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आत्मनिर्भर शहर नवी मुंबई  – सुरेश हावरे

आत्मनिर्भर शहर नवी मुंबई – सुरेश हावरे

by धर्मेन्द्र पाण्डेय
in साक्षात्कार, सामाजिक, सितम्बर २०२३
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किसी शहर का विकास तभी पूर्ण माना जा सकता है, जब वहां पर आम लोगों के लिए सुविधाजनक घर उपलब्ध हों। नवी मुंबई ऐसा ही शहर है, तथा इसकी सफलता के पीछे गणेश नाईक, सिडको का योगदान रहा है। नवी मुंबई में जनसामान्य की निवास सुविधा हेतु हावरे प्रापर्टीज का भी योगदान रहा है। हिंदी विवेक के साथ बातचीत के दौरान हावरे प्रापर्टीज के चेयरमैन सुरेश हावरे ने सभी प्रमुख मुद्दों पर प्रकाश डाला।

नवी मुंबई के हाउसिंग और इंफ्रास्ट्रक्चर क्षेत्र को चमत्कारिक रूप से आगे ले जाने वाले समूहों में हावरे प्रापर्टीज और आपका नाम अग्रणी रूप में लिया जाता है। आपकी संस्था में ऐसी कौन सी विशेषताएं हैं, जिस कारण आपकी संस्था का नाम इस क्षेत्र में लिया जाता है?

हावरे प्रापर्टीज ने नवी मुंबई में 55000 घरों का निर्माण किया है। हमने घरों की उच्च गुणवत्ता का हमेशा ख्याल रखा है ताकि वहां पर रहने वालों की 3-4 पीढ़ियां रह सकें। इनके अलावा हमारा पूरा ध्यान इस बात पर रहा कि लोग अपने बजट के अंदर घर पा सकें। उदाहरण के तौर पर, अब डेवलपर्स ने वन रूम किचन बनाना छोड़ दिया है, लेकिन हम अभी भी बना रहे हैं।लक्जरी हाउसिंग की ओर हावरे प्रापर्टीज का ध्यान कम रहा है। हमारा ध्येय रहा है, सर्व सामान्य का घर का स्वप्न पूर्ण करना। इसीलिए नवी मुंबई में हमारी एक अलग पहचान है।

 लोग ज्यादा से ज्यादा लाभ के लिए बिजनेस करते हैं लेकिन आपके व्यवसाय में सेवा का भाव छिपा है। इसका मूल क्या है?

बीएसटी के साडे पांच हजार ड्रायवर, कंडक्टरों के और साडे तीन सौ वीर जवानों को सस्ते दामों मे घर दिया। सामाजिक कार्य करने के लिए आपको जंगल, पहाड़ या गांव-देहात में जाने की आवश्यकता नहीं है। आप जहां हैं, वहीं पर इस तरह के कार्य कर सकते हैं। हमने सब्जी विक्रेता, फल विक्रता, वड़ापाव की रेहड़ी लगाने वालों, दूध बेचने वालों, पुलिया के अंदर रहने के लिए मजबूर लोगों, घरेलू काम करने वाली महिलाओं को उनके हिसाब से घर बनाकर दिए हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों के पास पैसे ही नहीं थे। हमने उनसे केवल 5% पैसा लिया। बाकी की राशि का उन सबको लोन दिलवाया। इनके पास बैंक खाते न थे, इन्होंने कभी लोन नहीं लिया था और इन्हें लोन देने के लिए कोई तैयार भी नहीं था। हमने अपनी फायनेंस कम्पनी से इन्हें लोन दिया। उस समय अन्य डेवलपर्स ने हमें मूर्खता की श्रेणी में डाल दिया था। वे हमारा मजाक उड़ाते थे कि हमें बिजनेस करना नहीं आता। बिजनेस केवल लाभ के लिए किया जाता है। आप जो कर रहे हैं, वह बिजनेस नहीं है। ये सारे लोग आपको डुबाएंगे। मैं उन सबको जवाब देता था कि, मैंने निर्णय ले लिया है। इस राह पर मैं आगे बढ़ूंगा ही। आपके माध्यम से मैं बताना चाहूंगा कि, उनमें से किसी ने एक भी इंस्टालमेंट डुबाया नहीं। मेरा अनुभव है कि, गरीब आदमी किसी को फंसाता नहीं।

 नवी मुंबई के विकास के बारे में आपके क्या विचार है?

