भूकम्परोधी निर्माण का महत्व

तुर्किये में भूकम्प के कारण हुई धन-जन की हानि ने एक बार फिर भूकम्प रोधी मकानों की आवश्यकता की ओर लोगों का ध्यान खींचा है। इस दिशा में व्यापक स्तर पर पहल किए जाने की आवश्यकता है, जिससे जान-माल की हानि से बचा जा सके।

भूकम्प व विविध प्राकृतिक आपदाएं जनजीवन के लिए अत्यंत त्रासदीपूर्ण सिद्ध होती हैं। भूकम्प व कई प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाना और उसका सही पूर्वानुमान कर लेना कठिन है। लेकिन भूकम्परोधी भवन निर्माण तकनीकों व उचित प्रकार की निर्माण सामग्री के उपयोग से भूकम्प-जन्य क्षति को न्यूनतम किया जाना सम्भव है। भूकम्प का वर्णन रामायण, विविध पुराणों में भी है। विविध संहिताओं में भूकम्प व अन्य प्राकृतिक आपदाओं के पूर्व लक्षणों व इनके पूर्वानुमान की भी तकनीकें बतलाई हैं। जिन पर व्यापक अनुसंधान की आवश्यकता है। वराहमिहिर रचित वृहत्संहिता के अध्याय 32 में भूकम्प के पूर्व लक्षण भी दिए हैं। कुछ शोधकर्ताओं ने अभी के तुर्किये के भूकम्प के लक्षणों की वृहत्संहिता के विवेचनों से तुलना और समीक्षा भी की है। फरवरी में तुर्किये व सीरिया में आये भूकम्प ने दोनों देशों में भीषण जन व धन की हानि हुई है। भारत में भी भुज का भूकम्प त्रासदीपूर्ण था।

तुर्किये-सीरिया के भूकम्प की भीषणता

हजारों लोगों की मौत का करण बने तुर्किये व सीरिया के भीषण भूकम्प ने दोनों देशों में इतनी तबाही मचाई है कि उसका आकलन अब तक चल रहा है। दोनों देशों में कुल मिलाकर मौत का आंकड़ा 27 हजार के पार हो चुका है और मरने वालों की संख्या और भी बढ़ने की सम्भावना है।  तुर्किये के 10 प्रांतों में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। वहां 10 हजार से अधिक इमारतें गिर गईं और एक लाख से अधिक भवनों को भारी क्षति पहुंची है।

तुर्किये के इंफ्रास्ट्रक्चर की संरचना पर भी अनेक प्रश्न उठ रहे हैं। तुर्किये में तो पहले दौर के बाद, 3 सप्ताह में ही फिर दुबारा भूकम्प से धरती कांपी थी। तुर्किये में भूकम्प से ढही हर दस में से एक नई इमारत का निर्माण 2007 के बाद हुआ था। तुर्किये में इस बड़े पैमाने पर इमारतों के ढहने ने वहां के प्ररचना अभियांत्रिकी व इंफ्रास्ट्रक्चर विकास की पोल खोल दी है। तुर्किये के उस्मानिया में  इतनी लाशें हो गयीं थीं कि उन्हें दफनाने के लिए स्थान ही नहीं रहा।

उचित प्ररचना अभियांत्रिकी (डिजाइन इंजिनीयरिंग) का महत्व

भूकम्प के आने की सही भविष्यवाणी करना असम्भव है। लेकिन इस नुकसान को सीमित करना हमारे नियंत्रण में है। जिन देशों में भवन भूकम्प प्रतिरोधी बनाए जाते हैं, वहां जनहानि की संख्या बहुत कम रहती है। भूकम्प प्रतिरोधी घर बना कर हम जन-धन व भवनों की हानि को कम कर सकते हैं। भवन निर्माताओं को भूकम्परोधी निर्माण के मानकों को भी पूरा करने की जानकारी के साथ-साथ अब आम लोगों को भी जागरूकता बढ़ाना आवश्यक है।

भूकम्परोधी भवन निर्माण

भवनों का निर्माण भूकम्परोधी तकनीक से करने पर भूकम्प से होने वाली क्षति को परिमित किया जा सकता है। इस हेतु निम्न बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए :

भूकम्परोधी अभियांत्रिकी

आधुनिक अध्ययनों के आधार पर विशेषज्ञों का कहना है कि प्रीकास्ट कंक्रीट भूकम्परोधी भवन निर्माण के लिये बेहतर है।

भूकम्प सम्भावित देशों-क्षेत्रों में सुपरफ्रेम की भूकम्परोधी संरचना, स्टील प्लेट की दीवार प्रणाली, संयुक्त कम्पन नियंत्रण समाधान आदि ऐसी तकनीकें है जो मकान या बिल्डिंग को भूकम्परोधी बनाने में सहायता प्रदान करती हैं।

