किसी शहर के नैसर्गिक विकास के लिए उस शहर मात्र में शिक्षा के संस्थानों का होना अत्यावश्यक है। यही संस्थान उस शहर के लिए बेहतरीन मानव श्रम उपलब्ध कराते हैं। नवी मुंबई शहर में शिक्षा संस्थानों की व्यापक श्रृंखला विद्यमान है। यहां पर स्वस्थ एवं समृद्ध साहित्य परम्परा भी पुष्पित-पल्लवित हो रही है।
विकास एक नैसर्गिक प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत अच्छी बुरी सभी चीजें विकसित होती हैं जैसे कि जंगल। यदि हम इस प्रक्रिया में अपने प्रयास, अपनी सोच और दूरदर्शिता को समावेशित कर लें तो इस विकास की परणति होती है एक सुंदर, आकर्षक व मनमोहक बाग के रूप में।
हमारी नित्य-प्रति की आवश्यकताओं ने जन्म दिया बाजार को, जो बढ़ते-बढ़ते व्यापारिक केंद्रों और कालांतर में नगरों में तब्दील हो गये। इन नगरों के विकास का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु था मूलभूत नागरिक सुविधाओं का होना जिसने कि शहरीकरण के प्रति लोगों को तेजी से आकर्षित किया। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, कानपुर, अहमदाबाद, आदि-आदि तमाम नगर हमारी विकास यात्रा के प्रमुख पड़ाव बन गये। बढ़ती जनसंख्या के दबाव और अनियोजित विकास के चलते धीरे-धीरे इनका स्वरूप बिगड़ने लगा और मूलभूत नागरिक सुविधाएं बाधित होने लगी। ऐसे में इन नगरों पर बढ़ रहे दबाव को कम करने के लिए नए नगरों के सुनियोजित निर्माण की आवश्यकता महसूस की गयी, जिसके सबसे बड़े उदाहरण बने नई दिल्ली, चंडीगढ़, नवी मुंबई आदि।
आजादी के बाद गढ़े गए सुनियोजित नगरों में सबसे बड़ा और सबसे प्रमुख नाम है ‘नवी मुंबई’। किसी भी नगर के विकास के लिए जितना महत्वपूर्ण उसका ळपषीर्रीीीींर्लीीींश होता है उससे कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण होता है उसका र्लीर्श्रीीींश और यह र्लीर्श्रीीींश ही सही मायने में उस नगर के विकास की गति एवं प्रतिष्ठा को सुनिश्चित करता है।
मूलभूत नागरिक सुविधाओं से सुसज्जित, अपने उत्कृष्ट इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ प्रगति के पथ पर तेजी से विकसित हो रहे 21वीं सदी के सुनियोजित नगर नवी मुंबई की सबसे महत्वपूर्ण पहचान है ‘शिक्षा, साहित्य एवं सांस्कृतिक रूप से उसकी संपन्नता’। समाज को बदलने में शिक्षा व साहित्य का योग होता है। साहित्यिक कर्म, सांस्कृतिक कर्म का संयोग होता है। कल्पना सर्जन का आधार है। साहित्य समाज का व्यवहार है, समाज का दर्पण है जिसमें उसका प्रतिबिम्ब अपने यथार्थ रूप में उभरकर सामने आता है। साहित्य अस्मिता की पहचान कराता है। सामूहिक, सामाजिक, व्यक्तिगत आधान कराता है। संस्कृतियां और समाज लगातार बदलते रहते हैं। ये सदैव शिक्षा और साहित्य के अनुरूप चलते हैं।
अपने उत्कृष्ट शिक्षा संस्थानों एवं शैक्षणिक वातावरण के चलते नवी मुंबई आज पूरे देश में एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में जाना जाता है। आज सम्पूर्ण नवी मुंबई में जूनियर कॉलेज से लेकर मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, आर्किटेक्चरल कॉलेज, फैशन टेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट, आर्ट्स एंड साइंस कॉलेज समेत तमाम विषयों के शिक्षा संस्थानों का एक सुंदर जाल सा बिछा हुआ है। इन उत्कृष्ट शिक्षा संस्थानों का लाभ जहां एक ओर यहां के निवासी उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर देश-विदेश से उच्च शिक्षा हेतु आने वाले छात्रों को भी इसका लाभ प्राप्त हो रहा है। विश्व स्तर पर नवी मुंबई की ‘इमेज ब्रांडिंग’ में इन शिक्षा संस्थानों का अप्रतिम योगदान रहा है।
शिक्षा के साथ ही जो एक और विषय प्रमुखता से जुड़ता है, वह है ‘साहित्य’। शिक्षा जनित ज्ञान समाज सहजता से अंगीकार कर सके, उसके लिए साधन निर्माण का कार्य अपनी विविध विधाओं के माध्यम से करता है ‘साहित्य’। शिक्षा के साथ साहित्य के जुड़ाव से ही हमारी पहचान विनिर्मित होती है। नवी मुंबई के विकास की अवधारणा और तद्नरूप उसके विकास क्रम को देखते हुए हम इसे मूर्तिमान भारत कह सकते हैं। यहां भारत के प्रत्येक भू-भाग की संस्कृतियों की झलक हम सहज रूप से देख सकते हैं। विविधता में एकता का अप्रतिम उदाहरण यहां हमें देखने को मिलता है। यही सांस्कृतिक चेतना हमारे साहित्य को आधार प्रदान करती है। बात करें नवी मुंबई की तो ये पुराना नगर नहीं अपितु योजनाबद्ध तरीके से बसाया जा रहा एक नया नगर है, जहां अलग-अलग जगहों से लोग अपनी साहित्यिक एवं सांस्कृतिक विरासत के साथ आकर बस रहे हैं। ऐसे में हमें नवी मुंबई में मराठी और हिंदी के साथ ही अन्य भाषाओं का भी सौहार्द्र एवं सुरुचिपूर्ण साहित्यिक वातावरण सहज ही देखने को मिल जाता है।
दरअसल ये बहुसांस्कृतिक साहित्य समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह साहित्य विभिन्न सांस्कृतिक विरासतों, ट्रेडिशंस, इतिहास, कला और संस्कृति के प्रति जागरूकता पैदा करता है। बहुसांस्कृतिक साहित्य के माध्यम से समाजिक स्तर पर एक विस्तृत दृष्टिकोण विकसित होता है जो लोगों को अपने स्थानीय समाज और संस्कृति के साथ ही अन्य संस्कृतियों के साथ एक संयोजन बनाने में मदद करता है। इसके अलावा, अलग-अलग सांस्कृतिक साहित्य शिक्षा में उच्चतम शिक्षात्मक मानकों को समझाने में मदद करता है। ये हमें विभिन्न विचारों और मतों के प्रति समझदार बनाता है। इस प्रकार भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के साहित्यक विनिमय से हमें संस्कृति के विभिन्न आयामों को समझने और उनसे जुड़े मुद्दों पर विचार करने की क्षमता प्राप्त होती है।
आज विभिन्न भारतीय भाषाओं एवं संस्कृतियों की तमाम उत्कृष्ट साहित्यिक संस्थाएं एवं स्वनामधन्य साहित्यकार इस नगर की पहचान हैं। यह साहित्य की ही देन है कि नवी मुंबई की पहचान एक शांत एवं जागरूक और जिम्मेदार ‘नगर’ के रूप में होती है। शिक्षा और साहित्य का योगदान कैसे किसी नगर को महत्वपूर्ण बना देता है इसका एक अप्रतिम उदाहरण है, यह नवी मुंबई।
अरविन्द शर्मा ‘राही’