नवी मुंबई योजनागत तरीके से बसाया गया शहर है, इसलिए वहां पर परिवहन की समस्याएं न के बराबर हैं। परंतु भविष्य में बढ़ने वाली भीड़ के हिसाब से परिवहन के नवीन एवं पुरातन साधनों के विकास पर व्यापक कार्य चल रहा है, जो इस शहर की वैश्विक पहचान को व्यापकता देंगे।
महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई अरब सागर के तट पर स्थित भारत का एक खूबसूरत शहर है, जो कि उद्योगनगरी के नाम से भी जाना जाता है। इसके एक तरफ आसमान को छूती गगन-चुंबी जैसी इमारतें है तो दूसरी ओर अगम गहराई लिए सागर, जो इसकी शोभा को चार-चांद लगा देते हैं। मुंबई का ही एक उपनगर नवी मुंबई अपने आप में एक नियोजित शहर है जो महाराष्ट्र राज्य के कोंकण डिवीजन में मुंबई से सटा है। यहां की हरियाली और पहाड़ों से गिरने वाले झरने किसी का भी मन मोह लेने के लिए काफी हैं। देश की आर्थिक नगरी का हिस्सा होने के कारण इसकी उपयोगिता को कमतर नहीं आका जा सकता है। किसी भी देश तथा शहर का महत्व तब और अधिक बड़ जाता जब वहां पर आवा-गमन के साधन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों। दुनिया के किसी भी कोने में जाने के लिए आपको विभिन्न प्रकार के साधनों की आवश्यकता पड़ती है तथा परिवाहन और संचार एक ऐसा माध्यम है जिस पर सवार होकर कोई भी देश, शहर और समाज तरक्की को गति प्रदान करता है। मुंबई जैसी महानगरी को तीव्र गति प्रदान करने में यहां के यातायात साधनों का विशेष महत्व रहा है। आजादी से पहले और आजादी के बाद यातायात के साधनों का स्वरूप अवश्य बदलता रहा है, परंतु हम देखते हैं कि अंग्रेजों के आने के बाद इन साधनों में नई तकनीकी का विकास किया गया। क्योंकि अंग्रेज जब भारत आए तो उन्होंने इस शहर को अपना व्यापारिक केंद्र बनाया और आयात-निर्यात के लिए सामुद्रिक यातायात का सहारा लेने के साथ-साथ रेल के बारे में सोचना शुरू किया। समय बीतता गया और गोरों के मन में विचार चलता रहा इस प्रक्रिया को विस्तार देने का तभी 1832 में भारत में पहली रेल चलाने का विचार प्रस्तुत किया गया। उस समय भारत में गर्वनर-जनरल लॉर्ड हार्डिंग के प्रयासों से अंग्रेजों ने दो कम्पनियों ‘ईस्ट इंडियन रेलवे कम्पनी’ और ‘ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे’ का गठन किया। 16 अप्रैल 1853 का दिन था जब अंग्रेजों ने अपनी कल्पना को यथार्थ रूप प्रदान किया। उन्होंने बोरीबंदर रेलवे स्टेशन से ठाणे के बीच पहली रेल चलाकर अपनी प्रगति की राह को विस्तार दिया। धीमे-धीमे मुम्बई के इलाकों में पटरियों का जाल बिछने लगा। समय बीतने के साथ-साथ यातायात के और भी साधनों का अविष्कार होने लगा। इस प्रकार हम देखते हैं कि मुंबई का सबसे महत्वपूर्ण साधन लोकल ट्रेन, जिसे मुंबई की धड़कन कहना गलत नहीं होगा, घंटों का सफर मिनटों में तय करा देता है। मुंबई परिवहन की अति संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करते हुए अब हम नवी मुंबई के परिवहन सुविधाओं पर एक नजर डालेंगे।
