योगी ने क्यों खोली मुरादाबाद के दंगों की फाइल ?

उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी बृजलाल ने एक बयान जारी करके मुरादाबाद के दंगों की पूरी घटना से देश को अवगत करवाया है । पूर्व डीजीपी बृजलाल ने कहा कि 13 अगस्त 1980 में मुरादाबाद में ईद के दिन नमाज पढी जा रही थी । पुलिस सुरक्षा में लगी हुई थी । इसी दौरान दलित बस्ती से एक सुअर आकर नमाज में व्यवधान डालता है । इसके बाद पुलिस वालों और मुसलमानों के बीच में कहासुनी शुरू होती है जो बाद में एक दंगे का रूप ले लेती है।

लेकिन पूर्व डीजीपी बृजलाल ने एक अहम बात ये बताई कि मुरादाबाद के एसपी और डीएम के सामने ही एडीएम स्तर के एक प्रभारी को मुसलमानों की भीड़ ने ईंट पत्थरों से मार मार कर कुचल डाला, यानी लिंचिंग कर डाली । ये दंगा इसके बाद भी रुका नहीं, पुलिस पर पथराव किया गया, फोर्स की राइफलें लूट ली गईं और चौकी में आग लगा दी गई, दंगा पूरे 4 महीने तक चला ।

पूर्व डीजीपी बृजलाल के बयान में एक अहम बात ये भी सामने आई कि दंगा का प्लैनर मुस्लिम लीग का एक प्रदेश पदाधिकारी था । ये वही जिन्ना की मुस्लिम लीग है  जिसने देश का बंटवारा करवाया था । ये एक और प्रमाण है कि गांधी और नेहरू देश से उन मुस्लिम लीग के लोगों को भी बाहर नहीं निकाल सके जो देश के बंटवारे में शामिल थे ।

इस दंगे की जांच के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक जज जस्टिस सक्सेना को नियुक्त किया गया था । जस्टिस सक्सेना ने इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार की थी लेकिन इस रिपोर्ट को ना तो कांग्रेस सरकार ने टेबल किया, ना ही एसपी सरकार ने टेबल किया और ना ही बीएसपी सरकार ने टेबल किया । लेकिन 43 सालों के बाद योगी आदित्यनाथ ने मुरादाबाद दंगों की फाइल को टेबल करने का फैसला किया है जिसके बाद यूपी की राजनीति में हड़कंप मच गया है ।

अब सवाल ये उठता है कि आखिर योगी आदित्यनाथ ने इस रिपोर्ट को टेबल करने का फैसला क्यों किया ? दरअसल इस दंगे की शुरुआत की मुख्य वजह दलित-मुस्लिम संघर्ष था । दरअसल मुरादाबाद के इसी इलाके के अंदर एक दलित लड़की को मुसलमानों ने किडनैप कर लिया था । बाद में उस लडकी को छुड़वाया गया और इसके बाद उसकी किसी दलित लड़के से शादी तय कर दी गई थी लेकिन जैसे ही बारात गांव के पास आई तो बारात पर मुसलमानों ने पत्थरबाजी कर दी । इस घटना से पहले ही तनाव की पृष्ठभूमि तैयार थी और जब नमाज के दौरान जानवर दलित बस्ती से आकर घुस गया तो ये भीषण दंगा हो गया ।

यानी इस रिपोर्ट के बाहर आने से भीम मीम की बेबुनियाद और आधारहीन विचारधारा का पतन होगा । कांग्रेस पार्टी भी इसमें एक्सपोज होगी ।

सबसे बड़ी बात ये है कि इस मामले में आधिकारिक रूप से मरने वालों का आकंड़ा 400 के करीब था । लेकिन अनाधिकारिक रूप से कुछ स्रोत ये भी कहते हैं कि दंगे में करी 2500 लोग मारे गए थे । और इसमें कुछ लोग पीएससी की भी भूमिका होने का दावा करते हैं । उस वक्त यूपी में कांग्रेस पार्टी की सरकार थी और वी पी सिंह मुख्यमंत्री थे । ऐसी स्थिति में सबसे बड़ी बात ये है कि इस रिपोर्ट के जारी होने से पूरे देश के अंदर कांग्रेस की पोल खुलेगी औऱ उसको मुसलमानों के सामने भी जवाब देना पडेगा और ये स्थिति बीजेपी के लिए काफी लाभदायक बन जाएगी ।

– दिलीप पाण्डेय 

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