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सुनहरी कालिमा

सुनहरी कालिमा

by हिंदी विवेक
in कहानी, राष्ट्र- धर्म रक्षक विशेषांक -जुलाई-२०२३, विशेष
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फिल्म की बाहरी दुनिया जितनी चकाचौंध है अंदर से उतनी ही काली। अंधेरे से अनजान इसकी चमक से मोहित होकर हजारों युवक युवतियां यहां भाग्य आजमाने आते हैं। उनमें से एक मैं भी हूं। नाच गाने का शौक मुझे बचपन से था। ईश्वर ने मुझे सुंदर भी बनाया था। दर्पण में अपनी सुंदरता देखकर बहुत खुश होती थी, बड़े बड़े सपने देखती थी। बढ़ती उम्र के साथ मेरी रुचि और गहरी होती गयी। मैं घंटों दूरदर्शन पर फिल्में देखती, गाने सुनती। धीरे धीरे फिल्मी नशा मुझे अपने आगोश में लेने लगा। कभी कभी फिल्में देखते हुए मैं इतनी खो जाती थी कि उसकी नायिका में मुझे अपनी छवि दिखायी देने लगती। नायक के साथ डांस करना, उसकी बाहों में झूलना, विलेन को थप्पड़ मारना जैसी क्रियाएं मुझे रोमांचित करती थी। बड़ा मजा आता था। लेकिन सपना तो सपना होता है। अधिकतर सपने वास्तविकता के धरातल पर टिक नहीं पाते। इन सपनों ने मेरे अंदर नायिका बनने की एक ललक जरूर पैदा कर दी थी। अपने सपने को साकार करने के लिए मैंने डांस क्लास ज्वाइन कर ली। शरीर को सुडौल और छरहरा रखने के लिए जिम भी जाने लगी। सुना था कि खुले और घुंघराले बाल नारी सुंदरता को दोगुना कर देते हैं। इसलिए अपने सुंदर और लम्बे बालों को, जिसे मैं बहुत प्यार करती थी, कटवाकर घुंघराले बनवा दिए।

मेरा फैशन देखकर एक दिन मां ने कहा- बाल क्यों कटवा दिये? सिनेमा देखकर तू पागल हो गयी है। तुझे भी हीरोइन बनना है!

मां, आपकी बेटी एक दिन जरूर हिरोइन बनेगी।

मेरी बातें सुनकर मां हंसने लगी।

मुझे देखकर कॉलेज के लड़के आहें भरते थे। एक दिन मैं कॉलेज से निकल रही थी। गेट पर खड़े कुछ लड़कों में से एक ने मुझे देखकर कहा- क्या आइटम है? दूसरे ने तुरंत बोला- मां कसम, पूरी मधुबाला लगती है।

उसकी बातें सुनकर सारे लड़के ठहाके मारकर हंसने लगे। मुझे क्रोध तो बहुत आया लेकिन मधुबाला सम्बोधन सुनकर आंतरिक खुशी भी हुई। सारा क्रोध गायब हो गया। पास जाकर बोली- एक दिन मैं हिरोइन बनूंगी। फिर आंखें फाड़ फाड़कर मेरी फिल्में देखना। सुनकर उनकी हंसी गायब हो गयी।

डांस क्लास में पसीना बहाते देख एक दिन सर ने कहा- ऐसे ही मेहनत करती रही तो तुम अच्छी डांसर बनोगी।

सर, मुझे डांसर नहीं बनना है। मुझे फिल्मों में काम करना है, हीरोइन बनना है।

वाह! मेहनत से काम करो, सफलता मिलेगी। डांस के अतिरिक्त नाटक, ड्रामे में भी भाग लिया करो। मैं तुम्हारी मदद करूंगा।

