हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
इस नए साल में अधूरा न रहे कोई संकल्प

इस नए साल में अधूरा न रहे कोई संकल्प

by कृष्ण्मोहन झा
in विशेष, सामाजिक
0
एक और नया साल प्रारंभ हो चुका है। कुछ दिनों में साल का प्रथम सप्ताह भी समाप्त हो जायेगा। फिर एक पखवाड़ा और फिर एक महीना। जनवरी का महीना समाप्त होने में कोई ज्यादा वक्त नहीं लगता। हर नए साल का पहला महीना नए साल का जश्न मनाने में ही बीत जाता है और जब नए साल के दूसरे महीने की शुरुआत होती है तब तक नया साल पुराना लगने लगता है और जिंदगी फिर अपने पुराने ढर्रे पर चलने लगती है। अधिसंख्य लोगों के जीवन में यह सिलसिला यूं ही चलता रहता है। ऐसे लोग नए साल के लिए जो संकल्प लेते हैं वे संकल्प ज्यादा दिन नहीं टिक पाते।
कुछ लोगों के संकल्प तो साल के पहले दिन ही टूट जाते हैं। कुछ लोग दस पंद्रह दिन तक अपने संकल्प याद रखते हैं फिर जानबूझकर भूल जाते हैं । कुछ ऐसे लोग भी होते हैं कि नया संकल्प लेने के लिए फिर न ए साल का इंतजार करने लगते हैं। ऐसे लोगों के जीवन में साल तो बदलता है लेकिन साल बदलने से और कुछ नहीं बदलता। ऐसे लोगों की बस यही शिकायत रहती है कि उनका तो समय ही खराब चल रहा है। वे न तो समय के साथ चलते हैं,न ही समय के साथ खुद को बदलना चाहते हैं। वे एक पल के लिए भी यह सोचने के लिए तैयार नहीं होते कि जो लोग समय के साथ चलकर और खुद को बदल कर सफलता की सीढ़ियां चढ़ जाते हैं उनके लिए भी हर सप्ताह में सात दिन और हर दिन में 24 घंटे होते हैं। उनका तो एक ही तर्क होता है कि समय ने हमारा भी साथ दिया होता तो हम भी जाने कहां के पहुंच चुके होते।
हां, उनके मुंह से यह गर्वोक्ति हमेशा सुनी जा सकती कि ‘हमारा समय आने दो फिर देखना हम क्या करते हैं।’ अर्थात् वे जिन हालातों से गुजर रहे हैं उनके लिए केवल समय जिम्मेदार है। उनकी खुद की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती। काश, ऐसे लोग अपने हालातों के लिए समय को जिम्मेदार ठहराने के बजाय एक बार भी अपने अंदर झांक कर देखना पसंद नहीं करते। इसलिए दिन, महीने और साल बदलने के साथ वे जहां के तहां रहते हैं। ऐसे लोग के जीवन में नया साल कभी नहीं आता । काश, वे इस कड़वी हकीकत का अहसास कर पाते कि समय न तो किसी के लिए नहीं रुकता, न ही खुद चलकर किसी के पास आता है बल्कि हमें ही समय के साथ चलना पड़ता है। जो लोग इस सच्चाई को समझ लेते हैं समय उनका साथ देता है। सीधी सी बात है कि हम समय के साथ चलेंगे तो समय भी हमारा साथ देगा।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: 2023new yearnew year resolution

कृष्ण्मोहन झा

Next Post
लोकमानस में श्रेष्ठता वाणी से नहीं आचरण से आती है

लोकमानस में श्रेष्ठता वाणी से नहीं आचरण से आती है

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0