हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा और राष्ट्र निर्माण..!

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा और राष्ट्र निर्माण..!

by हिंदी विवेक
in विशेष, संघ
0
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की निर्णय लेने वाली सर्वोच्च इकाई अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा अपने आप में संघ के उद्देश्यों – भविष्य की कार्य योजनाओं, प्रस्तावों एवं पूर्व प्रस्तावों की समीक्षा करती है । राष्ट्र एवं समाज के प्रति संघ के स्वयंसेवकों के क्या दायित्व हैं ? और संघ परिवार के समस्त अनुसांगिक संगठनों द्वारा — किन- किन क्षेत्रों में कार्य किए जाने होते हैं। यह प्रतिनिधि सभा उन सभी निर्णयों एवं उद्देश्यों को लेकर कार्ययोजना प्रस्तुत करती है। इस अभा. प्रतिनिधि सभा का स्वरूप किसी सार्वजनिक संस्था या संगठन की ‘साधारण सभा’ जैसा होता है। इस वर्ष संघ की वार्षिक – अभा. प्रतिनिधि सभा 12,13 व 14 मार्च 2023 को हरियाणा के समालखा (जिला पानीपत) में सम्पन्न होने जा रही है। जहां इस बैठक में वर्ष 2022-2023 के संघ कार्य की समीक्षा और आगामी वर्ष (2023-2024) की संघ कार्य योजनाओं पर चर्चा की जाएगी। इसके अलावा कार्यकर्ता निर्माण व प्रशिक्षण, संघ शिक्षा वर्गों की योजना, शताब्दी विस्तार योजना व कार्य के दृढ़ीकरण और देश की वर्तमान स्थिति पर विचार एवं महत्वपूर्ण विषयों पर प्रस्ताव भी पारित किए जाएंगे।
ज्ञात हो कि 27 सितम्बर 1925 को विजयादशमी के दिन से शुरू हुआ संघ — 2025 में अपने शताब्दी वर्ष को पूर्ण करेगा। सार्वजनिक जीवन के क्षेत्र में विश्व में अपने अनूठे संगठन एवं ध्येय निष्ठा के लिए संघ जाना जाता है। संघ अपने प्रारम्भ से ही हिन्दू राष्ट्र — हिन्दू समाज एवं भारत के सांस्कृतिक गौरव बोध को लेकर अनवरत अपनी राष्ट्र भक्ति की धुन में कार्य करता आ! रहा है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक आद्य सरसंघचालक डॉ केशव बलिराम हेडगेवार जी थे‌ ।जो स्वयं उस समय चलने वाले स्वतन्त्रता संग्राम के सक्रिय सेनानी थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सक्रिय सदस्य एवं क्रान्तिकारी गतिविधियों में भाग लेने के कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ा था। असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण उन पर अंग्रेजी सरकार ने मुकदमा दर्ज कर — 19 अगस्त ,1921 को एक वर्ष के सश्रम कारावास की सजा भी सुनाई थी। तत्पश्चात 12 जुलाई, 1922 जेल से छूटने पर नागपुर में व्यंकटेश नाट्यगृह के प्रेक्षागृह में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें
कांग्रेस के शीर्ष नेता पं. मोतीलाल नेहरू, विट्ठलभाई पटेल, सी. राजगोपालाचारी
तथा डॉ. एस.ए. अंसारी उपस्थित थे। पं. मोतीलाल नेहरू तथा हकीम अजमल खाँ ने
भी उस सभा को संबोधित किया। और उन्हें कांग्रेस के 1922 के राज्य अधिवेशन के लिए संयुक्त सचिव भी नियुक्त किया गया था।