भूकम्परोधी भवन-मानकों को अपनाना

सम्भावित भूकम्पीय के जोन विशेष के चतुर्थ जोन में आने वाली इमारतों के मूल्यांकन के लिए भारतीय मानक ब्यूरो (बी.आई.एस.) के बिल्डिंग कोड 4326-1993 “भूकम्परोधी अभिकल्पना और इमारतों के निर्माण के लिए भारतीय मानक कोड, द्वितीय संशोधन” के अनुशंसकों के अनुसार खतरों के स्वीकार्य स्तर, भवन प्रारूपताओं तथा निर्माण में प्रयुक्त सामग्रियों और विधियों से सभी विद्यमान भवनों की तुलना की जानी चाहिए। यदि ये विद्यमान भवन इस जोन में सभी निर्देशों के अनुरूप हों तो इन्हें भूकम्प सुरक्षित घोषित कर दिया जा सकता है। ऐसा नहीं हो तो उन्हेंं और सुदृढ़ बनाया जाना चाहिए।

भवन निर्माण संहिता : 4326-1993 के अनुसार विभिन्न श्रेणी की इमारतों की भूकम्पीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के मानक:

इन मानकों के अन्तर्गत प्रमुख अनुशंसाएं निम्नानुसार हैं :

दीवारों की सुरक्षा के लिए नींव और दीवारों में प्रयोग किया गया कंक्रीट मसाला अच्छा रखें।

दीवारों में दरवाजा और खिड़की के मुख के आकार और स्थान का ध्यान रखें।

फर्श से छत तक दीवार की ऊंचाई का ध्यान रखें।

प्लिथं स्तर, दरवाजा और खिड़की लिंटेल स्तर, समतल फर्श, आदि पर क्षैतिज भूकम्पीय बैंडों के लिये बनाये गये प्रावधानों का पालन करें। ये बैंड भूकम्प के झटकों से पूरी इमारत की अखंडता को एक इकाई के रूप में बनाए रखते हैं। भूकम्प सुरक्षा के अलावा, ये दीवारों की स्थिरता भी बढ़ाते हैं।

छतों या फर्श की सुरक्षा के लिए ध्यान में रखने योग्य अतिरिक्त विषय: प्रीकास्ट तत्वों के साथ बनाये गए छत-फर्श का उपयोग करें, और केंटिलिवर बालकनियां जैक आर्च की छत या फर्श का ध्यान रखें।

सीमेट, कंक्रीट का उत्तम व सही मिश्रण बनाने से ही भवन को पर्याप्त मजबूती प्राप्त होती है, इसलिए मिश्रण में सीमेंट सहित सभी सामग्री उचित मात्रा में मिलवाएं तथा उसे सही ढंग से मिलवाने के बाद ही उपयोग में लाएं। यदि कंक्रीट के मिश्रण में चार भाग रेत और एक भाग सीमेंट हो, तो यह भूकम्प में काफी मजबूत होता है। 4 प्रतिशत कंक्रीट की भराई में वाईब्रेटर्स का पर्याप्त उपयोग करना चाहिए।

मिट्टी के मोर्टार के उपयोग से कमजोर चिनाई होती है। इसके शुष्क रह जाने से इसकी सुद़ृढ़ता कम हो जाती है। बरसात के महीनों में इस तरह की चिनाई को गिरने से बचाने के लिए उचित नमीरोधी पलस्तर का उपयोग आवश्यक है।

सरिया का उचित प्रयोग: सरिया कम अथवा ज्यादा होने पर दोनों ही अवस्थाएं नुकसानदायक होती हैं। इसलिए मकान बनवाते समय जितनी आवश्यकता हो, उतने ही सरिये का इस्तेमाल करें। सरिये की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए।

दो मंजिलों के बीच की लम्बी दीवारें कमजोर सिद्ध होती है और वे छोटी दीवारों की तुलना में जल्दी ध्वस्त होती हैं। मंजिल की ऊंचाई को मोटाई अनुपात से सीमित करके नियंत्रित किया जाता है।

प्रत्येक कमरे व हॉल की सभी चार दीवारों को प्रत्येक कोने पर ठीक से व मजबूती से जोड़ा जाना चाहिए।

मकान को बनाने से पहले उसका नक्शा किसी योग्य भूकम्परोधी विशेषज्ञता वाले आर्किटेक्ट से बनवाना चाहिए।

मकान बनाने के स्थान की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं। इससे यह पता लगेगा कि मिट्टी में मकान के वजन को सहने की कितनी क्षमता है। आवश्यकता होने पर उसकी सतह पर गिट्टी-सीमेंट की तह लगानी चाहिये।

