन घट जाता है, वे अपनी सामान्य खुराक के अनुसार चारा नहीं खाते हैं, और आंखों से पानी गिरता है। जो पशु पहले इस संक्रमण से संक्रमित नहीं हुए हों, उनमें यह वायरल संक्रमण घातक हो सकता है। इस रोग से संक्रमित गर्भवती मादा पशुओं में भ्रूण के नष्ट होने की सम्भावना होती है।

भारत में लम्पी त्वचा रोग संक्रमण की स्थिति

इस लम्पी त्वचा रोग वायरस संक्रमण का प्रकोप भारत के गुजरात, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और आंध्र प्रदेश राज्यों में फैल चुका है और एक अनुमान के मुताबिक देश भर में अभी तक इस प्रकोप से 15 लाख से अधिक पशु प्रभावित हो चुके हैं, जिनमें लगभग 57,000 पशुओं की मृत्यु हो चुकी है। यह संक्रमण राजस्थान और गुजरात राज्यों में बड़ी तेजी से फैला है जहां अगस्त महीने में ही 3000 से अधिक पशुओं की मृत्यु इस संक्रमण से हुई है। गुजरात राज्य ने तो इस संक्रमण से प्रभावित अपने 14 जिलों में पशुओं के लाने और ले जाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। राजस्थान राज्य सरकार के अनुसार इस राज्य में अब तक लगभग 8 लाख गायें लम्पी त्वचा रोग वायरस से संक्रमित हुई हैं जिनमें कम से कम 7.5 लाख गायों का इलाज किया गया है। राजस्थान राज्य के पशुपालन विभाग के अनुसार राज्य में इस वायरल संक्रमण के कारण अब तक लगभग 35,000 पशुओं की मृत्यु हुई है।  यह संक्रमण अधिक न फैले इसके लिए मृत पशुओं का अंतिम संस्कार सुरक्षित वैज्ञानिक तरीकों से किया जा रहा है। इसी तरह महाराष्ट्र के 25 जिलों में लम्पी त्वचा रोग से लगभग 126 पशुओं की जान जा चुकी है। उत्तर प्रदेश के पश्चिमी भागों में लम्पी त्वचा रोग वायरस का संक्रमण तेजी से फेला है, जिसके कारण लगभग 200 मवेशियों की मृत्यु प्रकाश में आई है।  राज्य के अन्य भागों में इस  वायरल संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए राज्य पशु-पालन विभाग द्वारा 300 किलोमीटर लम्बा एक इम्यून बेल्ट तैयार किया जा रहा है। अभी तक उत्तर प्रदेश के 23 जिलों में यह रोग फैला है, जिनमें अलीगढ़, मुजफ्फरनगर, और सहारनपुर जिलों में इस के मामलों की संख्या बहुत अधिक है। उत्तर प्रदेश के पशु-पालन विभाग द्वारा  पशुओं को लम्पी त्वचा रोग वायरस के संक्रमण से सुरक्षित रखने के लिए हाल ही में 4,400 गोवंशीय पशुओं के टीकाकरण के साथ एक व्यापक अभियान की शुरुआत की गई है। जिसके अंतर्गत प्रतिदिन 6,500 पशुओं का टीकाकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। हालांकि, लम्पी त्वचा रोग वायरस के संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए वैक्सीनों की उपलब्धता सुनिश्चित किए जाने के पूर्ण प्रयास किए जा रहे हैं।

आर्थिक नुकसान

लम्पी त्वचा रोग वायरस के संक्रमण के प्रकोप के चलते देश में बड़ी संख्या में गोवंशीय दुधारू पशुओं के अस्वस्थ हो जाने और उनकी मृत्यु के कारण दुग्ध उत्पादन क्षेत्र को काफी घाटा उठाना पड़ा है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 210 मिलियन टन दूध का उत्पादन होता है, और विश्व के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादक देशों में इसका एक प्रमुख स्थान है। दुधारू पशुओं के लम्पी त्वचा रोग संक्रमण से ग्रस्त होने और बड़ी संख्या में उनकी मृत्यु के कारण दूध उत्पादन में कमी आई है जिससे इस कार्य से जुड़े व्यक्तियों, किसानों को काफी आर्थिक हानि उठानी पड़ी है।

लम्पी त्वचा रोग वायरस संक्रमण को रोकने की दिशा में केंद्र के प्रयास

केंद्र सरकार के मत्स्य, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा देश में लम्पी त्वचा रोग वायरस संक्रमण के बढ़ते प्रकोप को संज्ञान में लेते हुए अगस्त माह में ही इस रोग को रोकने के लिए वैक्सीनों की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए एक समीक्षा बैठक की गई। इसके अलावा राज्यों विशेषतया इस प्रकोप से अधिक प्रभावित राज्य सरकारों द्वारा इसे रोकने के उपायों को अपनाने के दिशा निर्देश जारी किए गए।  केंद्र सरकार की सलाह के अनुसार लम्पी त्वचा रोग वायरस संक्रमण की अधिकता वाले क्षेत्रों में टीकाकरण को वरीयता दी जा रही है, ताकि अन्य क्षेत्रों में इसके विस्तार को रोका जा सके। सितम्बर माह के मध्य तक लम्पी त्वचा रोग के विरुद्ध  वैक्सीन की लगभग 98 लाख खुराकें लगाई जा चुकी हैं, और इसके परिणामस्वरूप लगभग 8 लाख मवेशी इस संक्रमण से मुक्त किए गए हैं। केंद्र सरकार के अनुसार गोट पॉक्स वैक्सीन रोग के इलाज के लिए शत-प्रतिशत प्रभावी है। इस वायरल रोग का मुकाबला करने के लिए पशुपालकों और डेयरी उत्पाद से जुड़े किसानों को सलाह देने के लिए एक टोल फ्री हेल्पलाइन जारी की गई है।

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