डॉ.हेडगेवार ने उस समय के राष्ट्रीय परिदृश्यों को बेहद पारखी दृष्टि से देखा। और भारतीय समाज— हिन्दू समाज को संगठित करने के उद्देश्य से उन्होंने संघ की स्थापना की। ताकि संगठित समाज राष्ट्र की स्वतन्त्रता के लिए उठ खड़ा हो। और सामाजिक क्षेत्रों की समस्याओं के निदान की राह पकड़े। संघ के स्वयंसेवक शाखा की व्यक्तित्व निर्माण कार्यशाला से तपकर स्वातंत्र्य आन्दोलन में भाग लेते , और तत्कालीन सामाजिक जीवन के समक्ष जो समस्याएं आतीं। उनको दूर करने में अग्रणी भूमिका निभाते।
संघ ने भारत के प्राचीन धर्मध्वज ‘भगवा ध्वज’ को गुरु व ‘भारत माता के जयघोष’ के इन दो शाश्वत प्रेरणा स्त्रोतों को मूल में रखकर राष्ट्र सेवा के पथ में गतिमान हुआ। समय के साथ संघ कार्य भी बढ़ता चला गया। और। संघ के प्रति दुराग्रह रखने वालों की संख्या भी बढ़ती गई। लेकिन दुराग्रहियों की चिंता किए बिना, संघ अपने ध्येय के प्रति निष्ठावान होकर – राष्ट्रोत्थान के लिए समाज को संगठित करने के उद्देश्य से व्यक्तित्व निर्माण के अभियान में जुट गया। डॉ. हेडगेवार के पश्चात सन् 1940 में श्री गुरुजी संघ के द्वितीय सरसंघचालक बने। और 33 वर्षों के दीर्घ कालखण्ड में उन्होंने अपने गुरुतर दायित्वों को निभाया। तीसरे क्रम में बालासाहब देवरस ने 20 वर्षों तक सरसंघचालक के रूप में संघ की कमान संभाली।तत्पश्चात क्रमशः — प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भैय्या, सुदर्शन जी व वर्तमान सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत अपने दायित्वों को सम्यक ढँग से निभा रहे हैं। संघ ने अपनी यात्रा में पूर्वाग्रह जनित प्रतिबंध एवं सरकारी दमन झेले। लेकिन सत्यनिष्ठा – राष्ट्र निष्ठा के आगे सारे षड्यंत्र / दमन चकनाचूर हो गए। और संघ उतनी ही अधिक स्फूर्ति से उठ खड़ा हुआ। राष्ट्र व समाज के समक्ष जब भी विपदाएं आई। संघ के स्वयंसेवक अपने प्राणों की बाजी लगाकर राष्ट्र सेवा के कर्त्तव्य में जुटे रहे। बात चाहे भारत विभाजन की त्रासदी के समय हिन्दू समाज को आश्रय प्रदान करना हो‌ । दंगों से बचाना हो। याकि सन् 1962 के भारत चीन युद्ध के समय सेना के जवानों को खाद्य सामग्री पहुंचानी हो। इतना ही नहीं संघ ने सन् 1975 में इन्दिरा गांधी शासन के समय संविधान की हत्या कर थोपे गए ‘आपातकाल’ का मुखर प्रतिकार भी किया है। और संघ अपने कर्तव्यों को निभाने में सदैव ही अग्रसर रहा आया है। संघ के प्रारम्भ से लेकर वर्तमान समय तक — जब भी देश – समाज के समक्ष कोई संकट या विपदा आई है ‌‌। संघ के स्वयंसेवक – स्वप्रेरणा से ‘संकटमोचक’ की भाँति पहुंच जाते हैं। और अपने सेवाकार्य में तत्परता के साथ जुट जाते हैं। बाढ़ हो , भूकम्प हो, सुनामी हो याकि कोरोना जैसी महामारी का भीषण दौर। संघ के स्वयंसेवकों को अपने प्राण हथेली पर रखकर समाज की सेवा करते हुए सभी ने देखा ही होगा।
जहां तक बात है संघ के ध्येय की, तो संघ के अपने निजी कोई विषय नहीं होते हैं। भारतीय समाज एवं भारतीय संस्कृति – हिन्दू संस्कृति एवं राष्ट्रीय महत्व के समस्त विषय और कार्य संघ के कार्य हैं। संघ की शुरु से ही यही धारणा रही है कि — संघ के स्वयंसेवक समाज जीवन के – सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, सांस्कृतिक , शिक्षा, स्वास्थ्य, नीति- निर्णयन , पर्यावरण संरक्षण , गौ सम्वर्द्धन, समरसता,सेवा , धर्मजागरण, सहित समस्त क्षेत्रों में कार्य करेंगे। और उन कार्यों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण में अग्रसर रहेंगे।