ठीक है सर। वैसे मैं कॉलेज के प्रोग्राम में भाग लेती हूं।

पिछले वर्ष एक प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए मैं कुछ बच्चों के साथ गया था। वहां मेरी मुलाकात मशहूर कोरियोग्राफर सलीम से हुई। वे कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे थे। मेरे बच्चों के परफार्मेंस से बहुत खुश हुए। चलते समय सलीम ने अपना कार्ड देते हुए कहा था- कभी कोई टैलेंटेड बच्चा रहे तो मेरे पास भेजना। मैं उसको किसी फिल्म में चांस दूंगा। मैं उनसे बातें कर लेता हूं, जाकर मिल लेना।

आज जरूर बातें कर लेना सर। कहकर मैं घर आ गयी।

एक दिन मैं सलीम से मिलने उनके आफिस गयी। उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे गौर से देखा और कहा- फिल्मों में काम मिलना आसान नहीं है। बहुत त्याग करना पड़ता है। क्या तुम तैयार हो?

जी सर।

मेरी इंडस्ट्री में बड़े बड़े प्रोड्यूसरों से पहचान है। तुम बहुत सुंदर हो, तुम्हारी कजरारी आंखें किसी को भी घायल कर सकती हैं। मैं तुम्हें फिल्मों में काम दिला दूंगा। मैंने ऐसी तमाम लड़कियां जिन्हें फिल्मों में तो छोड़ो किसी धारावाहिक में काम नहीं मिलता, उन्हें हिरोइन बनाया है। तुम्हें फेमस कर दूंगा। क्या तुम हिरोइन बनना चाहती हो?

कौन नहीं चाहता सर? इसलिए तो आपके पास आयी हूं। मैंने मुस्कराते हुए कहा।

मुझे लगता है तुम्हारे अन्दर टैलेंट है। इसके लिए तुम्हें-।

बीच में ही बात काटते हुए मैंने कहा- सर, मैं अच्छा डांस कर लेती हूं। कॉलेज के ड्रामें में भाग लेती हूं। कॉलेज के लड़के मुझे मधुबाला कहते हैं।

यह कॉलेज नहीं है। अभी तक तुमने जो सीखा है वह काफी नहीं है। फिल्म इंडस्ट्री में तुम्हें कोई खड़ा नहीं करेगा। इसके लिए कुछ दिन यहां आना होगा। मैं खुद तुम्हें ट्रेनिंग दूंगा।

मैं आऊंगी सर।

कल ग्यारह बजे आ जाना। सलीम ने मेरे गालों पर हाथ फेरते हुए कहा।

घर आते ही मां ने पूछा- मुलाकात हुई, क्या कहा?

कल बुलाया है।

हिरोइन बनने की खुशी में देर रात तक नींद नहीं आयी। सुबह जल्दी उठकर तैयार हो गयी। समय के पहले उनके ऑफिस पहुंच गयी।

मुझे देखकर प्यून ने कहा- जल्दी आ गयी। साहब तो ग्यारह, साढ़े ग्यारह बजे आएंगे। इंतजार करिए।

मैं बैठी उनका इंतजार कर रही थी। कभी आंखें बंद कर सोचने लगती, कभी टेबल पर पड़ी मैगजीन के पन्नें पलटती। लम्बे इंतजार के बाद सलीम आते दिखाई दिए। आते ही मुझे अपने केबिन में आने का इशारा किया।

आइए रीमा जी। बैठिए, आपके लिए एक प्रोड्यूसर से बात किया हूं। वे एक सीरियल बना रहे हैं जिनमें काम करने के लिए नए कलाकारों की आवश्यकता है। खुदा चाहेगा तो आपको मौका मिल जाएगा। पहले एक कप कॉफी हो जाए, फिर एक स्क्रिप्ट देता हूं बोलकर सुनाइए। मुझे भी तो पता चले कि आप में कितना टैलेंट है?

