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जी-20 का भारतीय स्वरूप

जी-20 का भारतीय स्वरूप

by हिंदी विवेक
in ट्रेंडींग, देश-विदेश, विशेष, सितम्बर २०२३
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भारत के रूप में पहली बार कोई दक्षिण एशियाई देश जी-20 राष्ट्रसमूहों की अध्यक्षता कर रहा है। भारत ने इसकी वसुधैव कुटुम्बकम् वाली थीम से सम्पूर्ण विश्व को परिवार मानने की भारतीय परम्परा को आगे बढ़ाया है। वैश्विक द़ृष्टि से भारत के लिए यह बहुत बड़ी उपलब्धि है।

16 नवम्बर, 2022 को जी-20 बाली शिखर सम्मेलन में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को जी-20 की अध्यक्षता सौंपने के साथ ही वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत का नव्य-भव्य क्रांतिकारी स्वरूप देखने को मिला। पिछले वर्ष से जी-20 की भारतीय संकल्पना पर आधारित विभिन्न बैठकों का क्रम चलता रहा। इसमें इन देशों के मंत्रियों से लेकर प्रमुखों एवं कार्यसमूह के प्रतिनिधियों ने सहभागिता निभाई। भारत जी-20 के अध्यक्ष के रूप में 30 नवम्बर 2023 तक इसका नेतृत्व करेगा। वहीं दिल्ली जी-20 राज्य प्रमुखों और सरकार के प्रमुखों का 18 वां शिखर सम्मेलन 9 से 10 सितम्बर तक आयोजित होने जा रहा है। इसमें जी-20 प्रक्रियाओं और मंत्रियों, वरिष्ठ अधिकारियों और नागरिक समाजों के मध्य वर्षभर आयोजित होने वाली बैठकों का समापन होगा। नई दिल्ली में शिखर सम्मेलन के समापन पर जी-20 नेताओं की घोषणा को स्वीकार किया जाएगा, जिसमें सम्बंधित मंत्रिस्तरीय और कार्यकारी समूह की बैठकों के दौरान चर्चा और सहमति प्राप्त प्राथमिकताओं के प्रति नेताओं की प्रतिबद्धताओं को उल्लेखित किया जाएगा।

पूर्व में 8 नवम्बर, 2022 को प्रधान मंत्री मोदी ने जी-20 लोगो लॉन्च किया था और भारत की जी-20 अध्यक्षता थीम- वसुधैव कुटुम्बकम् यानी – वन अर्थ – वन फैमिली – वन फ्यूचर का अनावरण किया था। यह श्लोक महोपनिषद के प्राचीन संस्कृत पाठ से लिया गया है। इसके मूल में भारत की ‘व्यष्टि-समष्टिपरमेष्ठि’ और ‘यत् पिण्डे-तत् ब्रह्माण्डे’ के साथ ही ‘आत्मवत् सर्वभूतेषु’ की कल्याणकारी भावना एकात्मकता के साथ अंतर्निहित है। वहीं जी-20 प्रतीक चिह्न ( लोगो) को भी भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रंगों में डिजाइन किया गया है। यह भारत के पृथ्वी-समर्थक दृष्टिकोण और चुनौतियों के मध्य विकास की श्रेष्ठ भारतीय संकल्पना को प्रस्तुत करता है। भारत को अध्यक्षता मिलने पर प्रधान मंत्री मोदी ने अपने उद्बोधन में भारत की रीति-नीति स्पष्ट करते हुए कहा था- भारत की जी-20 प्रेसीडेंसी एकता की इस सार्वभौमिक भावना को बढ़ावा देने के लिए काम करेगी। इसलिए हमारा विषय है- ‘एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य।

भारत के लिए अमृतकाल के शुभारम्भ के अवसर पर जी-20 की अध्यक्षता मिलना निश्चय ही भारत की स्वतंत्रता के शताब्दी वर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। प्रधान मंत्री मोदी ने अमृतकाल में जिस स्वत्व-स्वधर्म-स्वाभिमान आधारित ‘स्व’ के राष्ट्रबोध को जाग्रत किया है, उसका प्रतिबिम्ब जी-20 के स्वरूप में पिछले एक वर्ष से सतत दिखाई दे रहा है।

भारत जी-20 के अध्यक्ष के रूप में 32 विभिन्न कार्यधाराओं में आयोजित होने वाली 50 से अधिक भारतीय नगरों में 200 से अधिक बैठकों को अपनी अध्यक्षता के साथ ही पूरा करने पर जुटा हुआ है। इसमें अब तक आयोजित हुई बैठकों तथा शिखर सम्मेलनों में जी-20 प्रतिनिधि, अतिथि देश, विशेष आमंत्रित देश एवं अंतरराष्ट्रीय संगठन सम्मिलित होते आ रहे हैं। भारत ने इन बैठकों के माध्यम से अपने देश की विविधता में एकता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से समूचे विश्व का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रहा है।

