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युवा आदर्श महानगर

युवा आदर्श महानगर

by डॉ. दिनेश प्रताप सिंह
in विशेष, सामाजिक, सितम्बर २०२३
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भारत सरकार की शहरी विकास की नीति आगामी कई दशकों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। स्मार्ट सिटी के विकास की संकल्पना जुड़वा शहर को केंद्र में रखकर तैयार की गई है। जिस तरह से देश के सभी महानगरों के समीप उपनगर के विकास की गति है, उसमें मुंबई और नवी मुंबई की बसाहट एक ‘मॉडल’ के रूप में है।

ऐतिहासिक एवं सामरिक दृष्टि से नवी मुंबई एक महत्वपूर्ण स्थान है। वर्ष 1500 ईस्वी में सिद्दियों ने व्यापार और सुरक्षा की दृष्टि से बेलापुर में किले का निर्माण कराया। वर्ष 1682 में इस किले पर पुर्तगालियों ने अधिकार कर लिया। इसके लगभग 50 वर्षों के पश्चात ही मराठों ने चिमाजी अप्पा के नेतृत्व में जंजीरा किले पर कब्जा कर लिया। इसके आगे वर्ष 1817 तक यहां पर मराठों का एकाधिकार बना रहा। 13 जून सन 1817 को ईस्ट इण्डिया कंपनी और मराठों के बीच हुए संघर्ष में यह किला मराठों के हाथ से निकल गया। यही बेलापुर आज नवी मुंबई का केंद्र है। सभी प्रमुख कार्यालय, व्यवसाय, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठान और उद्यम यहीं पर हैं। इसे सीबीडी-सेंट्रल बिजनेस डिस्ट्रिक कहां जाता है।

किसी भी महानगर के विस्तार की एक प्राकृतिक प्रक्रिया होती है। महानगर के किनारे ग्रामीण भाग में जो नई बसाहत होती है उसे नगर उपान्त कहा जाता है। यह न तो पूरी तरह से नगरीय  भाग होता है और न ग्रामीण। इसे बस्तियों का संक्रमण क्षेत्र कहा जा सकता है। प्रारंभिक अवस्था में नवी मुंबई महानगर का उपान्त ही था। यहां भी आवास, पानी, स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छता, रोजगार, सड़क इत्यादि का अभाव था किंतु सुनियोजन के आधार पर धीरे-धीरे विकास कार्य को आधुनिक रूप दिया जाने लगा। बहुत जल्दी ही यह पश्चिमी देशों की शैली का शानोशौकत और सुविधाओं की कामना रखने वालों के आकर्षण का केंद्र बन गया। संभ्रांत और धनी लोगों ने मुंबई महानगर की भीड़भाड़ और भागमभाग से निजात पाने के लिए नवी मुंबई की ओर जाना शुरू किया।

हाउसिंग विकास का राजनीति से गहरा संबंध होता है। महाराष्ट्र की सरकार ने नवी मुंबई में पश्चिमी देशों के नगरों वाली सुविधाएं उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया और उसे पूरा भी किया, इसलिए विदेशों में बसे भारतीयों ने मुंबई में अपना घर बसाने की इच्छा को नवी मुंबई में घर लेकर पूरा किया। यहां की प्रतिष्ठित एन.आर.आई. कॉलोनी इसका प्रमाण है। विदेशों में बसे भारतीयों ने नवी मुंबई को संवारने में कम योगदान नहीं किया है। शासन के प्रयास से नवी मुंबई आज शहरी परिवर्तन की मिसाल बन गया है, जो शहरीकरण, सामाजिक बदलाव, आधुनिकीकरण, व्यवसायीकरण, रोजगार के अवसर, औद्योगिकरण इत्यादि में देश ही नहीं, दुनिया के नए शहरों में गिना जाता है।

नवी मुंबई के अंतर्गत बेलापुर, नेरुल, तुर्भे, वाशी, कोपरखैरने, घनसौली, ऐरोली, दीघा, सानपाडा, जुईनगर, कामोठे, खारघर, कलम्बोली, द्रोणागिरी, उल्वे, तलोजा, पनवेल इत्यादि उपनगर बसाए गए हैं। यह सभी आवासीय, व्यावसायिक, औद्योगिक और शैक्षणिक केंद्र भी है।

