किसी भी शहर के मानसिक विकास के लिए वहां पर पुस्तकालय का होना अत्यावश्यक है। वाशी स्थित साहित्य मंदिर वाचनालय नवी मुंबई शहर की इस कमी को पूरा करता है। इसके विकास में वहां के लोकप्रिय नेता गणेश नाईक से लेकर आम जन का सहयोग समाहित है। इसके अंतर्गत नाट्यगृह का संचालन भी किया जाता है।
गत 4 दशकों से अधिक समय से नवी मुंबई में मराठी साहित्य, संस्कृति व कला मंडल को प्रोत्साहित करने में साहित्य मंदिर संस्था का महत्वपूर्ण योगदान है। लोगों से संवाद साधते समय साहित्य-कला जैसे विषयों के लिए कुछ करना चाहिए, यह मन में लगने लगा। इसी कारण हमने संस्कृति कला मंडल संस्था की स्थापना की।
पांच दिवसीय व्याख्यानमाला के द्वारा इस संस्था का प्रत्यक्ष कार्य शुरू हुआ। इस व्याख्यानमाला के माध्यम से हमें सुहासिनी मूलगांवकर, विश्वास मेहेंदले, बालासाहेब ठाकरे, विं.दा. करंदीकर, वसंत बापट, मंगेश पाडगावकर जैसे प्रसिद्ध वक्ताओं को सुनने का लाभ मिला।
ऐसे कार्यक्रम करने के लिए जगह हेतु सन 1982 में हमने 1082 स्क्वायर मीटर का एक भूखंड सिडको से प्राप्त किया, अर्थात खरीदा। उसके लिए हमें अनेकों ने बिना शर्त आर्थिक सहायता दी। इस पर व्यावसायिक नाटक के लिए योग्य रंगमंच तथा उसके दोनों ओर एक-एक कमरा बनाने का निश्चय किया गया। इसके बाद 1995-1996 में हमें मिले भूखंड पर एक सभागृह निर्माण करने का प्रस्ताव आया और वैसा करने का निर्णय भी हुआ। इस काम में 25 लाख खर्च होने थे। संस्था के पास केवल 1लाख थे। सदस्यों से बिना ब्याज के 19 लाख रुपए वापस करने की शर्त पर जमा किए गए। बाकी के 5 लाख रुपए सिद्धिविनायक ट्रस्ट की ओर से दान के रूप में प्राप्त हुए। सिद्धिविनायक ट्रस्ट के संचालक सुरेश प्रभु का इस काम में सहयोग सराहनीय था। इसी में से बंद सभागृह (क्लोज्ड ऑडिटोरियम) का निर्माण हुआ। धीरे धीरे विविध कार्यक्रमों के लिए यह सभागृह किराए से देना प्रारम्भ हुआ। इस जगह व्यावसायिक नाटकों के नाट्य प्रयोग होने लगे।
सभागृह को वातानुकूलित बनाने, नई कुर्सियां लगाने एवं हाल की सजावट पर करीब 65 लाख खर्च होने का अनुमान था। उस समय के पालक मंत्री गणेश नाईक ने दानस्वरूप 19 लाख रुपए प्राप्त कराकर संस्था को दिए। संस्था की उपाध्यक्ष प्रोफेसर अश्विनी बावलकर ने व्यक्तिगत रूप से 12 लाख रुपए दान में दिए। इस कारण ही यह 425 कुर्सियों वाला अद्यतन सभागृह आपके सामने खड़ा है।
संस्था द्वारा चलाए जा रहे उपक्रमों में भजन कीर्तन इत्यादि कार्यक्रमों का समावेश है। यहां संस्था द्वारा चलाए जाने वाले वाचनालय का उल्लेख करना आवश्यक है। शासन की ‘ए’ कैटेगरी में शामिल यह वाचनालय नवी मुंबई का सबसे बड़ा वाचनालय है। करीब 900 लोग इसके सदस्य हैं। आज हमारी संस्था सम्पूर्ण नवी मुंबई में बड़ी शान से, सिर ऊंचा कर कार्य कर रही है। यही हमारी सच्ची ताकत है, सबसे बड़ी उपलब्धि है, ऐसा निश्चित ही कहा जा सकता है।
सुभाष कुलकर्णी