मोदी युग : पूर्वोत्तर में कमल का कमाल..!

पूर्वोत्तर में भाजपा का ‘कमल’ खिल चुका है। देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र के आठ में से सात प्रदेशों मिजोरम को छोड़कर ( अरुणाचल प्रदेश ,असम, सिक्किम, मणिपुर, त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय में भाजपा का सत्ता प्रवेश अपने आप में एक नई इबारत के रुप में उभर रहा है। इन के चुनावी परिणामों में देश के सीमाई क्षेत्रों से जुड़े हुए – नागालैंड, त्रिपुरा व मेघालय में भाजपा अपने सहयोगी दलों के साथ सरकार बनाने जा रही है। इसे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता का जादू कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। सत्ता में आते ही मोदी ने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की ठण्डे बस्ते में पड़ी हुई ‘लुक ईस्ट नीति’ को ‘एक्ट ईस्ट नीति’में परिवर्तित किया । और फिर पूर्वोत्तर के विकास अभियान में जुट गई।
2014 से 2024 के अपने विजय दशक की ओर बढ़ रही भाजपा की पूर्वोत्तर विजय के मायने बहुत अलग हैं। ये राज्य चीन की सीमा से लगने के कारण संवेदनशील हैं। और यहां भारत विरोधी षड्यंत्रों, सरकारों द्वारा की जाने वाली उपेक्षाओं ने इन राज्यों के जनमानस के मन में केन्द्र के प्रति नाराजगी – असंतोष को जन्म दिया था। लेकिन मोदी ने पूर्वोत्तर के लिए ‘रिवर्स गियर’ में चलने वाली गाड़ी का ‘गियर’ विकास में बदला। और फिर गाड़ी दौड़ने लग गई।
मोदी नेतृत्व वाली भाजपा ने समय के साथ ही अपने पुराने कीर्तिमानों को तोड़कर निरन्तर नई लकीर खींची है। भाजपा की इस चुनावी फतह के कई सारे मायने समझ आ रहे हैं। लोकसभा एवं राज्यसभा में कम सीटों के कारण पूर्वोत्तर के प्रायः उपेक्षा की जाती रही है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपनी राजनैतिक पारी में – पूर्वोत्तर को विशेष महत्व दिया है। उन्होंने राजनैतिक मिथकों को तोड़ा है। और पूर्वोत्तर के लिए अपने दिल खोलकर विकास योजनाओं की सौगातें दी हैं।
पीएम मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने नित निरन्तर शेष भारत के जैसे ही पूर्वोत्तर को विशेष वरीयता दी है। सड़कें, शिक्षा, रेल ,खेल, स्वास्थ्य सुविधाएं , प्रधानमंत्री आवास, जन धन योजना सहित केन्द्र सरकार की समस्त योजनाओं का क्रियान्वयन व जनजातीय समाज के उत्थान के लिए अनेकानेक प्रयासों ने लोगों के दिलों में अपनी एक खास जगह बनाई। खेलकूद में पूर्वोत्तर के राज्यों की प्रतिभाओं ने राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर अनेकानेक ‘मेडल’ लाए और वहां की ‘खेल संस्कृति ‘ को विशिष्ट पहचान भी मिली।
कौशल, खेल, शिक्षा – नवाचार के इन सभी प्रयासों ने ‘पूर्वोत्तर’ में विकास की मोदी लहर का अनुभव भी किया । और दिल भी जीता।इतना ही नहीं राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर पूर्वोत्तर की विशिष्ट संस्कृति एवं परम्पराओं के ‘ब्राण्ड एम्बेसडर’ के रूप में स्वयं प्रधानमंत्री मोदी नजर आए हैं। स्वतन्त्रता दिवस, गणतन्त्र दिवस के समारोहों एवं अन्य अवसरों पर प्रधानमंत्री मोदी ने – जनजातीय समाज की संस्कृति, अनूठी परम्पराओं, वेशभूषा के साथ साथ – स्वतन्त्रता आन्दोलन में पूर्वोत्तर के महत्व को भी रेखांकित किया है। उन्होंने पूर्वोत्तर के शिवाजी कहे जाने वाले – वीर अहोम लचित बारफूकन , रानी गाइदिन्ल्यू सहित समस्त क्रांतिकारियों का बारम्बार उल्लेख किया है। और उनके योगदान से देश – विदेश को परिचित करवाया है।