सेक्टरों में विभाजित वसाहत में व्यवस्थित आवास है। अधिकांशत: बहुमंजिला इमारतों के कॉन्प्लेक्स बने हैं जो सभी प्रकार की नागरिक सुविधाओं यथा क्लब, बाल उद्यान, सांस्कृतिक कार्य, जिमखाना, स्विमिंग पूल, पार्किंग इत्यादि से सुसज्ज है। वर्तमान समय में मुंबई की सबसे बड़ी सब्जी, फल और फूलों की मंडी वाशी में है, जहां पर दूर-दूर से ट्रकों में सामान आता है।

शासन के अंतर्गत आने वाले महामंडलों के बड़े कार्यालय, कारपोरेट जगत के कार्यालय, उद्योगों के मुख्यालय, मुंबई से स्थानांतरित होकर सीबीडी बेलापुर, वाशी, खारघर इत्यादि में पहुंच गए हैं। सानपाड़ा सभी मीडिया हाउसों का नया केंद्र बन गया है। टाइम्स ऑफ़ इंडिया, इंडियन एक्सप्रेस, सामना, विवेक के बड़े-बड़े भवन बन गए हैं।

वर्तमान समय में नवी मुंबई इंजीनियरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट, लो इंडस्ट्रियल एजुकेशन, मरीन इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस की शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र बन कर उभरा है। अत्यधिक उन्नत एवं उच्च तकनीक से सुसज्ज अस्पताल मुंबई की भीड़ से हटकर यहां खुले हैं।

खारघर में टाटा कैंसर अस्पताल का एक अंग अत्याधुनिक अस्पताल के रूप में खुला है। ठाणे से सटे एरोली से लेकर नेरुल तक की पट्टी और तलोजा, तुर्भे, कलंबोली इत्यादि आईटी उद्योग, व्यापार, बैंक सर्विस सेक्टर का केंद्र बन गया है। दुनिया की अनेक सर्विस प्रोवाइडिंग कंपनियों, मोबाइल और कंप्यूटर क्षेत्र की कंपनियों के कार्यालय यहीं पर बने हैं।

जानकर आश्चर्य होगा कि जवाहरलाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट जेएनपीटी यहीं पर स्थित है। देश का सबसे अधिक कंटेनर्स में भरा माल जलमार्ग से विदेशों में भेजा जाता है। तुर्भे, तलोजा और कलंबोली सड़क मार्ग पर व्यापार के बड़े केंद्र बने हैं। मुंबई की मंडी में भीड़ और ट्रकों के आवागमन में आई कठिनाई को दूर करने के लिए सैकड़ों ट्रांसपोर्ट कंपनियों ने अपने व्यवसाय का केंद्र इन उपनगरों में स्थानांतरित कर लिया है। बड़े बड़े उद्योगों के गोदाम और वेयरहाउस इन केंद्रों में बनाए गए हैं।

नवी मुंबई केवल नाम से ही नहीं बल्कि सुविधा की दृष्टि से भी आधुनिक है। मुंबई के उपनगरों ठाणे, कल्याण, पनवेल, डोंबिवली इत्यादि से सीधे जुड़ा होने के कारण नवी मुंबई में आवागमन की उत्तम सुविधा है। चाहे ठाणे बेलापुर रोड के इर्द-गिर्द बसे 3000 से अधिक ब्लू कॉलर वर्कस हों या फिर कोपरखैरने और ऐरोली के आईटी एग्जीक्यूटिव हों।

