जंगल की आग के धुएं के कण ओजोन परत के लिए है घातक

जंगल की आग के कारण वनों की जैव विविधता और पूरा पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हुआ है. जंगल में पेड़ पौधों के साथ ही छोटी-छोटी घास व झाड़ियाँ भी नष्ट होती हैं. जिसकी वजह से भू-क्षरण, भू-स्खलन और त्वरित बाढ़ की घटनाओं में वृद्धि हो रही है.  इमारती लकड़ियां भी जल जाती हैं जो आर्थिक नुक्सान का कारक बनती हैं. जनजातीय वर्ग के परिवार तथा समुदाय वनो पर निर्भर रहते हैं तथा वनाग्नि से उनकी सामाजिक तथा आर्थिक दशा प्रभावित होती है. जंगल की आग से उठने वाला धुआँ और विभिन्न प्रकार की जहरीली गैसें मानव और सभी प्राणियों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव डालती हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार इस आग से निकलने वाली गैसें, जिनका प्रभाव वायुमंडल में 3 साल तक रहता है के कारण कैंसर जैसी घातक बीमारियाँ हो सकती हैं। इस प्रकार यह पर्यावरणीय प्रदूषण का कारण बनती है।

अमेरिका की मैसाचुसेट्स तकनीकी संस्था (MIT) के एक अध्ययन के अनुसार, जंगल की आग से निकलने वाला धुआं पृथ्वी की ओजोन परत की रिकवरी को धीमा कर सकता है या यहां तक ​​कि उलट सकता है. ओजोन परत ऑक्सीजन के तीन परमाणुओं से मिलकर बनने वाली गैस है और ये पृथ्वी के वायुमंडल का सुरक्षात्मक आवरण है, जो सूर्य से आने वाली अल्ट्रावायलेट किरणों से हमें बचाने का काम करती है.

यह धुंए के कण ओजोन परत में एक रासायनिक प्रतिक्रिया को शुरू करते है. जिससे ओजोन परत को नुकसान हो रहा है . इस अध्ययन के अनुसार दिसंबर 2021 से जनवरी 2022 तक ऑस्ट्रेलिया के जंगलों मे लाखों एकड़ में फैली आग के वजह से 1० लाख टन धुंए के कण पृथ्वी के वायुमंडल में फैल गए थे . जिस के कारण  आर्कटिक ओजोन परत में बना छिद्र  25 लाख वर्ग किलोमीटर तक बड़ा हो गया.

अध्ययनकर्ताओं का कहना है की जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण जंगलों में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं समय रहते इसे नियंत्रण में लाना बहुत जरुरी है. 

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