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चीनी अर्थव्यवस्था के गुब्बारे की निकलती हवा

चीनी अर्थव्यवस्था के गुब्बारे की निकलती हवा

by हिंदी विवेक
in आर्थिक, देश-विदेश, विशेष
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विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी अर्थशास्त्रियों द्वारा किए गए तमाम दावें निराधार हैं। एक तरफ चीन का पक्ष लेने वाले लोग कहते हैं कि आने वाले समय में चीन की अर्थव्यवस्था अमेरिका की तीन चौथाई को पार कर जाएगी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल कोरी बातें हैं।

चीनी कम्युनिस्ट तानाशाह शी जिनपिंग ने हाल ही में अपने देश की 14वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के दौरान अर्थव्यवस्था को लेकर बड़े-बड़े दावे किए हैं।

इसके अलावा चीनी कम्युनिस्ट सरकार और अपनी महत्वकांक्षाओं को आगे बढ़ाते हुए नए सपने भी दिखाए हैं।

इस कांग्रेस के दौरान वित्तीय एवं आर्थिक मामलों की समिति ने घरेलू मांग का विस्तार करने और देश में मौजूद निजी उद्योगों के लिए व्यापार में सभी तरह के माहौल में सुधार लाने पर जोर दिया।

चीनी कम्युनिस्ट तानाशाह शी जिनपिंग जहां चीन को आर्थिक महाशक्ति बनाने की बात कर रहे हैं, वहीं जमीनी सच्चाई कुछ ऐसी है कि दुनियाभर के विशेषज्ञों ने इस मामले में चीन की वर्तमान अर्थव्यवस्था को एक ‘गुब्बारा’ करार दिया है।

चीन की आर्थिक स्थितियों एवं उसकी तमाम आर्थिक नीतियों पर नजर रखने वाले अर्थशास्त्रियों का कहना है कि चीन की अर्थव्यवस्था पूरी तरह से लड़खड़ाई हुई है और अभी चिंताजनक स्थिति में है।

चीनी अर्थव्यवस्था को लेकर विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक फ़ुक्सियान का कहना है कि चीन जिस प्रकार से अपनी आर्थिक, विदेशी और रक्षा नीतियों का निर्माण कर रहा है, उसके पीछे का पूरा डेटा दोषपूर्ण है।

चीन अपनी तमाम नीतियों को एक गलत डेटा के आधार पर बना रहा है, जिसके कारण उसकी अर्थव्यवस्था जो वो दिखा रहा है, असल में वैसी नहीं है।

यदि हम चीनी जनसंख्या के दावों की बात करें तो तकरीबन 9 वर्ष पूर्व ही जनसंखियिकी पर नजर रखने वाले चीनी विशेषज्ञों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र के समूह ने भी यह कहा था कि उसकी जनसंख्या में गिरावट देखी जा रही है, लेकिन चीन ने इसे कभी भी स्वीकार नहीं किया।

अब जब स्थितियां चीनी कम्युनिस्ट सरकार के नियंत्रण से बाहर हुईं तब जाकर चीन ने इस बात को आधिकारिक रूप से स्वीकार किया कि चीन में आबादी घट रही है।

दुनिया के उन तमाम विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी अर्थशास्त्रियों ने इसी गलत डेटा के आधार पर चीन को लेकर तमाम भविष्यवाणियां की हैं, लेकिन सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है।

विशेषज्ञों का मानना है कि चीनी अर्थशास्त्रियों द्वारा किए गए तमाम दावें निराधार हैं। एक तरफ चीन का पक्ष लेने वाले लोग कहते हैं कि आने वाले समय में चीन की अर्थव्यवस्था अमेरिका की तीन चौथाई को पार कर जाएगी, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह केवल कोरी बातें हैं।

आबादी को लेकर भी चीन का दावा था कि वर्ष 2049 में उसकी जनसंख्या अमेरिका से 4 गुना अधिक होगी, लेकिन सच्चाई यही है कि 2049 में चीनी जनसंख्या अमेरिका से 2.9 गुना अधिक रहने वाली है।

वहीं यह भी कहा जा रहा है कि चीनी जनसंख्या में बड़ी आबादी बुजुर्गों की रहने वाली है।

अब जब इस तरह के आंकड़ें और दावे सामने आ रहें हैं, तब यह माना जा सकता है कि चीनी अर्थव्यवस्था एक बड़े गुब्बारे के रूप में दिखाई दे रही है, जिसकी हवा कभी भी निकल सकती है।

इसी विषय को लेकर हाल ही में एक आलेख प्रकाशित हुआ था, जिसका शीर्षक था ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी का पतन गांवों से शुरू होगा’, जिसमें यह बताया गया कि कैसे चीन में गिरती अर्थव्यवस्था के चलते अब इसका असर सीधे तौर पर लोगों के रोजगार और दैनिक जीवन में पड़ रहा है।

दरअसल इसके पीछे का कारण यह भी है कि चीनी सरकारी कंपनियों से लेकर निजी कंपनियों में कर्मचारियों के वेतन लगातार कम किए जा रहे हैं, इसके अलावा कई कंपनियों ने छंटनी भी शुरू कर दी है, वहीं कोरोना काल में जिन श्रमिकों को नौकरी से निकाला गया था, उन्हें दोबारा कोई रोजगार नहीं मिल रहा है।

बीते 4 दशकों में जिस तरह से चीनी नागरिकों ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को छोड़कर शहरों की ओर रुख किया था, उसके बाद आज के हालात तो स्पष्ट रूप से इस ओर संकेत करते हैं कि पुनः उन परिवारों से खेती का कार्य नहीं हो सकता है।

ऐसे लोगों ने जब कोरोना के बाद दोबारा शहरों की ओर रुख किया तो, उन्हें ना रोजगार मिला और ना ही रहने के लिए कोई स्थान।

इस परिस्थिति को देखते हुए इन चीनी नागरिकों ने फुटपाथ, रेलवे ब्रिज, मेट्रो स्टेशन में ठिकाने बनाने शुरू किए, लेकिन वहां से भी कम्युनिस्ट अधिकारियों ने उन्हें भगा दिया।

वर्तमान में चीन के शनछन और तुंगह्रान जैसे शहरों से ऐसी रिपोर्ट्स सामने आ चुकी हैं, जहां के गांवों में युवाओं ने रोजगार नहीं मिलने के कारण पुनः रुख किया है।

इन्हीं परिस्थितियों के कारण यह कहा जा रहा है कि आने वाले समय में चीनी कम्युनिस्ट सरकार के विरुद्ध सबसे बड़ा विरोध ग्रामीण क्षेत्रों से उठता हुआ दिखाई दे सकता है।

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Tags: china declining economy

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