रेलवे की सुविधा के अभाव में किसी का भी आवागमन संभव नहीं है। विश्व का यह सबसे रुतबे वाला नया शहर सिड्को और रेलवे के सहयोग के बिना महत्वहीन बना रहता। वर्ष 1984 में सिडको ने जब अपनी बस सेवा बंद कर दी तब पूरा ध्यान रेलवे के नेटवर्क की ओर गया। रेलवे ने 6 कोरिडोर के अंतर्गत कार्य शुरू किया। नवी मुंबई के रेलवे स्टेशनों के विकास एवं निर्माण में सिड्को का बहुत बड़ा योगदान है। भारत के सबसे सुंदर और सुविधाजनक स्टेशनों में इनकी गिनती होती है। यह सभी स्टेशन व्यवसाय, सांस्कृतिक केंद्र और पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए गए है। रेलवे के साथ ही सड़क मार्ग का संजाल बना हुआ है।

भारत सरकार की शहरी विकास की नीति आगामी कई दशकों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। स्मार्ट सिटी के विकास की संकल्पना जुड़वा शहर को केंद्र में रखकर तैयार की गई है। जिस तरह से देश के सभी महानगरों के समीप उपनगर के विकास की गति है, उसमें मुंबई और नवी मुंबई की बसाहट एक ‘मॉडल’ के रूप में है।

मुंबई देश का औद्योगिक और व्यापारिक नगर तो है ही साथ में देश का कलानगर भी है। हिंदी सिनेमा का बड़ा केंद्र है। एक समय था जब मुंबई के पश्चिमी उपनगरों- बांद्रा, अंधेरी, गोरेगांव इत्यादि में कई प्रसिद्ध स्टूडियो हुआ करते थे। फिल्म निर्माण से जुड़े अन्य बहुत सारे काम वहां होते थे। मुंबई में बढ़ती आवासीय मांग के आगे खाली जगह मिलना मुश्किल हो गया है। इसलिए सभी प्रमुख फिल्म निर्माता कंपनियां अपने स्टूडियो नवी मुंबई के पास बना रही हैं।

नवी मुंबई के पनवेल से लगे हुए ग्रामीण भाग से लेकर खोपोली-कर्जत तक कई बड़े-बड़े फिल्म स्टूडियो बन गए हैं। वहां पर फिल्मों की शूटिंग, बड़े एवं भव्य सेट बनाने के कार्य मेें बड़ी संख्या में लोगों की आवश्यकता होती है। उनकी जरूरत से जुड़ी वस्तुओं की आपूर्ति का बड़ा व्यवसाय शुरू हो गया है।

आज न केवल आवासीय दृष्टि से नवी मुंबई, मुंबई के एक विकल्प के रूप में तैयार है अपितु व्यवसाय, उद्योग, व्यापार, परिवहन और श्रमिकों की उपलब्धता की दृष्टि से भी महत्वपूर्ण होता जा रहा है। इसके अलावा जिस प्रकार से राजस्थान और गुजरात से आने वालों के लिए पश्चिमी उपनगर विरार, बोरीवली, गोरेगांव इत्यादि और बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, विदर्भ, कर्नाटक, दक्षिण भारत से आने वालों के लिए टिटवाला, कल्याण, अम्बरनाथ, डोंबिवली सुविधाजनक है। वैसे ही अब केरल, पश्चिमी कर्नाटक, गोवा और कोकण से आने वालों के लिए नवी मुंबई प्रमुख केंद्र बन गया है। कोंकण रेलवे के विकास के साथ ही पनवेल प्रमुख रेल स्टेशन बन गया है। कोंकण रेलवे कॉरपोरेशन लिमिटेड का मुख्यालय बेलापुर सीबीडी में है। इन्हीं सब कारणों से नवी मुंबई भविष्य का प्रमुख महानगर बनने की दिशा में अग्रसर है।

वर्तमान समय में सुनियोजित रूप से बसाए गए महानगरों चंडीगढ़, गांधीनगर, नोएडा, बेंगलुरु इत्यादि के साथ नवी मुंबई का नाम जुड़ गया है। ये महानगर न केवल अपने जुड़वा महानगरों के विविध प्रकार के दबावों को कम करने में मददगार हैं अपितु दुनिया के आधुनिक नगरों से प्रतिस्पर्धा करते हुए एक आदर्श नगर का स्वरूप प्रस्तुत करते हैं। नवी मुंबई इनमें सबसे युवा महानगर है, इसलिए इसके साथ अनेक संभावनाएं जुड़ी हुई हैं।

 

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