बात पुनश्च — अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की। संघ की अभा. प्रतिनिधि सभा अपने आप में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। संघ की सोच – दूरदर्शी है। संघ अपने प्रस्तावों में वर्तमान के साथ साथ एक दशक के भारत को देखता है। अतएव संघ की अभा. प्रतिनिधि सभा के द्वारा पारित प्रस्तावों ने — राष्ट्रीय महत्व के विषयों में हमेशा महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समय समय पर पारित प्रस्तावों ने राष्ट्रीय अस्मिता को पुनर्स्थापित करने का कार्य किया है। संघ की ‘प्रतिनिधि सभा’ एवं ‘कार्यकारी मंडल’ जैसी निर्णय लेनेवाली शीर्ष सभाओं की बैठकों में श्रीरामजन्मभूमि को लेकर — 1986 से लेकर 2006 तक कई प्रस्ताव पारित किए गए। और संघ ने संवैधानिक निर्णय के माध्यम से श्रीराम जन्मभूमि विवाद पर पहल की।अन्ततोगत्वा समूचे हिन्दू समाज की आस्था की जीत हुई और 9 नवंबर, 2019 के दिन देश के सर्वोच्च न्यायालय ने श्रीराम जन्मभूमि विवाद पर ऐतिहासिक निर्णय देते हुए — 2.77 एकड़ भूमि, सारी भगवान रामलला अर्थात् हिंदू समाज को सौंप दी। अब जहां श्रीरामलला जू! का ऐतिहासिक मंदिर बनने जा रहा है।
गौरक्षा के लिए अभा. प्रतिनिधि सभा तथा अभा. कार्यकारी मंडल में सन् 1952 से 2010 तक अनेक प्रस्ताव पारित किए गए। गौरक्षा के संकल्प एवं व्यापक प्रचार प्रसार अभियानों के चलते ही देश के बीस राज्यों में गौरक्षा कानून बनाए गए। ये राज्य हैं—राजस्थान,
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, असम, मणिपुर, त्रिपुरा, बिहार, चंडीगढ़, छत्तीसगढ़, दिल्ली,
गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, पुदुचेरी, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड।
इसी प्रकार जम्मू काश्मीर में धारा 370 की समाप्ति जैसे मुद्दों पर संघ की सर्वोच्च संस्थाओं में पचास से अधिक बार प्रस्ताव लाए गए थे। 1953 से लेकर 2010 तक अभा. प्रतिनिधि सभा एवं अभा. कार्यकारी मंडल ने अनेकों प्रस्तावों को पारित किया। संघ व उसके अनुसांगिक संगठनों के द्वारा काश्मीरी हिन्दुओं के पुनर्स्थापन एवं धारा 370 की समाप्ति के लिए निरन्तर अभियान चलाए जाते रहे।इन समस्त प्रयासों के फलस्वरूप — भारत की संसद में जम्मू काश्मीर पुनर्संगठन बिल – 2019 पारित हुआ ‌। धारा – 370 की समाप्ति हुई‌ । जम्मू काश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केन्द्र शासित प्रदेश अस्तित्व में आए। समान नागरिक संहिता को लेकर भी अभा. कार्यकारी मंडल ने प्रस्ताव-3 (1995) में समान नागरिक संहिता के विषय पर एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज प्रस्ताव पारित किया था‌ ‌‌। सम्भावना है कि— आगामी समय में देश की संसद के द्वारा इस पर कानून बना दिया जाएगा‌ ‌‌