मुंबई शहर की बढ़ती जनसंख्या को विस्तार देने और उस बोझ को कम करने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने सिटी एंड डेवलपमेंट कारपोरेशन(सिडको) बनाया। उसके अंतर्गत नवी मुंबई के निर्माण की रूपरेखा बनी। इसके तहत 95 गांवों की जमीन का अधिग्रहण किया गया। सिडको और गणेश नाईक इस शहर के शिल्पकार है। इन्होंने इस शहर को सुनियोजित तरीके से बसाया है। सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत, सड़क, यातायात, ड्रैनेज, अस्पताल, स्कूल-कालेज, बाजार, गार्डेन, प्ले ग्राउंड इत्यादि मूलभूत सुविधाओं का पूरी तरह से ध्यान रखा गया। नवी मुंबई महानगरपालिका देश की एकमात्र नगरपालिका है, जिसका अपना डैम है। नगरपालिका ने एक दूसरा डैम भी खरीदा है। वर्तमान ड्रैनेज व्यवस्था अगले तीस वर्षों तक आराम से चलेगी। यहां जमीन का 58% हिस्सा खुला है, जबकि केवल 42% हिस्से में निर्माण कार्य हुआ है। सड़क, रेल और जलमार्ग की बेहतर सुविधाएं हैं। राष्ट्रीय स्वच्छता सर्वेक्षण में नवी मुंबई का पूरे महाराष्ट्र में प्रथम स्थान है, जबकि देशभर में तीसरा स्थान। इसीलिए जो एक बार यहां रह लेता है, वह कहीं और बसना नहीं चाहता। आपको कहीं भी भाषा, प्रांत या धर्म के आधार पर बसी बस्ती नहीं दिखाई पड़ेगी। यहां एक मिनी इंडिया बसा हुआ है। इसीलिए नवी मुंबई में जातीय या धार्मिक फसाद की घटनाएं नहीं दिखायी पड़ती। इस शहर का सामाजिक और सांस्कृतिक विकास भी बेहतर ढंग से पुष्पित-पल्लवित हुआ है। निर्माण कार्य करते समय सिडको ने पुराने पेड़ों को कोई क्षति नहीं पहुंचायी है। पेड़ों को बचाने के लिए कई स्थानों पर रास्तों को मोड़ दिया गया है। यूं कहें कि विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण एवं उसके विकास पर पूरा ध्यान दिया गया है।

 विकास के साथ यहां पर जो इंडस्ट्री आई, उसके कारण कुछ प्रश्न भी खड़े हुए। उनके संदर्भ में आपकी क्या राय है?

नवी मुंबई के विकास से पहले ही यहां पर ट्रांस ठाणे क्रीक के रूप में इंडस्ट्रियल जोन उपस्थित था। ठाणे से लेकर बेलापुर और पनवेल तक का एरिया इंडस्ट्रियल बेल्ट था। अब वह एमआईडीसी के तहत कार्य कर रहा है। जैसे-जैसे लोग बसने लगे, यहां पर केमिकल फैक्ट्रियां कम होने लगी। इसलिए अब केमिकल इंडस्ट्री यहां पर न के बराबर है। उसकी जगह आईटी इंडस्ट्री ने ले ली है। काफी संख्या में डेटा सेंटर और कॉल सेंटर बने हैं। शापिंग मॉल आ गए हैं। 70 एकड़ में आइकिया की फ्रेंचाइजी आ रही है। यह एक इंडस्ट्रियल एवं कामर्शियल हब में बदल चुका है। रोजगार के नवीन अवसर बन रहे हैं। इसके विकास के समय सेटलाइट सिटी की जो अवधारणा बन रही थी, कि नवी मुंबई के रहिवासी रोजगार के लिए मुंबई जाएंगे, पूरी तरह बदल गई है। यह एक पूर्ण आत्मनिर्भर शहर बन चुका है।

 इन परिवर्तनों के कारण यहां आर्थिक ढांचे और जीवन शैली में क्या बदलाव होने वाले हैं?

अन्य खासियतों के अलावा नवी मुंबई एक एजुकेशनल सिटी भी है। यहां पर सौ से ज्यादा एजुकेशनल इंस्टीट्यूट विद्यमान हैं, जिनमें हर क्षेत्र की शिक्षा उपलब्ध है। बिजनेस सेंटर्स की संख्या काफी बढ़ गई है। आधुनिकीकरण और पश्चिमीकरण बढ़ा है। युवा पीढ़ी हर उस साधन का उपयोग एवं उपभोग कर रही है, जो देश-दुनिया के बड़े शहरों के युवा कर रहे हैं। खर्च करने की इच्छा एवं आदत बढ़ रही है। आने वाली पीढ़ी के लिए एक अपार सम्भावनाओं वाला शहर बन रहा है।

 कुछ लोग कहते हैं कि आने वाले समय में नवी मुंबई शहर मुंबई का स्थान ले सकता है। आप इससे कितना सहमत हैं?

