दूसरों पर दोषारोपण करने से पहले स्वयं को जाँचें

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  बहुधा हम सब यह अभियोग करते रहते हैं कि संसार बहुत खराब हो गया है। जिसे देखो वह वैसे ही कार्य करने में लगा हुआ है, जो संसार की दु:ख-वृद्धि करते हैं, पर क्या कभी हम यह भी सोच पाते हैं कि संसार में दु:ख और कष्ट बढाने में…

“वासना” को नियंत्रित कीजिये

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"वासना" में कामुकता मुख्य है । इसमें बरती गई ज्यादती जिंदगी की जड़ों पर कुल्हाड़े से किए जाने वाले वार की तरह घातक सिद्ध होती है । "वासना" की ललक में मनुष्य इससे जुड़ी सारी मान - मर्यादा को भूल जाते हैं । जीवनी शक्ति के इस खजाने का नाश…

व्यापक बुराइयों की चर्चा नहीं समाधान पर कार्य करें

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व्यापक बुराइयों की अधिक चर्चा करने से कुछ लाभ नहीं नहीं । वस्तुस्थिति को हम सब जानते ही हैं । इस चर्चा से चित्त में क्षोभ और संताप ही उत्पन्न होता है । यों भले मनुष्यों का भी अभाव नहीं है वे प्रत्येक क्षेत्र में, बदनाम क्षेत्रों में भी मौजूद…

सत्कर्म करने के लिए उच्च स्तर की मनोभूमि चाहिए

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"सत्कर्म" अनायास नहीं बन पड़ते । उनके पीछे एक प्रबल दार्शनिक पृष्ठभूमि का होना आवश्यक है । सस्ती नामवरी लूटने के लिए या किसी आवेश में आकर कभी-कभी घटिया स्तर के लोग भी बड़े काम कर बैठते हैं, पर उनमें स्थिरता नहीं होती । यश कामना की पूर्ति भी हर…

लोकमानस में श्रेष्ठता वाणी से नहीं आचरण से आती है

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लोकमानस में "सद्ज्ञान" की प्रतिष्ठापना करने का कार्य हमें अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार एवं परिवर्तन करके ही संपन्न करना होगा । प्रवचन और लेख इस कार्य में सहायक तो हो सकते हैं, पर केवल उन्हीं के आधार पर अभीष्ट उद्देश्य की प्राप्ति संभव नहीं । दूसरों पर वास्तविक प्रभाव…

भगवान हमें हर पल देख रहे है

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हमारे घर के पास एक डेरी वाला है. वह डेरी वाला एसा है कि आधा किलो घी में अगर घी 502 ग्राम तुल गया तो 2 ग्राम घी निकाल लेता था। एक बार मैं आधा किलो घी लेने गया. उसने मुझे 90 रूपय ज्यादा दे दिये । मैंने कुछ देर…

अपने को जानें, भव बंधनों से छूटें

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संसार में जानने को बहुत कुछ है, पर सबसे महत्वपूर्ण जानकारी अपने आप के संबंध की है। उसे जान लेने पर बाकी जानकारियाँ प्राप्त कर लेना सरल हो जाता है । ज्ञान का आरंभ आत्मज्ञान से होता है । "जो अपने को नहीं जानता वह दूसरों को क्या जानेगा ?…

अंतरात्मा की पुकार अनसुनी न करें

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मनुष्य में जहाँ तक शारीरिक - मानसिक स्तर की अनेक विशेषताएँ हैं, वहीं उसकी वरिष्ठता इस आधार पर भी है कि उसमें "अंतरात्मा" कहा जाने वाला एक विशेष तत्व पाया जाता है। उसमें "उत्कृष्टता" का समर्थन और "निकृष्टता का विरोध करने की ऐसी क्षमता है जो अन्य किसी प्राणी में…

परमात्मा स्वाधीन है आत्मा उसके अधीन

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मान लीजिए कि आप हरिद्वार गये। वहाँ आपने हर की पौडी पर एक पवित्र नदी में स्नान किया। उस नदी का नाम है - गंगा। नहाने के पश्चात् आप नदी से कुछ जल लोटे में भर लेते हैं। जिस जल से आपने स्नान किया और जो लोटे में रखा वह…

सुसंस्कृत व्यक्तियों का निर्माण

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Man standing on a ledge of a mountain, enjoying the sunset over a river valley in Thorsmork, Iceland. With lens flare.
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सुसंस्कारिता जिसे मिली उसने वह सब कुछ पा लिया जिसे पाकर मनुष्य जीवन का अमृतोपम रसास्वादन करने का अवसर मिलता है । "आध्यात्मिकता", "दृष्टिकोण की उत्कृष्टता" और "धार्मिकता", "व्यवहार की शालीनता" को ही कहते हैं । शब्दों की ऊँचाई से किसी रहस्यवादी कल्पना में भटकने की आवश्यकता नहीं है ।…

जल्दबाजी कर पगडंडियों में न भटकें !!

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"जीवन" एक वन है, जिसमें "फूल" भी हैं और "काँटे" भी । जिसमें "हरी-भरी सुरम्य घाटियाँ" भी है और "ऊबड़-खाबड़ जमीन" भी । अधिकतर वनों में वन्य पशुओं और वनवासियों के आने_जाने से छोटी-मोटी "पगडंडियाँ" बन जाती हैं । सुव्यवस्थित दीखते हुए भी ये जंगलों में जाकर लुप्त हो जाती…

तेरा विश्वास शक्ति बने, याचना नही

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हे प्रभो! मेरी केवल एक ही कामना है कि मैं संकटों से डर कर भागूँ नहीं, उनका सामना करूँ। इसलिए मेरी यह प्रार्थना नहीं है कि संकट के समय तुम मेरी रक्षा करो बल्कि मैं तो इतना ही चाहता हूँ कि तुम उनसे जूझने का बल दो। मैं यह भी…

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