मैंने बोलना शुरू किया। दो चार लाइनें ही बोली थी कि उन्होंने कहा- कॉलेज के ड्रामे में नहीं बोल रही हो, एक्टिंग करके बोलो। मैंने एक्टिंग के साथ उन्हें सुनाया। वे एकाग्रचित्त होकर मुझे देख रहे थे।

पूरी स्क्रिप्ट सुनने के बाद उन्होंने कहा- टैलेंट तो है लेकिन निखारने की जरुरत है। कल से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू होगी। अब घर जाओ। कल बारह बजे आ जाना।

उनकी बातें सुनकर मैं बहुत खुश हुई। थैंक्यू कहकर ऑफिस से बाहर आ गयी।

घर पर लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे थे। घर पहुंचते ही उन्होंने पूछा- क्या हुआ बेटी?

मैंने कहा- मां कॉलेज या गली के नुक्कड़ में नाटक नहीं करना है। पिक्चर में काम करना। मेरा काम देखकर सलीम भाई ने कहा कि कुछ कमियां हैं। वे मुझे खुद ट्रेनिंग देंगे। उन्होंने कई लोगों को हिरोइन बनाया है। कल बारह बजे बुलाया है।

ठीक है बेटी। ईश्वर फरिश्ते के रूप में किसी न किसी को भेज देता है।

देर रात तक मैं सलीम के बारे में सोचती रही। मुझे पूरा विश्वास हो गया था कि सलीम ही मुझे हिरोइन बना सकते हैं। अगले दिन सुबह जल्दी उठकर तैयार होने लगी। ज्यादा स्मार्ट दिखने के लिए मैंने मेकअप किया।

आज मुझे इंतजार नहीं करना पड़ा। पहुंचते ही प्यून ने कहा- जाइए, साहब बुला रहे हैं।

अन्दर पहुंचते ही उन्होंने बैठने का इशारा किया। पानी का ग्लास मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा- आज तो बहुत सुंदर लग रही हो।

पानी पीते हुए मैंने कहा- थैंक्यू।

चाय लोगी या कॉफी?

कुछ नहीं सर।

फिल्म इंडस्ट्री में पैर जमाना है तो ना कहना भूल जाओ। ना शब्द ने अच्छे अच्छे को इंडस्ट्री से बाहर कर दिया। मैं नहीं चाहता कि तुम्हारे साथ भी वैसा हो।

सिर हिलाते हुए मैंने कहा- ओके सर।

आज से तुम्हारी ट्रेनिंग शुरू होगी। हम गाने पर प्रैक्टिस करेंगे। चलो सेट पर चलते हैं। कहकर मेरा हाथ पकड़कर सेट की ओर चल दिए।

म्यूजिक प्लीज।

डांस शुरू हुआ। हम दोनों के अतिरिक्त दो और कलाकार साथ दे रहे थे। गाने के अनुसार हम एक्टिंग भी कर रहे थे। मजा आ रहा था। अचानक अंक में भरते हुए सलीम ने मेरी छाती पकड़ ली। पलभर के लिए मुझे लगा कि हाथ लग गया होगा लेकिन उसके मजबूत हाथों के दबाव से मेरा भ्रम टूट गया। मैंने आंखें उठाकर उसकी ओर देखा और डांस छोड़कर पास में रखी कुर्सी पर आकर बैठ गयी। मैंने अपने चेहरे को दोनों हाथों से ढक लिया था।

क्या हुआ? डांस छोड़कर क्यों चली आयी? कहते हुए वह पास में रखी कुर्सी पर आकर बैठ गए।

कर्ण प्रिय म्युजिक जो कुछ क्षण पहले आनंद दे रहा था अचानक डरावना लगने लगा। कुछ पल चुप रहने के बाद उसने मेरे बालों पर हाथ फेरते हुए कहा- कम आन, अच्छा डांस कर लेती हो। तुम एक दिन जरूर हिरोइन बनोगी।

उसकी बातें मुझे अच्छी नहीं लगी। मैं बिना कुछ बोले उठी और घर के लिए चल दी। मेरा दिल रो रहा था।

घर आते ही मां ने पूछा- क्या हुआ? परेशान लग रही हो।

कुछ नहीं मां।

तुम्हारी वाणी से लग रहा है कि कुछ हुआ है लेकिन तुम बताना नहीं चाहती। क्या सलीम ने मना कर दिया?

