गैर परम्परागत ऊर्जा, आज की मुख्य आवश्यकता

अमेरिका के विकास के शुरुआती दौर में शहरों एवं नगर निगमों के विकास हेतु धन की कमी न होने के प्रमुख कारणों में से एक बांड्स का निगमन होना और इस कारण उससे लोगों का जुड़ाव होना रहा। इंदौर भारत का पहला शहर बन गया है जिसने गैर परम्परागत ऊर्जा के लिए बांड का सफलतापूर्वक निगमन किया है।

भारत की आजादी के 75वें वर्ष यानी अमृत काल में देश के यशस्वी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देशवासियों से आह्वान करते हुए 2070 तक एनर्जी ट्रांसमिशन और शून्य कार्बन उत्सर्जन के उद्देश्यों को प्राप्त करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य की पूर्ति के लिए सरकार ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए ग्रीन बांड अर्थात ग्रीन परियोजनाओं को मूर्तरूप देने के काम में तेजी आई है। यशस्वी मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान की दृढ़ इच्छाशक्ति व महापौर पुष्यमित्र भार्गव की पहल पर इंदौर नगर पालिका निगम ने देश में अग्रणी रहते हुए ग्रीन बांड की योजना को धरातल पर उतारने का काम किया है।

6 दिसम्बर 2022 को महापौर परिषद की बैठक में ग्रीन बांड पब्लिक इश्यू का अहम प्रस्ताव पारित किया गया। ग्रीन एनर्जी की दिशा में इंदौर तेजी से काम कर रहा है। महापौर ने अपने उद्बोधन में कहा कि, मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान के विशेष आशीर्वाद व मार्गदर्शन में खरगोन जिले में सोलर प्लांट लगाने के लिए जमीन आवंटन की प्रक्रिया सम्पन्न हो चुकी है। यथाशीघ्र सोलर ऊर्जा संयंत्र काम प्रारम्भ हो जाएगा।

क्या है ग्रीन एनर्जी?

ग्रीन एनर्जी या अक्षय ऊर्जा वो शक्ति है, जिसको हम प्राकृतिक संसाधनों के जरिए हासिल कर सकते हैं। इसमें सूरज, हवा, बारिश, ज्वारभाटा भी सम्मिलित हैं। इन संसाधनों का फायदा उठाकर क्लॉइमेट चेंज के खतरे को भी कम कर सकते हैं। ग्रीन एनर्जी का इस्तेमाल ऑइल, गैस, कोयला और दूसरे जीवाश्म ईंधन से हमारी निर्भरता को कम कर सकता है।

भारत में बिजली के उत्पादन का लगभग 70 फीसदी हिस्सा कोयले से चलने वाले ऊर्जा संयंत्रों से ही पैदा होता है। कोयले के प्राकृतिक भंडार सीमित हैं। सौ-डेढ़ सौ वर्षों के भीतर कोयला वैश्विक ऊर्जा पटल से अदृश्य हो जाएगा। जलवायु परिवर्तन को रोकना पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती है। हमें कोयले से अलग ग्रीन एनर्जी की ओर ज्यादा से ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा और ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन कम करने के लिए भी कोयला और पेट्रोलियम जैसे जीवाश्म ईंधनों का विकल्प ढूंढ़ना होगा। पूरी दुनिया की तरह भारत भी कार्बन उत्सर्जन घटाने में जुटा हुआ है।

भारत 2070 तक शुद्ध जीरो कार्बन उत्सर्जन की ओर बढ़ रहा है, ताकि हरित औद्योगिक और आर्थिक संक्रमण की शुरुआत हो सके। कार्बन उत्सर्जन की स्थिति पर निगरानी रखने वाली स्वतंत्र संस्था ‘क्लाइमेट एक्शन ट्रैकर’ के मुताबिक भारत में 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 2005 के स्तर का आधा हो जाएगा, जो कि ग्रीन एनर्जी के प्रोत्साहन की वजह ही मुमकिन होगा। जहां पुरानी हरित क्रांति ने भारत को खाद्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाया था, वहीं अब इस नई हरित क्रांति से भारत को ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने में सहायता मिलेगी

क्या है ग्रीन बांड

ग्रीन बांड एक तरह का निवेश है, जिसमें निवेशकों को एक फिक्स्ड ब्याज दिया जाएगा। इससे मिलने वाले पैसे का उपयोग कार्बन उत्सर्जन कम करने वाली योजनाओं के लिए किया जाएगा। ये बांड एसेट लिंक होंगे। एसेट लिंक बांड निवेशकों के बीच में काफी लोकप्रिय होते हैं, इस कारण सरकार के लिए भी इन बांड्स पर पैसा जुटाना आसान होता है। एसेट लिंक होने के कारण ये बांड सुरक्षित माने जाते हैं। निवेशकों को आकर्षित करने के लिए इस पर सरकार की ओर से टैक्स छूट और टैक्स क्रेडिट भी दिया जाता है।