मुंबई का स्थान कोई अन्य शहर नहीं ले सकता। मुंबई की मैग्नेटिक लाइफ अन्य किसी जगह पर नहीं आ सकता। उदाहरण के तौर पर बॉलीवुड को ही ले लीजिए। बहुतों ने अन्य नामों से उसका विकल्प बनाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाए। जिस प्रकार मुंबई से उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाला विद्यार्थी वापस नहीं आता, उसी प्रकार गांवों से मुंबई आने वाले लोग मुंबई छोड़कर जाना नहीं चाहते।

 शीघ्र ही नवी मुंबई इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुरू होने वाला है। शहर के विकास पर इसका क्या प्रभाव पड़ने की सम्भावना है?

कनेक्टिविटी के कारण नवी मुंबई के व्यापार में बहुत ज्यादा वृद्धि होगी। इसकी वजह से होटल, रेस्तरां, ट्रांसपोर्टेशन इत्यादि के क्षेत्र में बहुत ज्यादा मानव श्रम बल की आवश्यकता पड़ेगी। आगे चलकर मेट्रो के माध्यम से इसका जुड़ाव मुंबई से हो सकेगा जो कामर्शियल डेवलेपमेंट को तीव्रता प्रदान करेगा। पिछले 20 सालों से सभी भवन निर्माता लोगों को इस एयरपोर्ट के नाम पर ही घर बेचते आ रहे हैं। अब 2024 में एयरपोर्ट खुलने की सम्भावना है। उसके बाद यहां पर प्रापर्टी के भाव में भी काफी बढ़ोत्तरी की सम्भावना है। कुल मिलाकर चौतरफा विकास सम्भव होगा।

 भौतिक विकास के साथ सांस्कृतिक विकास का बचे रहना अत्यावश्यक है। नवी मुंबई के मामले में आपकी क्या राय है?

दोनों बातें हैं। बिखरी हुई भी हैं, टिकी हुई भी। सिडको ने नवी मुंबई के हर नोड में एक कम्युनिटी सेंटर बनाया है। वहां पर लाइब्रेरी, सोशल क्लब, इनडोर गेम, सीनियर सिटिजन क्लब, महिलाओं के क्लब जैसी एक्टिविटीज होती हैं। पनवेल और वाशी में नाट्यगृह हैं। ऐरोली में नया नाट्यगृह बन रहा है। गावों के जो पुराने मंदिर थे, उन्हें हटाया नहीं गया। नए मंदिर बनवाए गए हैं। अन्य धर्मों के धार्मिक केंद्र भी हैं। यहां के सभी 95 गांवों में कोई न कोई केंद्रीय मंदिर है। वहां पर वारकरी समुदाय के कीर्तन होते रहते हैं। त्यौहारों एवं एकादशी के अवसर पर भी वहां कीर्तन होते हैं। यानी गांवों की पुरानी परम्पराएं अभी विद्यमान हैं और विकसित हो रही हैं।

 अपने कार्यक्षेत्र का विशेषज्ञ होने के साथ ही आप संघ के जागरूक स्वयंसेवक भी हैं। गत पचास सालों में नवी मुंबई के बसने में संघ विचारों का योगदान किस प्रकार रहा?

बहुत बेहतरीन योगदान रहा। मैं पिछले 40 वर्षों से नवी मुंबई में रह रहा हूं। मैं नवी मुंबई में संघ का कार्यवाह भी रह चुका हूं। जब मैं कार्यवाह था, तब नवी मुंबई में 11 शाखाएं चलती थी। वर्तमान में यहां 50 से ज्यादा शाखाएं चल रही हैं। उस समय हमारा पट 600 से 700 के बीच था, जबकि इस समय यहां पर पट 6000 से ज्यादा हैं। संचलन के लिए पहले हमें ठाणे से घोष मंगाना पड़ता था, वर्तमान में नवी मुंबई के तीन-चार नगरों में अपने घोष हैं। पहले हमें कार्यालय या बैठक के लिए जगह ढूंढ़नी पड़ती थी। वर्तमान में संघ के 2 कार्यालय हैं। संघ ने समाज के लिए अच्छा वातावरण निर्मित किया है।

 इस साक्षात्कार के माध्यम से आप नवी मुंबई और देश के युवाओं को क्या संदेश देना चाहते हैं?

हर युवक को अपने अंदर के निर्माणकर्ता को हमेशा जगाए रखना चाहिए। यू आर द क्रिएटर ऑफ योर डेस्टिनि, नोबडी कैन क्योर योर डेस्टिनि फॉर यू। युवा सकारात्मक और मेहनती हों तथा समाज एवं राष्ट्र के विकास को लेकर संवेदनशील हों, यही सच्ची राष्ट्रभक्ति है। यह समाज मेरा है, यह देश मेरा है, यह भूमि मेरी है, इसकी भलाई में मेरी भलाई छिपी है, मेरा भविष्य इसके साथ जुड़ा हुआ है। हर युवा के हृदय की गहराइयोें से यही भाव प्रकट होना चाहिए।

 

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