तुम भी मां, पीछे पड़ जाती हो। कहा न कि कुछ नहीं हुआ। मेरा पिक्चर में काम करने का सपना अब पूरा नहीं होगा। कहकर मैं सिसकने लगी।

ईश्वर पर भरोसा और लगन से काम करो। तुम्हारी इच्छा पूरी होगी। मां ने मुझे तसल्ली देते हुए कहा।

बिना कुछ बोले तकिए से मुंह ढंककर सोने का प्रयास करने लगी। सिर फटा जा रहा था। रह रहकर मन ही मन बुदबुदाते हुए उसे कोस भी रही थी। बड़ा पातकी इंसान है। इतनी जोर से दबा दिया, अभी तक फोड़े जैसा टपक रहा है। अब तो मैं किसी सूरत में वहां नहीं जाऊंगी। नहीं बनना है मुझे हिरोइन।

दो दिन बाद उसने मुझे फोन किया और पूछा- क्या हो गया? तुम आयी नहीं। क्या हिरोइन नहीं बनना है? आज ही एक डायरेक्टर का फोन आया था।

मुझे नहीं बनना है हिरोइन, मैं अब नहीं आऊंगी।

अपना करियर बर्बाद मत करो। मैं तुम्हें टॉप की हिरोइन बना दूंगा। कल आ जाओ बैठकर बातें करते हैं। कहकर उन्होंने फोन रख दिया।

जाएं कि नहीं, इसी कशमकश में दिन बीत गया। किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच पायी। सुना था कि फिल्म इंडस्ट्री में शोषण होता है। कल सलीम को बोलूंगी कि मैं ऐसी वैसी लड़की नहीं हूं।

अगले दिन बेमन से मैं गयी। चेहरा उतरा हुआ था। मुझे देख कर प्यून ने कहा- जाइए, साहब बहुत देर से इंतजार कर रहे हैं।

मेरी तरफ ज्यूस का ग्लास बढ़ाते हुए सलीम ने कहा- बहुत देर कर दी। अभी से इंतजार करवाने की आदत डाल रही हो। अरे भाई! एक दिन तो ऐसा होने ही वाला है लेकिन अभी तो मत करो। तुम ट्रेंड हो जाओ फिर देखो। मैं तुम्हें बड़े बड़े स्टार से मिलाऊंगा।

सर उस दिन की घटना को मैं आज भी नहीं भूल पायी। उसे याद करके मैं कांप जाती हूं।

तुम लोगों की यही तो समस्या है। सपने बड़े बड़े देखती हो लेकिन बिना परिश्रम के उसे पूरा करना चाहती हो। भूल जाती हो कि यहां मोफत में कुछ नहीं मिलता।

मैं मेहनत करने को तैयार हूं लेकिन मुझसे-।

कल देखना यहां सैकड़ों बच्चे कंटेस्ट के लिए आएंगे। उसमें से एक दो का ही चुनाव होगा। फिल्मों में काम करने के लिए वे सब कुछ करने को तैयार रहेंगे। मैंने बिना टेस्ट लिए तुम्हारा सिलेक्शन कर लिया तो नक्शा मार रही हो। यहां छोटे मोटे रोल के लिए भी पापड़ बेलने पड़ते हैं। ये बड़ी बड़ी हिरोइनें ऐसे ही मुकाम तक नहीं पहुंची हैं। इसे पाने के लिए उन्होंने बहुत कुछ खोया भी है। धीरे धीरे फिल्म इंडस्ट्री में चलने वाले काले उजले धंधों से तुम्हें परिचित करा दूंगा। एक बार तुम्हें इंडस्ट्री में लांच कर दूं, फिर देखना तुम्हारे पास गाड़ियां होंगी, मैग्जीन न्यूज पेपर में खबरें छपेंगी, आटोग्राफ के लिए लोग तुम्हारे पीछे भागेंगे।

