वसई में लैंड जिहाद विरुद्ध सकल हिन्दू समाज का जन आक्रोश मोर्चा

सकल हिंदू समाज वसई विरार द्वारा आयोजित जन आक्रोश मोर्चा 23 फरवरी को वसई पश्चिम स्थित सनसिटी मैदान में निकाला गया यह मोर्चा किसी समाज या धर्म के विरुद्ध नहीं बल्कि जिहादी मानसिकता वालों द्वारा देशभर में चलाए जा रहे जिहाद के विरुद्ध था. इस जन आक्रोश मोर्चा निकालने के पीछे की हकीकत यह है की जहा आज दफन भूमि का निर्माण हो रहा इसी जगह 10 साल पहले तालुका के नागरीको के टैक्स से करोड़ों रुपए से दफन भूमि का निर्माण किया गया था.

इस निर्माण को लेकर एक जागरूक नागरिक ने माननीय उच्च न्यालय में याचिका दायर की थी. इस याचिका को लेकर माननीय मुंबई उच्च न्यालय ने चीफ सेक्रेटरी और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दिनांक 16 सितंबर 2013 को आदेश जारी करते हुए राज्य सरकार को इस विषय का निर्णय लेने का निर्देश दिया था कि क्या वे केंद्र सरकार द्वारा तैयार किए गए वेटलैंड एटलस को अपनाने का प्रस्ताव रखते हैं और क्या वे वेटलैंड के नियमों के तहत महाराष्ट्र राज्य के लिए वेटलैंड एटलस के संबंध में संक्षिप्त दस्तावेज तैयार करना चाहेंगे? लेकिन इस आदेश के बारे में कोई जवाब राज्य सरकार ने नही दिया था इसलिए माननीय उच्च न्यायालय ने दिनांक 14 अक्टूबर 2013 आदेश जारी कर निर्माण को तोड़ने का निर्देश दिया था साथ ही स्पष्ट शब्दों में बताया गया था की इस जगह किसी भी प्रकार का निर्माण माननीय उच्च न्यायालय को पूछे बिना नहीं होना चाहिए इस तरह के निर्देश महानगरपालिका और जिला परिषद को दिए जाए माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के बावजूद इस जगह हो रहे निर्माण को रोकने के लिए हिंदू समाज महानगरपालिका को विनती कर रहे थे

लेकिन मनपा प्रशासन कुंभकर्ण की नींद में सोई थी इसलिए 17 फरवरी को सकल हिंदू समाज ने वसई विरार महानगरपालिका को लिखित निवेदन द्वारा अवगत कराया गया था की सकल हिंदू समाज इस दफन भूमि के विरोध में 26 फरवरी को जन आक्रोश मोर्चा निकलेगा. तब जाकर मनपा प्रशासन ने 24 फरवरी को सकल हिंदु समाज के प्रतिनिधि और मनपा अधिकारियों के बीच एक बैठक बुलाई. इस बैठक में सकल हिंदू समाज की ओर से बताया की जिस जगह दफन भूमि का निर्माण किया जा रहा है वह जगह मनपा द्वारा प्रस्तावित दफन भूमि की सूची में इस जगह का उल्लेख नहीं है, यह जगह वेटलैंड होने के नाते पर्यावरण विभाग को इस जगह पर बांधकाम करने के लिए ना हरकत दाखला देने का अधिकार नहीं है, इसलिए इस मामले को लेकर एनजीटी में याचिका दायर की गई है और इसकी सुनवाई 31 मार्च को होने जा रही है तब तक इस निर्माण को रोका जाए इसी प्रकार माननीय उच्च न्यायालय द्वारा 14 अक्टूबर 2013 के आदेश के मुताबिक वेटलैंड जमीन पर बिना न्यायालय की मंजूरी के बांधकाम नहीं किया जा सकता. इन सवालों का जवाब मांगा गया था. इसके जवाब में मनपा प्रशासन के अधिकारियों ने अपने बचाव में बाकी के सवालों का जवाब दिया लेकिन माननीय न्यायालय के आदेश के संदर्भ में किसी भी प्रकार का स्पष्टीकरण नही दिया है इसे यह स्पष्ट होता है की मनपा अधिकारी किसी के दबाव में आकर हिंदू बहुल क्षेत्र में दफन भूमि का निर्माण कर लैंड जिहादियों का समर्थन करने का काम कर रहे है इस लिए आज के जन आक्रोश मोर्चा में उपस्थित सभी हिंदुत्ववादी संगठनों की एक ही मांग इस जगह दफन भूमि का निर्माण कतई नहीं सहेगा हिंदू और इस निर्माण पर जल्द से जल्द कारवाई की जाए अन्यथा आज जो आक्रोश देखने को मिला है इससे ज्याद उग्र आंदोलन हिन्दू समाज सड़कों पर उतर कर करेगा।

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