जी-20 के मंच से भारत ने वर्षभर जीवन के विविध क्षेत्रों में भारत के मूल्यों, विचारों, दृष्टि-सृष्टि, दर्शन- प्रदर्शन और तकनीक के साथ मानवता को समृद्ध करने वाली वैचारिकी से परिचित करवाया और भारत की सांस्कृतिक दृष्टि एवं गौरवशाली विरासत के साथ भारत की सर्वसमावेशी-समन्वपूर्ण-लोकतान्त्रिक मूल्यों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता के कार्यों-विचारों का विश्व को प्रत्यक्ष अनुभव करवाया।

मई 2023 में जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में जी-20 के पर्यटन समूह की बैठक-शिखर सम्मेलन आयोजित कर भारत ने जहां समूचे विश्व की चिंताओं पर वैचारिक मंथन का नेतृत्व किया। वहीं भारत ने कश्मीर में धारा 370 की समाप्ति के बाद आतंकवाद, अलगाववाद के दंश से मुक्ति के साथ वहां आए नव परिवर्तनों, प्रगति एवं विकास से समूचे विश्व को परिचित करवाया था। इसके साथ ही कश्मीर से भारत ने अपनी रणनीति एवं कूटनीति की स्पष्ट मुनादी कर दी थी। और इस मंच से भारत ने चीन पाकिस्तान सहित विश्व को स्पष्ट संदेश दिया कि- कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और रहेगा। साथ ही कश्मीर पर मानवाधिकारों के नाम पर अनर्गल बयानबाजी करने वाले विश्व के विभिन्न देशों के राजनेता भी अब चुप हो जाएं। इसके लिए भारत जी-20 का सम्मेलन आयोजित कर एक तीर से कई निशाने साधने में सफल रहा। सामरिक-रणनीतिक-कूटनीतिक स्तर पर कश्मीर में सम्पन्न बैठक विशेष रेखांकित करने वाली है।

प्रधान मंत्री मोदी की दूरदर्शिता एवं विश्व कल्याण के मूल्य पर आधारित महान ध्येय को निरंतर वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में स्वीकार्यता मिलती रही है। यह उसी दृष्टि का परिणाम रहा है कि- विश्व योग दिवस से लेकर मोटे अनाज के अंतरराष्ट्रीय वर्ष की घोषणा हुई। भारतीय जीवन पद्धति का अभिन्न अंग रहे ‘मोटे अनाजों’ को श्रीअन्न के रूप में आज विश्व में फिर से नई पहचान मिली है। इसके साथ ही विश्व अब भारतीय जीवनादर्शों-जीवनशैली में वैज्ञानिक अनुसंधान करते हुए, उसकी श्रेष्ठता को स्वीकार कर रहे हैं। और सबको भारत के रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित कर रहा है। किसी भी राष्ट्र के लिए इससे बड़ी सुखद अनुभूति भला और क्या हो सकती है। अब विश्व स्वमेव भारत के नेतृत्व को सर्वमान्य रुप से स्वीकार कर रहा है।

वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 85%, वैश्विक व्यापार का 75% से अधिक और विश्व जनसंख्या का लगभग दो-तिहाई प्रतिनिधित्व करने वाले जी-20 सदस्य देशों के बीच भारत ने नवपरिवर्तनकारी विजन एवं मिशन प्रस्तुत किए। भारत ने केवल भौतिक उन्नति एवं समृद्धि को ही नहीं बल्कि आध्यात्मिक एवं नैतिक उन्नति के विचारों को भी जी-20 की संकल्पना में समाहित कर प्रस्तुत किया। जी-20 में शामिल देश अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका ,तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ हैं। साथ ही भारत द्वारा विशेष आमंत्रित अतिथि देशों बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात को भारत ने अपनी सांस्कृतिक दृष्टि के साथ जी-20 समूह की संकल्पना में सभी की भागीदारी सुनिश्चित की। जी-20 की अध्यक्षता करते हुए वैश्विक नेतृत्वकर्ता के रूप में भारत ने यह सिद्ध किया कि- विश्व के कल्याण के लिए भारत की दृष्टि पर चलना, प्राच्य और पाश्चात्य के मेल के साथ उन्नति एवं मानव जीवन के साथ प्राणीमात्र के प्रति भारत का

सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः

सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित् दुःख भाग्भवेत् ॥

यह मूल्यबोध ही दिशा प्रबोधन करेगा।

  – कृष्ण मुरारी  त्रिपाठी ‘अटल’

 

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