मैं उनकी बातें बड़े ध्यान से सुन रही थी। एक ओर फिल्मी दुनिया की चकाचौध दूसरी ओर रह रहकर छाती में उठने वाला दर्द, समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूं? मुझे चुप देखकर सलीम ने कहा- खूब सोच विचार लो, फिर कल आना।

परन्तु सर-।

अगर मगर परंतु यहां नहीं चलता। मुझे अभी भी समझ में नहीं आ रहा है कि तुम बीच में डांस छोड़कर क्यों चली गयी?

गाते समय आपने मेरी छाती-। मुझे अच्छा नहीं लगा।

अभी तक उसी बात को लेकर नाराज हो। छोटी छोटी बातों को लेकर बैठी रहोगी तो तुम्हें कौन काम देगा? यहां तो पग पग पर ऐसी बातों से सामना होगा। कभी प्रोड्यूसर को खुश करना होगा, कभी फाइनेंसर बुलाएगा, तब जाकर करोड़ों रूपए तुम्हारे ऊपर दांव पर लगाएगा। कभी हीरो की बाहों में, कभी होठों पर होठ, कभी हीरो तुम्हारे ऊपर, कभी तुम हीरो के ऊपर, डिमांड के अनुसार सब करना पड़ता है। किस किस को मना करोगी। याद रखो पद और शोहरत मुफ्त में नहीं मिलते। तुम्हारी चुप्पी देखकर मुझे लगता है तुमसे नहीं होगा। जाओ कॉलेज के ड्रामे में रोल करो। सुंदर हो, कोई अच्छा लड़का मिल जाएगा। शादी करके बच्चे पैदा करो। आए मौके को गवांकर केवल सपने देखो। जाओ यहां से, अब मैं और समय बर्बाद नहीं कर सकता।

सलीम के दिखाए सपनों ने मुझे पागल बना दिया। मैं उसकी हर बातें मानने लगी। उसके दिखाए सपने साकार होने लगे। आज मैं स्टार बन चुकी हूं। मेरे पास फिल्मों की कमी नहीं है। यहां तक पहुंचने के लिए मैंने कई बार अपने जमीर को बेचा है। यह केवल फिल्मी दुनिया तक सीमित नहीं है। हर क्षेत्र में पद और पैसों की लालच में अधिकतर महिलाओं का शोषण होता है। कुछ महिलाएं शोहरत पाने के लिए स्वयं को परोस देती हैं।

पैसे और पद का महत्व हमेशा रहा है लेकिन उसे पाने के लिए अपने तन को सौप देना जायज नहीं हो सकता। शोहरत और अपने पीछे भागते लोगों को देखकर खुशी होती है लेकिन कभी कभी मन में एक टीस भी उठती है। इसे पाने के लिए मैंने बहुत बड़ी कीमत चुकाई है। बार बार मेरे शरीर को नोचा, खसोटा गया। इसके लिए मैं खुद जिम्मेदार हूं। स्वार्थ सिद्धि के लिए चुप रही। अब मेरी आत्मा मुझे धिक्कारती है। घुटन होती है। अपनी पीड़ा को कम करने के लिए लोगों के सामने जोर जोर से चिल्लाना चाहती हूं। उन सफेदपोशों को सबके सामने नंगा करना चाहती हूं।

बार बार दिल में उठने वाले गुब्बारे को फोड़ने के लिए एक दिन मैंने पत्रकारों को बुलाया। दिल कठोर करके शोषण करने वालों के नाम उजागर कर दिए। फिर क्या था अगले दिन आरोप लगाने वालों की झड़ी लग गयी। अब तो रोज नए नए केस आने लगे। अब जाकर मेरी आत्मा को कुछ शांति मिली है।

                                                                                                                                                                                           प्रभाकर मिश्रा 

 

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