रोगों के बदलते मापदंड

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खानपान और रहन सहन की अनियमितताओं के कारण आज विश्वभर में जीवन शैली से जुड़े रोगों ने अधिक से अधिक लोगों को अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। लोगों को इन बीमारियों से बचाने और उनके स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस…

लम्पी त्वचा रोग का प्रकोप

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देश के कई राज्य लम्पी वायरस की चपेट में हैं। हजारों गायें काल कवलित हो चुकी हैं। जानवरों को टीका लगाने का कार्य बहुत तेजी से चल रहा है लेकिन अभी भी लम्पी वायरस से होने वाला त्वचा रोग अपने उफान पर है। किसानों की आर्थिक स्थिति पर इसका काफी नकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

कोरोना के बाद मंकीपॉक्स का खतरा

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अभी दुनिया कोविड-19 के कहर से पूरी तरह उबरी नहीं है, इसी बीच कई देशों में मंकीपॉक्स के प्रकोप की घटनाएं प्रकाश में आ रही हैं। विशेष बात यह है कि उन देशों में इससे पहले मंकीपॉक्स संक्रमण की उपस्थिति नहीं थी।  दिनांक 13 मई, 2022 से विश्व स्वास्थ्य संगठन…

फिर से कोरोना की आहट

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कोरोना एक बार फिर दुनिया भर में अपने पैर पसार रहा है। एनसीआर में बहुत तेजी से कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं। चीन में लाकडाउन लगा दिया गया है जिसका प्रभाव वहां की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ना अवश्यम्भावी है। ऐसे में आवश्यक हो जाता है कि हम सब सावधानी बरतनी शुरू कर दें।

ओमिक्रॉन से लड़ने को तैयार भारत

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कोवोवैक्स वैक्सीन नोवोवैक्स की रीकांबिनैंट नैनोपार्टिकल प्रोटीन आधारित वैक्सीन है। स्वदेशी कोर्बेवैक्स वैक्सीन भी प्रोटीन आधारित है। आशा है, इस वर्ष फरवरी माह तक कोर्बेवैक्स की प्रतिमाह 100 मिलियन खुराकें बनने लग जाएंगी। यदि बूस्टर खुराक के रूप में इन दोनों वैक्सीनों के प्रयोग का निर्णय लिया जाता है तो भारत में सभी वयस्कों को बड़ी तेजी से कोविड-19 के विरुद्ध प्रतिरक्षित किया जा सकता  है।

कोरोना वायरस का चिंताजनक वैरिएंट ओमीक्रॉन

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इस ओमीक्रॉन वैरिऐंट में बड़ी संख्या में म्युटेशंस हैं जो किसी संक्रमण अथवा टीकाकरण के उपरांत विकसित उदासीनकारी यानी न्यूट्रलाइज़िंग एंटीबॉडीज़ और चिकित्सीय मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज़ का विरोध कर सकते हैं। इसके स्पाइक प्रोटीन के विभेदन स्थल के आस- पास भी म्यूटेशन के समूह देखे जाते हैं। यह स्पाइक प्रोटीन वायरस को कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है। कोरोना वायरस जितनी आसानी से कोशिकाओं में प्रवेश करते हैं उतनी ही तेजी से उनका उत्पादन भी होता है और उनकी संचारक क्षमता भी बढ़ जाती है।

ओमीक्रॉन वैरिऐंट के विरुद्ध फ़िलहाल विशेष वैक्सीन जरूरी नहीं

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विश्व में निरंतर बढ़ते कोरोनावायरस के नए ओमीक्रॉन वैरिऐंट के मामलों ने एक चिंताजनक स्थिति पैदा कर दी है। आज दुनिया के 89 से अधिक देशों में ओमीक्रॉन वैरिऐंट का प्रसार हो चुका है। और भारत में भी ओमीक्रॉन  वैरिऐंट के संक्रमण के 136 मामले प्रकाश में आ चुके हैं।…

भारत ने रचा ‘वैक्सीन इतिहास’

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भारत के कई इलाकों विशेषतः गांवों में अभी भी अधिकांश लोग टीका लगवाने के लिए सहयोग नहीं कर रहे हैं। आज ऐसे लोगों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की जरूरत है। इसके अंतर्गत ऐसे लोगों को बताने की जरूरत है कि यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है इससे मृत्यु नहीं बल्कि होने वाली मौत से बचा जा सकता है और केवल कुछ ही लोगों में एक-दो दिन हल्के-फुल्के बुखार के अलावा कोई अन्य समस्या नहीं होगी।

इंटरनेट ने बनाया हमारे दैनिक जीवन को सुगम

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माना जा रहा है कि विश्व में उपलब्ध लगभग 95% जानकारियां डिजिटल रूप में परिवर्तित कर इंटरनेट के माध्यम से जन सामान्य के लिए उपलब्ध करा दी गई हैं। इंटरनेट ने संचार विधा में संपूर्ण परिवर्तन ला दिया है, ज्ञान की उपलब्धता सुनिश्चित की है और सामाजिक स्तर पर पारस्परिक संवाद को न केवल बढ़ावा दिया है बल्कि हमारे दैनिक जीवन का एक अहम हिस्सा बन गया है। हालांकि विश्व में प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुए परिवर्तनों से जीवन में आए बदलावों की ही तरह समाज में इंटरनेट के कारण भी अनुकूल और प्रतिकूल प्रभाव पड़े हैं।

टीकाकरण में तेजी : समय की मांग

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भारत के कई इलाकों विशेषत: गांवों में अधिकांश लोग टीका लगवाने के लिए सहयोग नहीं कर रहे हैं। आज ऐसे लोगों के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने की ज़रूरत है। इसके अंतर्गत ऐसे लोगों को यह बताने की ज़रूरत है कि यह वैक्सीन पूरी तरह सुरक्षित है। इससे मृत्यु नहीं बल्कि रोग के कारण हो सकने वाली संभावित मौत से बचा जा सकता है और केवल कुछ ही लोगों में एक-दो दिन हल्के-फुल्के बुखार के अलावा कोई अन्य समस्या नहीं होगी।

 एनीमिया : एक तिहाई आबादी में गंभीर स्वास्थ्य समस्या

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एनीमिया विश्व में विशेषतया भारत जैसे विकासशील देशों में एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है। हालांकि, वास्तव में इस समस्या को रोका जा सकता है और इसका सरल इलाज भी किया जा सकता है। यह मानव जाति को प्रभावित करने वाला एक अत्यंत सामान्य रोग है जो सामान्य आबादी में बीमारी और मौत के लिए जिम्मेदार है।

सावधानी ही बचाएगी कोरोना से जान

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हम सभी लॉकडाउन के दंश से उत्पन्न सामाजिक आर्थिक एवं स्वास्थ्य संबंधी कठिनाइयों से भली भांति परिचित हैं। देश-प्रदेश में लॉकडाउन की स्थिति दोबारा ना उत्पन्न हो, इसके लिए हमें कोविड-19 से बचने के लिए सभी संभव तरीके अपनाने होंगें।

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