पब्लिक इश्यू की आवश्यकता

निगम शहर में पीने के पानी की आपूर्ति के लिए जलूद में नर्मदा से पानी पम्पिंग करता है। अभी पानी पम्पिंग में हर महीने सरकार को बिजली का भारी-भरकम बिल चुकाना पड़ता है। नर्मदा का पानी इंदौर तक पहुंचाने के लिए निगम को अभी हर महीने 25 करोड़ और साल में करीब 300 करोड़ रुपए का बिजली बिल चुकाना पड़ता है। इस खर्च में कटौती और बिजली बचाने के लिए सरकार ने 60 मेगावॉट का सोलर प्लांट लगाने की परियोजना बनाई है। इस परियोजना के लिए जलूद जल संयंत्र पर सौर ऊर्जा संयंत्र लगाया जाएगा। 244 करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले संयंत्र के लिए सरकार ने ग्रीन बांड को चुना है। सोलर प्लांट से जो बिजली उत्पन्न होगी, उससे जल संयंत्र पर लगे पम्प चलेंगे और नर्मदा का पानी इंदौर पहुंचाया जाएगा। इस बांड से यह फायदा होगा कि सोलर प्लांट लगने के बाद बिजली के बिल में हर महीने 5 से 6 करोड़ रुपए की कमी आएगी। ग्रीन बांड पब्लिक इश्यू को लेकर महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मुख्य मंत्री निवास कार्यालय में मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान से भेंट कर आईएमसी की पहल की जानकारी दी थी। इसके बाद मुख्य मंत्री के मार्गदर्शन में पब्लिक इश्यू जारी करने का कार्य तेजी से आगे बढ़ चला।

एए प्लस रेटिंग

निगम के इस बांड के जारी होने से पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रेटिंग तय करने वाली एजेंसी इंडिया रेटिंग ने इसे ‘एए प्लस’ व अन्य एजेंसी केयर ने ‘एए’ रेटिंग दी है। रेटिंग मिलने के बाद निगम के इस बांड के लिए सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (सेबी) में इसके दस्तावेज जमा किए। 25 दिसम्बर को सेबी ने इसकी प्रक्रिया पूरी करते हुए बांड का फाइनल आब्जर्वेशन का कार्य पूर्ण किया। इस प्रकार ग्रीन बांड जारी करने वाला इंदौर देश का पहला शहर भी बन गया है।

तीसरे, पांचवें, सातवें व नौवें साल में मिलेगी राशि

निगम के ग्रीन पब्लिक बांड को चार हिस्सों में बांटा गया है। इसके तहत खरीददार को कुल बांड का 25 प्रतिशत हिस्सा तीसरे व शेष राशि इसी अनुपात में तीसरे, पांचवें व नौवें साल में मिलेगी। बांड होल्डर को निर्धारित अंतराल पर राशि मिलेगी। खरीददार को इस बांड पर 8 से 8.15 प्रतिशत ब्याज अर्द्धवार्षिक मिलेगा। इसके अलावा बांड को स्टॉक एक्सचेंज में होने वाले उतार-चढ़ाव का फायदा भी मिलेगा। खरीददार इस बांड को दूसरों को बेचकर ज्यादा कीमत भी प्राप्त कर सकेंगे।

मुंबई के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफिस में इंदौर की सराहना

6 फरवरी को महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने मुंबई के नेशनल स्टॉक एक्सचेंज ऑफिस में निवेशकों से मुलाकात की और उन्हें ग्रीन बांड में निवेश के लिए आमंत्रित किया। वे मुंबई के सांताक्रूज स्थित एके कैपिटल सर्विस लिमिटेड के हेड ऑफिस में ग्रीन बांड की जागरूकता पर आयोजित वेबिनार में शामिल हुए। मुंबई के निवेशकों ने भी इंदौर की इस शुरुआत की सराहना की। 7 फरवरी को महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने ऑफिस में इंदौर के निवेशकों से मुलाकात कर उन्हें बांड के प्रारूप की जानकारी देते हुए सुरक्षित निवेश के लिए आग्रह किया। सार्वजनिक निर्गम के लिए मध्यप्रदेश नगर निगम अधिनियम, 1956 के तहत वर्ष 1956 में स्थापित इंदौर नगर निगम ने प्रस्ताव दस्तावेज दायर किया था।

यह निर्गम 10 फरवरी 2023 को खुला और 14 फरवरी 2023 को बंद हुआ। निगम द्वारा जारी ग्रीन बांड को निवेशकों का अच्छा प्रतिसाद मिला। इंदौर ने 224 करोड़ के बांड जारी किए थे, जिसके लिए 321 फीसदी ज्यादा राशि 720.75 करोड़ के आवेदन मिले है। 10 फरवरी को पहले ही दिन 661.52 करोड़ के आवेदन निगम को मिल गए थे। बांड खरीदने के लिए आम निवेशकों का उत्साह नजर आया, जिसके परिणामस्वरूप ग्रीन बांड इश्यू करने के उपरांत मात्र 2.30 घंटे में ही ग्रीन बांड के माध्यम से 300 करोड़ जुटाए गए।

21 फरवरी को भोपाल में मुख्य मंत्री शिवराजसिंह चौहान के मुख्य आतिथ्य में ग्रीन बांड की लिस्टिंग का समारोह स्ंपन्न हुआ और इंदौर शहर ने एक और इतिहास रच दिया। इंदौर के नवाचार ने राष्ट्रीय परिदृश्य में पुनः शहर के नाम को ब्रांड के रूप में स्थापित किया है। आने वाले दौर में हमारा फोकस ग्रीन एनर्जी रहेगा।

– दिलीप सिंह ठाकुर

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