वैश्विक राजनीति के चाणक्य

कमजोर राष्ट्र की छवि से बाहर निकलते हुए भारत ने सम्पूर्ण विश्व के राष्ट्रों के बीच अपनी मजबूत और प्रणेता राष्ट्र की छवि बनाई है। इसके पीछे निश्चित ही भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की दूरगामी सोच उत्तरदायी है। चाहे रूस-यूक्रेन युद्ध हो या कोविड संकट के दौरान विश्व के हर कोने में वैक्सीन पहुंचाना, उन्होंने अपनी मजबूत छवि से समूचे विश्व को अपना कायल कर दिया।

अपने राष्ट्र को आत्मनिर्भर तथा विश्वगुरु बनाने के लिए पिछले कुछ वर्षों में निश्चित तौर पर हमने वैश्विक से लेकर स्थानीय स्तर तक कई प्रयास किये हैं। सामाजिक, आर्थिक तथा सुरक्षा के क्षेत्रों में हमने विगत पचहत्तर वर्षों में कई चुनौतियों का सामना किया, समाधान भी खोजे, आगे भी बढ़े, किंतु अंतरराष्ट्रीय राजनीति तथा कूटनीति के क्षेत्र में विगत वर्षों में हम अपनी पहचान तीसरी दुनिया के एक देश के रूप में ही बना पाए थे। अपने आप को गुट निरपेक्ष देश कहने वाले हम अपने तत्कालीन राज नायकों की वैयक्तिक तथा वैचारिक झुकाव की वजह से स्वतंत्रता के बाद से ही सोवियत रूस के खेमे की छाया में खड़े दिखाई पड़ते रहे। इसकी वजह से हमें कई कूटनीतिक नुकसानों का सामना भी करना पड़ा। किन्तु विगत सात वर्षों में, न सिर्फ हमारी ये छवि अंतरराष्ट्रीय पटल पर बदली, हमने एक नयी पहचान के साथ अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सम्बंधों के मंच पर कदम रखा। आज यूक्रेन-रूस संकट में अमेरिका, रूस, यूक्रेन तथा अन्य देश भारत से मध्यस्थता करने की मनुहार कर रहे हैं। भारत की बहुत बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि है। और निश्चित तौर पर इसका श्रेय हमारे प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को जाता है। अपनी विशिष्ट शैली और सुदृढ़ इरादों से उन्होंने भारतीय विदेश नीति के इतिहास में एक स्वर्णिम अध्याय जोड़ा है।

भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई कूटनीतिक उपलब्धियां रही हैं। मोदी  की अमेरिका यात्रा के बाद ये स्पष्ट हो गया कि चाहे तालिबान जैसी आतंकी शक्तियां हों या इन्हें बढ़ावा देने वाला पाकिस्तान, या इन सबके पीछे खड़ा, पूरी दुनिया की शांति और सुरक्षा को चुनौती देता चीन, आज न सिर्फ भारत इन सबके प्रति मुखर है, एक राष्ट्र के रूप में वह ऐसी तमाम नकारात्मक शक्तियों से निबटने हेतु दृढ निश्चय है, और आज वह अकेला नहीं है। उसके साथ अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया क्वाड के मजबूत संगठन के रूप में, और यूरोपीय, लैटिन अमेरिकी तथा अन्य देश भी खड़े हैं। चाहे आतंकवाद से लड़ाई हो, या कोविड जैसी महामारियों से प्रभावी तरीके से निबटने के लिए वैश्विक प्रयास या सभी की साझा आर्थिक प्रगति हो या पर्यावरण सुरक्षा की बात, भारत हर महत्वपूर्ण वैश्विक लक्ष्य की प्राप्ति का प्रणेता बन चुका है।

जब पूरा विश्व कोविड के खतरे से जूझ रहा था, चीन अपनी हरकतों से बाज न आते हुए भारत और समूचे विश्व की सुरक्षा और शांति के लिए चुनौतियां उत्पन्न कर रहा था। इन्हीं चुनौतियों और खतरों से निबटने के लिए क्वाड यानी क्वाड्रीलेटरल सिक्योरिटी डायलाग के माध्यम से भारत ने चीन के विस्तारवादी षड्यंत्रों को नाकाम करने का सफल प्रयास भी किया, और इसमें मोदी जी ने अग्रणी भूमिका निभाई। क्वाड के अन्य सदस्य देशों, आस्ट्रेलिया, जापान तथा अमेरिका ने अपने वार्तालापों तथा बैठकों में न सिर्फ चीन के आक्रामक तथा कब्जा करने के रवैये की भर्त्सना की, साथ ही स्वतंत्र और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र की सामूहिक दृष्टि के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई। इस सब में भारत ने न सिर्फ कूटनीतिक सफलता अर्जित की, चीन तथा पाकिस्तान जैसे देशों को यह स्पष्ट संदेश दिया कि भारत के साथ आज अन्य शक्तिवान राष्ट्र भी खड़े हैं।

पर्यावरण संरक्षण के मुद्दे पर भी भारत पेरिस समझौते और सीओपी के सदस्य के रूप में अग्रणी भूमिका निभाता नजर आया। हाल में हुए ग्लासगो सीओपी 26 सम्मलेन में भारत ने जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए किये जा रहे वैश्विक प्रयासों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।