नवी मुंबई का एक मजबूत बुनियादी ढांचा है। यह राज्य और देश के अन्य हिस्सों से जुड़ा हुआ है तथा मुंबई की तुलना में कम प्रदूषित है। शहर में एक अच्छी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली है, जिसमें एनएमएमटी, मुम्बई उपनगरीय रेलवे ट्रेन यात्रियों की सेवा करती है और इंट्रानोडल आवागमन के लिए ऑटो रिक्शा का बड़ा बेड़ा है। यहां से ‘मुम्बई-पुणे एक्सप्रेसवे’ नवी मुंबई के कलंबोली से शुरू होता है। मुम्बई ट्रास हार्बर लिंक (एमटीएचएल), जो सेवरी-न्हावा शेवा ट्रास के रूप में दक्षिण मुंबई को नवी मुंबई से जोड़ने वाला 22 किलोमीटर लम्बा एक निर्माणाधीन फ्रीवे ग्रेट सड़क पुल है जो मुंबई और नगरी रेलवे नेटवर्क शहर के अधिकांश आबादी वाले क्षेत्रों को कवर करता है। सबसे महत्वपूर्ण उपनगरीय स्टेशन वाशी, नेरुल बेलापुर और पनवेल हैं, जिन्हें योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया है। पनवेल नवी मुंबई का एकमात्र मेन लाइन स्टेशन और सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशन है जहां पर सभी बाहरी ट्रेनें 5 से 20 मिनट तक की समान अवधि के लिए रुकती हैं इसकी वजह यह है कि सभी रेलवे लाइन यहां आकर मिलती हैं और यह भारत के लगभग सभी हिस्सों से जुड़ा हुआ है। कर्जत और पनवेल के बीच एक नई ब्रांड गेज लाइन चालू है। मुंबई के विभिन्न क्षेत्रों जैसे नवी मुंबई, थाने भिवंडी, कल्याण, डोंबिवली, बदलापुर, पनवेल के विभिन्न क्षेत्रों में इलेक्ट्रिकल सप्लाई एवं ट्रांसपोर्ट की बसें चलती हैं। एनएमएमटी नवी मुंबई से मुंबई, ठाणे और कल्याण-डोंबिवली के लिए एसी वोल्वो बसें चलाती है। नवी मुंबई का सबसे खूबसूरत हाईवे, जिसे पामबीच कहते हैं, 10 किलोमीटर लम्बी सड़क है जो वाशी को सीबीडी बेलापुर से जोड़ती है। ऑटो रिक्शा की सुविधा शहर भर में इंटर और इंटरनोडल सार्वजनिक परिवहन प्रदान करते हैं। नवी मुंबई में भारत का सबसे बड़ा कंटेनर टर्मिनल है जो न्यावा-शिवा में जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह सड़क और रेल मार्ग से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है और भारत के लगभग 56.13 प्रतिशत यातायात को सम्भालता है। छत्रपति शिवाजी महाराज अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा 30 किलोमीटर का निकटतम हवाई अड्डा है और नवी मुंबई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का निर्माण उल्वे के पास दक्षिणी पनवेल में किया ही जा रहा है। इसे सार्वजनिक और निजी भागीदारी के माध्यम से बनाया जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ) हवाई अड्डे को तकनीकी मंजूरी दे चुका है। एक निर्माणाधीन रैपिड ट्रांसिट सिस्टम है, जिसमें छ: लाइनों के नेटवर्क की योजना बनाई गई है। उसमें से चार लाइनों का निर्माण नवी मुंबई दक्षिण क्षेत्र में सिडको द्वारा किया जाएगा। मेट्रो प्रणाली की दूसरी और तीसरी लाइन का निर्माण क्रमश: एनएमएमसी और एमएमआरडीए द्वारा किया जाएगा। मेट्रो प्रणाली की पहली लाइन का निर्माण सिडको द्वारा किया जा रहा है। इस लाइन में तीन चरण शामिल हैं। पहले चरण में यह लाइन मुंबई उपनगरीय रेलवे पर सीबीडी बेलापुर स्टेशन और पेंडार गांव से जुड़ेगी। दूसरे चरण में लाइन तलोजा एमआईडीसी और खंडेश्वर मोड़ से जुड़ेगी और, तीसरे चरण में लाइन पेंडार और तलोजा एमआईडीसी मेट्रो स्टेशनों को जोड़गी।
इस प्रकार देखा जा सकता है कि नवी मुबई परिवहन की द़ृष्टि से बहुत ही अमीर है। यहां पर अभी तक के साधनों से किसी प्रकार की असुविधा नहीं होती तथा आने वाले समय में इस क्षेत्र में और अधिक विस्तार किया जा रहा है, जिससे आम लोगों के जीवन में जो चुनौतियां हैं वे पूरी तरह दूर हो सकें। उन्हें वह प्रत्येक सुविधाएं प्राप्त हो सकेगी जो साधनों के अभाव के कारण नहीं मिलती है। उन जगहों तथा क्षेत्रों को भी लाभ मिलेगा जहां अभी व्यापार, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाएं, मॉल घर आदि नहीं हैं।
डॉ. रश्मि कुमारी