सिख समाज का उद्योग विकास में योगदान
शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसमें पंजाबियों ने प्रथम स्तर का योगदान न दिया हो। उद्योग क्षेत्र में भी देश एवं विश्व के कोने-कोने में इस समाज ने अपनी एक अलग और सम्मानजनक पहचान बनाई है।
शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र हो जिसमें पंजाबियों ने प्रथम स्तर का योगदान न दिया हो। उद्योग क्षेत्र में भी देश एवं विश्व के कोने-कोने में इस समाज ने अपनी एक अलग और सम्मानजनक पहचान बनाई है।
खालिस्तान के मामले को पाकिस्तान हमेशा से उकसावा देता रहा है। शुरुआती दौर में अमेरिकी सरकार ने भी उन्हें प्रश्रय दिया। वर्तमान में खालिस्तान की अवैध गतिविधियों के लिए कनाडा प्रमुख अड्डा बना हुआ है।
पंजाब के पानी की विशेषता है कि यहां पर हर मत को मानने वाले लोग सप्रेम रहते आए हैं। कुछ अवांछनीय तत्वों को यह मेलजोल बर्दाश्त नहीं हो पाता, परंतु उनकी संख्या मुट्ठी भर है। सिख और हिंदू समाज के बीच का यह प्रेम चिर स्थायी है और रहेगा।
अपनी स्थापना के पहले दशक में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पंजाब में संस्कृति एवं हिंदुओं की रक्षा हेतु कार्य शुरू कर दिया था। चाहे स्वर्ण मंदिर की रक्षा हो या विभाजन के समय शरणार्थियों की सुरक्षा, संघ सदैव प्रथम पंक्ति में खड़ा रहा। वर्तमान समय में सिख संगत उस परम्परा का पूर्ण वहन कर रहा है।
पाकिस्तान अपनी जमीन पर खालिस्तानी समूहों को पनाह दे रहा है। जबकि, सबको लगता है कि इसकी जड़ें उन देशों में हैं जहां सिख ज्यादा संख्या में रहते हैं। पाकिस्तान इनके माध्यम से भारत के सबसे समृद्ध हिस्से को अशांत रखने की कुत्सित मानसिकता का परिचय देता है।
फिल्म की बाहरी दुनिया जितनी चकाचौंध है अंदर से उतनी ही काली। अंधेरे से अनजान इसकी चमक से मोहित होकर हजारों युवक युवतियां यहां भाग्य आजमाने आते हैं। उनमें से एक मैं भी हूं। नाच गाने का शौक मुझे बचपन से था। ईश्वर ने मुझे सुंदर भी बनाया था। दर्पण में अपनी सुंदरता देखकर बहुत खुश होती थी, बड़े बड़े सपने देखती थी।
बंटवारे के बाद एक ओर भारत में मुसलमानों की संख्या बढ़ी, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान में हिंदुओं और सिखों की संख्या नगण्य रह गयी है। जो बचे हैं वे प्रताड़ना का शिकार होते हैं। अफगानिस्तान में तालिबान शासन आने के बाद बड़ी संख्या में सिखों को पलायन करना पड़ा।
पंजाब ने देश के विकास के हर क्षेत्र में योगदान दिया है। देश के प्रथम नागरिक, प्रधान मंत्री, क्रिकेटर समेत लगभग हर विधा के पारंगत व्यक्तित्वों ने इस प्रदेश का नाम देश ही नहीं पूरी दुनिया तक पहुंचाया है।
गुरुग्रंथ साहिब में सिख गुरुओं के अलावा देश के अन्य निर्गुण संतों की रचनाओं को भी स्थान प्राप्त है। इनमें महाराष्ट्र के महान निर्गुण संत नामदेव प्रमुख हैं। संत नामदेव और गुरु नानक देव के जीवन के कुछेक प्रसंगों में काफी साम्य भी मिलता है।
सीमावर्ती राज्य पंजाब में खालिस्तानी मूवमेंट एक बार फिर सिर उठा रहा है। भगवंत मान सरकार का कर्तव्य बनता है कि इस तरह की गतिविधियों पर रोक लगे ताकि वहां का माहौल न बिगड़ने पाए।
जो पंजाब कभी विकास की इबारत लिख रहा था, वहां के युवा अब खेती के प्रति उदासीन हो गये हैं एवं विदेश जाने की जुगत में लगे रहते हैं। पाकिस्तान से आ रही नशे की खेप भी उनके विकास को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।
वर्तमान समय में, जबकि पंजाब में खालिस्तान का मुद्दा फिर से उठ रहा है, सिख संगत जैसी साझी विरासत को समझने तथा उसे बनाए रखने वाली संस्थाओं का महत्व बढ़ जाता है। हिंदी विवेक को दिए साक्षात्कार में सिख संगत के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरुचरण सिंह गिल ने इससे जुड़े विषयों पर अपनी राय रखी।