कोविड के काले कालखंड के दौरान भी भारत की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई कूटनीतिक उपलब्धियां रही हैं। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने ब्राजील, अमेरिका और ब्रिटेन जैसे देशों से लेकर नेपाल और बांग्लादेश तक, सत्तर से अधिक देशों को भारत निर्मित कोविड के वैक्सीन भेजे और ‘वैक्सीन डिप्लोमेसी’ का एक नया अध्याय अंतरराष्ट्रीय राजनीति के लिए प्रारम्भ किया।

आज जो भारत की छवि वैश्विक पटल पर एक तीसरी दुनिया के देश से बदलकर शक्तिशाली देश के रूप में उभरी है, यह भी मानना होगा कि वर्तमान प्रधान मंत्री का इसमें बड़ा योगदान रहा है। उन्होंने विश्व राजनीति में भारत की छवि मजबूत करने और अपनी बातें विश्व मंच पर रखने हेतु एक गतिशील पहल की। वे फ्रांस गए और सामरिक मुद्दों पर भारत और फ्रांस के बीच नए मजबूत सम्बंधों की नींव रखी। ब्राजील गए तो वहां के लोगों और राष्ट्रपति के साथ ऐसे सहज होकर घुल मिल गए कि वर्षों से ठंडे पड़े सम्बंधों ने वहां भी एक नयी करवट ली। लैटिन अमेरिका में भारत के साथ अन्य लैटिन अमेरिकी देशों के साथ भी मोदी जी के माध्यम से बेहतर होते सम्बंध स्पष्ट दिखाई पड़ते हैं। उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के साथ भी सम्बंधों में न सिर्फ एक नया सकारात्मक अध्याय जोड़ा, अपनी सशक्त किंतु मैत्रीपूर्व छवि से ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री मॉरिसन के साथ ऐसे सहज सम्बंध स्थापित किये कि प्रधान मंत्री मॉरिसन का समोसा प्रेम ट्विटर के माध्यम से पूरे विश्व तक पहुंचा।

अमेरिका से मोदी जी के चलते सकारात्मक सम्बंधों का एक नया युग प्रारम्भ होता दिखाई पड़ता है। चाहे भारतीय योग हो या व्यंजन या सिनेमा या उच्च शिक्षित प्रवासी भारतीयों का समुदाय, अमेरिका में भारत का प्रभाव स्पष्ट दिखाई पड़ता है। अंतरराष्ट्रीय राजनीति में यह अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि कही जा सकती है।

जापान और कोरिया जैसे देशों के साथ भी मोदी ने सम्बंधों को नयी गति प्रदान करने का प्रयास किया है। सुदूर पूर्व हो या पश्चिम, खाड़ी देश हों या लैटिन अमेरिका या ऑस्ट्रेलिया या न्यूजीलैंड, प्रधान मंत्री ने भारत के साथ विभिन्न देशों के सम्बंध सशक्त करने के प्रयास किये हैं। आज पूरे विश्व में भारत की सॉफ्ट पावर का सकारात्मक असर स्पष्ट दिखाई पड़ता है। अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन, रूस, जापान और कनाडा जैसे देशों के साथ बढ़िया सम्बंधों का प्रभाव चीन और पाकिस्तान जैसे शत्रुता का भाव रखने वाले देशों की हरकतों को रोकने में निश्चित ही महत्वपूर्ण सिद्ध होगा।

आज भारत की छवि एक सहज, मिलनसार किंतु शक्तिवान राष्ट्र की बनी है। भारत ने विभिन्न वैश्विक राजनयिकों के साथ मित्रता के नए सोपान गढ़े हैं, तो वहीं पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के समक्ष एक कठोर छवि प्रस्तुत करते हुए स्पष्ट संदेश दिए कि भारत की सुरक्षा पर किसी प्रकार का प्रहार सहन नहीं किया जाएगा। सर्जिकल स्ट्राइक के माध्यम से पाकिस्तान जैसे देशों को यह स्पष्ट संदेश दे दिया गया है कि भारत न अब किसी के दबाव में आकर आतंकवाद बर्दाश्त करेगा, न पीछे हटेगा।

वैश्विक स्तर पर बेहतर छवि और सम्बंधों के साथ निश्चित ही हम आत्मनिर्भर बनने के तत्कालीन और दूरगामी उद्देश्यों की पूर्ति कर पाने में सक्षम होंगे, और इसके लिए मोदी निरंतर प्रयास कर रहे हैं। जी 20 के नए अध्यक्ष देश के रूप में उनके नेतृत्व में न सिर्फ भारत ने समावेशी लक्ष्य पूरी दुनिया के सामने रखे हैं, बल्कि उन्होंने इन लक्ष्यों को जी 20 के माध्यम से विकसित करने के साथ विकासशील देशों से भी सीधे जोड़ा है। वे एक ऐसे प्रणेता के रूप में नजर आते हैं जिनकी वजह से भारत के विश्व के साथ अंतरराष्ट्रीय सम्बंधों का नया अध्याय प्रारम्भ हुआ है जो निश्चित ही भारत और पूरे विश्व की प्रगति में मील का पत्थर साबित होगा।

– अंशु जोशी 

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