पाकिस्तान में मुसलमान मस्जिदें क्यों तोड़ रहे हैं ?

पाकिस्तान के कराची के सदर इलाके की एक मस्जिद की मीनारों को तहरीक-ए-लब्बैक के कार्यकर्ताओं ने तोड़ डाला । साल 2022 में पाकिस्तान के गुजरावालां में भी एक मस्जिद को पाकिस्तान की पुलिस ने खड़े होकर तोड़वाया इसके अलावा पिछले महीने यानी दिसंबर में कराची में ही एक जमातखाने को तोड़ डाला गया था । अब बड़ी बात ये है कि ये सारी मस्जिदें आखिर क्यों तोड़ी जा रही हैं ? और हैरानी की बात ये है कि मस्जिदों को तोड़ने वाले भी मुसलमान ही हैं ।

दरअसल ये पाकिस्तान की अहमदिया मस्जिदें हैं जिनको तोड़ा जा रहा है । दरअसल अहमदिया मुसलमान, इस्लाम के 72 फिरकों में से ही एक है लेकिन मुसलमानों का सु्न्नी फिरका अहमदियों को मुसलमान मानता ही नहीं है क्योंकि इस्लाम का ये सिद्धांत है मुहम्मद ही आखिरी पैगंबर है । लेकिन अहमदिया मुसलमान ये मानते हैं कि मिर्जा गुलाम अहमद उनके पैगंबर हैं.. अहमदिया मुहम्मद को पैगंबर तो मानता है लेकिन आखिरी नहीं मानता है बस यही वजह है कि सुन्नी मुसलमान अहमदियों से बहुत जबरदस्त नफरत करते हैं ।

1974 में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे जुल्फिकार अली भुट्टो ने एक कानून बनाकर अहमदिया को गैर मुसलमान करार दिया था बाद में 1989 पाकिस्तान के सैनिक तनाशाह जिया उल हक ने ये नियम बनाया कि कोई भी अहमदिया खुद को ना तो मुसलमान कहेगा और ना ही वो अपने अकीदे का सार्वजनिक प्रदर्शन करेगा ।

1889 ईस्वी में मिर्जा गुलाम अहमद का जन्म पंजाब के गुरदासपुर के कादियानी इलाके में हुआ था । इन्होंने खुद को मसीहा घोषित करते हुए कहा कि मेरा इंतजार तो यहूदी और ईसाई भी कर रहे थे । इन्होंने खुद को मसीहा घोषित कर दिया और इनको मानने वाले ही अहमदिया मुसलमान कहलाए जाने लगे । जब पाकिस्तान बन रहा था तो अहमदिया मुसलमानों ने भी हिंदुओं की गर्दनें काटने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी थी लेकिन अब कादियानी या अहमदिया मुसमलान पाकिस्तान में एक पीड़ित समुदाय के रूप में ही माना जाता है ।

पाकिस्तान की हालत दिन पर दिन बदतर होती जा रही है लेकिन इसके बाद भी पाकिस्तान के अंदर जिहादी आंदोलन चल रहे हैं । तहरीके लब्बैक के लीडर साद रिजवी ने पाकिस्तान के लोगों से अपील की है कि तुम लोग भीख मत मांगो बल्कि एक हाथ में कुरान और दूसरे हाथ में एटम बम का बॉक्स लेकर जाओ और ऐटमी हमले की धमकी दो तो देखो सारी दुनिया की नेमतें तुम्हारे कदमों में होंगी ।

ठीक इसी तरह साद रिजवी के पिता खादिम रिजवी ने भी कहा था कि कर्जा से मुक्ति पाने का फॉर्मूला यही है कि जो कर्जा मांगने आए उसको जूते मारकर भगो दो उसको गोरी मिसाइल और गजनबी मिसाइल दिखाओ… इस तरह के सनकी मौलानाओं के पीछे पाकिस्तान की करोड़ों की जमात चल रही है।

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