नाम साधना क्या है…?

पत्थर पर यदि बहुत पानी एकदम से डाल दिया जाए तो पत्थर केवल भीगेगा। फिर पानी बह जाएगा और पत्थर सूख जाएगा। किन्तु वह पानी यदि बूंद-बूंद पत्थर पर एक ही जगह पर गिरता रहेगा, तो पत्थर में छेद होगा और कुछ दिनों बाद पत्थर टूट भी जाएगा। इसी प्रकार निश्चित स्थान पर नाम स्मरण की साधना की जाएगी तो उसका परिणाम अधिक होता है ।

चक्की में दो पाटे होते हैं। उनमें यदि एक स्थिर रहकर, दूसरा घूमता रहे तोअनाज पिस जाता है और आटा बाहर आ जाता है।यदि दोनों पाटे एक साथ घूमते रहेंगे तो अनाज नहीं पिसेगा और परिश्रम व्यर्थ होगा।

इसी प्रकार मनुष्य में भी दो पाटे हैं – एक मन और दूसरा शरीर। उसमें मन स्थिर पाटा है और शरीर घूमने वाला पाटा है। अपने मन को भगवान के प्रति स्थिर किया जाए और शरीर से गृहस्थी के कार्य किए जाएं। प्रारब्ध रूपी खूँटा शरीर रूपी पाटे में बैठकर उसे घूमाता है और घूमाता रहेगा, लेकिन मन रूपी पाटे को सिर्फ भगवान के प्रति स्थिर रखना है। देह को तो प्रारब्ध पर छोड़ दिया जाए और मन को नाम-सुमिरन में विलीन कर दिया जाए – यही नाम साधना है।

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