पुराने भवन भी बन सकते हैं भूकम्प रोधी

पुराने भवनों को भी रेट्रोफिटिंग से भूकम्प रोधी बनाया जा सकता है। इस तकनीक से पुराने मकान जिनमें पिलर नहीं हैं उन्हें भी भूकम्प आदि प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित किया जा सकता है। पुराने भवन के दरवाजों और खिड़कियों के ऊपरी हिस्सों में, जहां से छत शुरू होती है, लेंटर के बीम डाले जा सकते हैं।

भवन की दीवारों के कोनों को लेंटर बीम के जरिये आपस में जोड़ दिया जाता है। लेंटर बीम में लोहे की छड़ों और स्टील का प्रयोग किया जाता है। इससे मकान को मजबूती मिलती है। इससे भूकम्प के 80 से 85 प्रतिशत तक नुकसान की आशंका कम की जा सकती है।

भारतीय मानक ब्यूरो से मान्यता प्राप्त कोई भी सिविल इंजीनियर (स्ट्रक्चरल) सही परामर्श दे सकता है। नगर निगम के रिकार्ड के अनुसार ज्यादातर शहरों में 50 हजार से अधिक मकान हैं। इनमें से कितने भूकम्परोधी तकनीक से लैस हैं, इसकी जानकारी नगर निगम को भी नहीं है। स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के जानकारों के अनुसार रेट्रोफिटिंग से पुराने मकान जिनमें पिलर नहीं हैं, उन्हें भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदा से सुरक्षित किया जा सकता है।

भूकम्प के समय बिना पिलर के भवन की चारों दीवार स्वतंत्र रूप से अलग-अलग हिलती है। इसलिए मकान गिरने लगता है। रेट्रोफिटिंग तकनीक से बिना पिलर वाली इमारत की दीवार भी बड़ी सीमा तक जकड़ जाती है। इससे दीवार अलग-अलग नहीं हिलती। ऐसे में नुकसान की आशंका कम होती है।

भूकम्प सम्बंधी प्राचीन भारतीय ज्ञान

सभी प्राचीन भारतीय संहिता ग्रंथों यथा वृहत्संहिता, गर्ग संहिता आदि में भूकम्प के पूर्वानुमान हेतु भूकम्प के पूर्व लक्षण दिये हुए हैं। इन पर भी एक द़ृष्टिपात समीचीन होगा।

गर्ग संहिता के अनुसार मंगल, शनि, राहु और गुरु जैसे बड़े ग्रहों के परस्पर केंद्र या फिर त्रिकोण में होने पर भूकम्प की आशंका बढ़ जाती है और अधिकतर बड़े भूकम्प रात्रि, मध्यरात्रि, मध्याह्व या ब्रह्म मुहूर्त के समय आते हैं। अकसर भूकम्प सूर्य या चंद्र ग्रहण, पूर्णिमा और अमावस्या के आसपास आते हैं। तुर्किये और सीरिया में आए भूकम्प का संयोग भी यह रहा कि 5 फरवरी को पूर्णिमा थी और इसके अगली सुबह को ही यह भूकम्प आया था।

नीदरलैंड के एक शोधकर्ता फ्रैंक हूगरबीट्स तो सोलर सिस्टम ज्योमेट्री सर्वे  के आधार पर भूकम्प की भविष्यवाणी भी करते हैं। फ्रैंक ग्रहों की चाल के आधार पर भूकम्प की भविष्यवाणी करते हैं। आकाशीय ग्रहों की निगरानी कर, फ्रैंक ग्रहों की चाल से भूकम्प पता लगाते हैं। तुर्किये के भूकम्प का भी उन्होंने आकलन कर लिया था।

मेदिनी ज्योतिष के पांचवी सदी के वराहमिहिर के बृहत् संहिता ग्रंथ के 32वें अध्याय में भूकम्प के लक्षण के बारे में विस्तार से बताया गया है। इस अध्याय का नाम ही ‘भूकम्प लक्षण’ है। इसमें बताया गया है कि, भूकम्प से पहले प्रकृति में भी कुछ लक्षण दिखने लगते हैं। इस द़ृष्टि से खगोल पर्यवेक्षकों ने बताया है कि एक हरा धूमकेतु जनवरी 2023 के मध्य से लगभग एक महीने तक आकाश में रहा था जो अब अपनी कक्षा में पृथ्वी से दूर बाहर की ओर यात्रा कर चुका है। ‘वृहत्संहिता’ के अनुसार यदि आकाश में धूमकेतु दिखाई दें या तारे टूटें तो अग्नि चक्र के अर्थात आग्नेय मंडल के नक्षत्र में भूकम्प होंगे। बृहत् संहिता के अनुसार पुष्य, कृतिका, विशाखा, भरणी, मघा, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाभाद्रपद अग्नि चक्र के नक्षत्र हैं। संयोगवश तुर्किये और सीरिया में जो भूकम्प आया वह अग्नि मंडल के मघा नक्षत्र में था। 6 फरवरी के दिन चंद्रमा मघा नक्षत्र में अग्नि चक्र के नक्षत्र में है।

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