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने — राष्ट्र की एकता अखंडता एवं युगों से चली आ रही भारतीय संस्कृति के अनुरूप राष्ट्रीय मानस को बनाने का सतत् कार्य किया है। संघ ने अपने विविध अनुसांगिक संगठनों के माध्यम से समाज जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में कार्य किया है। और संघ कार्य निरन्तर जारी हैं। लेकिन इन सबमें सबसे महत्वपूर्ण बात जो उभर कर आती है कि — संघ ने प्रारम्भ से ही श्रेय लेने की होड़ से किनारा किया है। संघ की मान्यता रही है कि — सभी कार्य हिन्दू समाज की संगठित एकता एवं जागरण की शक्ति के फलस्वरूप पूर्ण हुए हैं। और समस्त कार्य हिन्दू राष्ट्र का – हिन्दू समाज के द्वारा सम्पन्न होता आया है‌। संघ के स्वयंसेवकों में सामाजिक समरसता के गुण स्वमेव विकसित हो जाते हैं। जनजातीय समाज की संस्कृति – उनके उत्थान एवं कल्याण के लिए कार्य। विमुक्त घुमक्कड़ जनजातियों का संगठन। उनके अधिकारों के लिए सतत् जागरण एवं पुनरुत्थान के संकल्प को लेकर संघ वनवासी कल्याण आश्रम, जनजातीय सुरक्षा मंच आदि के माध्यम से कार्य कर रहा है। संघ ने अलगाववाद,नक्सलवाद एवं भारत विभाजनकारी शक्तियों के विरुद्ध बड़ी दीवार के रूप में भूमिका निभाई है। इसके चलते संघ के स्वयंसेवकों और संघ के अनुसांगिक संगठनों के अनेकानेक कार्यकर्ताओं को अपने प्राण तक गवाँने पड़े हैं। लेकिन संघ अपने कर्तव्य पथ से कभी नहीं डिगा।
 भारतीय मजदूर संघ एवं उससे सम्बध्द संगठन — उद्योग / उद्यमों में श्रमिकों की आवाज बनते आ रहे हैं। संघ — भारतीय किसान संघ, सेवा भारती, ग्राम भारती, संस्कार भारती, विद्या भारती , अभाविप , विज्ञान भारती, विहिप जैसी अनेकानेक स्वायत्त संस्थाओं/ संगठनों के माध्यम से राष्ट्र को सशक्त – समृद्ध बनाने के लिए निरन्तर गतिशील है। वहीं 1936 से राष्ट्रीय सेविका समिति — ‘स्त्री राष्ट्र की आधारशिला है’ का ध्येय लेकर मातृशक्ति – नारीशक्ति के मध्य कार्य करती आ रही है।
संघ समाज में किसी भी प्रकार के भेदभाव का विरोध करता है। संघ की स्पष्ट धारणा – एकत्व – सर्वसमावेशिता एवं सहभाग के माध्यम से विश्व गुरु भारत बनाना है‌ । अतएव विभाजन की मानसिकता त्याज्य है। इतिहास पुनर्लेखन एवं भारत के सांस्कृतिक गौरव की पुनर्स्थापना के लिए संघ कृतसंकल्पित है। शिक्षा के क्षेत्र में वर्ष 2020 में आई राष्ट्रीय शिक्षा नीति — भारतीय संस्कृति की आर्ष परम्परा एवं युगानुकुल संरचना की संयुक्त युति है। कुटुम्ब प्रबोधन से लेकर – बुजुर्गों की देखभाल। और पाश्चात्यीकरण के कारण भारतीय समाज में पनप रही – विकृतियों को दूर करने। रोकने के लिए संघ – समाज में सतत् जागरण कर रहा है। संघ के संकल्प – हिन्दू समाज के संकल्प हैं। राष्ट्र के प्रति असंदिग्ध श्रध्दा – भक्ति, त्याग एवं समर्पण की भावना के साथ संघ की प्रचारक परम्परा और समस्त स्वयंसेवक सभी को साथ लेकर – राष्ट्र निर्माण में अपने शताब्दी वर्ष की ओर बढ़ रहे हैं…
– कृष्णमुरारी त्रिपाठी अटल

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: akhil bharatiya pratinidhi sabharashtriya swayamsevak sanghrss

हिंदी विवेक

Next Post
वैदिक गणित के संन्यासी प्रवक्ता

वैदिक गणित के संन्यासी प्रवक्ता

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0