पिछले वर्ष शत प्रतिशत केन्द्र सरकार के व्यय वाली अति महत्वाकांक्षी योजना ‘पीएम डिवाइन’ को भी अक्टूबर 2022 में अमली जामा पहनाया था।पूर्वोत्तर के विकास वाली इस ‘पीएम डिवाइन’ योजना का बजट 6600 करोड़ रुपये का है। यह योजना पूर्वोत्तर में विकास के रंग भरने वाली है। साथ ही नागालैंड में ‘नागा संघर्ष’ गतिरोध पर शांतिपूर्ण वार्ता कर शांति स्थापना में भी अपेक्षित सफलता पाई है। और अपना विश्वास भी जगाने में सफल हुए हैं। वहीं केन्द्र की भाजपा सरकार ने पूर्वोत्तर के विकास के लिए समर्पित मन्त्रिमण्डल को विकास के अभियान में लगा दिया था। मेघालय असम के पचास वर्ष सीमा विवाद को भी हल करने में भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व ने राज्य सरकारों के साथ मिलकर सफलता पाई है। तो पूर्वोत्तर में बांग्लादेश, म्यांमार से होने वाली घुसपैठ व उसके कारण जनसांख्यिकी असंतुलन में स्थानीय रहवासियों में जन जागरण किया है। इसके साथ ही केन्द्र सरकार ने विषय विशेषज्ञों की सलाह के साथ पूर्वोत्तर के राज्यों की विशिष्टताओं को ध्यान में रखकर – वहां उद्योगों, रोजगार के अवसर सृजित करने के कार्यों को धरातल पर उतारा है। तो असम के मुख्यमंत्री हेमंत विश्वा सरमा पूर्वोत्तर से एक ‘फाॅयर ब्राॅण्ड’ नेता के रूप में उभार में आए हैं। वे अपनी बेबाकी और जनसेवा के लिए बेहद मुखर दिखते हैं। बात यह भी है कि – पूर्वोत्तर में भाजपा के विजय रथ के चलते ही राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया में ‘पूर्वोत्तर के राज्य ‘ अब सुर्खियों में बने ही रहते हैं। यह सुखद संकेत माने जाने चाहिए कि – पूर्वोत्तर अब एक साथ कदमताल करने लगा है।
वहीं यदि चुनावी सन्दर्भ से हटकर बात की जाए तो पूर्वोत्तर को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नीतियों में – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विचार दर्शन की झलक स्पष्ट नज़र आती है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं उससे जुड़े हुए अनुसांगिक संगठनों ने सदैव ही ‘अन्तर राज्य भ्रमण ‘ व वेश-भूषा , भाषा, बोली , परम्पराओं एवं संस्कृति की विविधता में एकता के दर्शन को लेकर निरन्तर कार्य किया है। और संघ की शुरू से मान्यता रही है कि – विकास सब तक – सर्वसमावेशी – सर्वस्पर्शी एवं सर्वसुलभ होना चाहिए। अपने इसी ध्येम को लेकर संघ ने पूर्वोत्तर की विशिष्ट संस्कृति, परम्पराओं एवं वहां के जनजातीय समाज के उत्थान कल्याण के लिए सतत् कार्य किया है। वहीं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् द्वारा भारतवर्ष के विभिन्न राज्यों की संस्कृति का अनुभव करने के उद्देश्य से सन् 1965 से अनवरत ‘SEIL’ — Student Experience in Inter-State Living अभियान चलाया जाता रहा है।
तो वहीं संघ ने पूर्वोत्तर की विशिष्ट संस्कृति, परम्पराओं एवं वहां के जनजातीय समाज के उत्थान कल्याण के लिए सतत् कार्य किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने प्रचारक जीवन में जो अनुभूत किया , उसे उन्होंने अपनी नीतियों का मन्त्र बनाया और फिर पूर्वोत्तर की विकास के राह पर निकल पड़े। केन्द्र सरकार की नीतियों – योजनाओं को लेकर समदर्शी – समावेशी सोच इस दिशा में महत्वपूर्ण पहलू के रूप में उभरकर आई है। उत्तर पूर्व के इन तीन राज्यों में विजय के शंखनाद को लेकर – भाजपा कार्यालय में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने सम्बोधन में फिर से एक नया उत्साह एवं विश्वास भरा है। उन्होंने कहा कि -“अब नार्थ ईस्ट न दिल्ली से दूर है, और ना ही दिल से दूर है।” यह इस बात का संकेत है कि – पूर्वोत्तर में कमल के खिलने से विकास के पंख लगेंगे। और समूचा देश एकसूत्रता की रङ्ग में नई ऊंचाइयां छुएगा।
– कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल

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