नवी मुंबई मर्चंट्स चेंबर का योगदान

जब दक्षिण मुंबई से व्यापारिक प्रतिष्ठान नवी मुंबई लाए गए, उसी समय नवी मुंबई मर्चंट्स चेंबर की स्थापना की गई। वर्तमान में इसके अंतर्गत लगभग 15000 प्रतिष्ठान नवी मुंबई को वैश्विक शहर बनाने की दिशा में अनवरत प्रगतिशील हैं। आने वाले समय में यह संस्था विकास के नवीन कीर्तिमान बनाने हेतु तत्पर है।

नवी मुंबई जिले में समाविष्ट 34 गांवों के विकास के लिए महाराष्ट्र शासन द्वारा 1972 में सिड्को की स्थापना की गई थी। 1983 में महाराष्ट्र शासन एवं सिड्को के द्वारा दक्षिण मुंबई के व्यापारियों के कृषि एवं खाद्य पदार्थों की विविध संस्थाओं को दक्षिण मुंबई की ट्रैफिक एवं प्रदूषण समस्या सुलझाने हेतु यह सारा वैश्विक होलसेल और रिटेल व्यापार नवी मुंबई शिफ्ट कर दिया। सिडको ने इन सभी संस्थाओं के जरिए वाशी-तुर्भे एवं नवी मुंबई में दुकानेें, कार्यालय, मार्केट, आवास, मंदिर, विद्यालय, बंगलो प्लॉट, सोसायटी प्लॉट, जिमखाना जैसी सुविधाओं को वाजिब दाम और लोन से उपलब्ध कराने का ऑफर दिया। हमारे फेडरेशन के द्वारा स्थापित 14 मुख्य संस्थाओं की स्थापना कर सर्वोच्च बॉडी नवी मुंबई मर्चेंट्स चेंबर की स्थापना की गई थी। इस सारे प्रोजेक्ट में सभी व्यापारी परिवारों ने 1983 से अपनी मेहनत की बहुमूल्य मुडी रकम लगाई।

नवी मुम्बई के भूमिपुत्रों के साथ सरस्वती और लक्ष्मीवान कार्यपुत्रों ने मिलकर नवी मुंबई को विश्व में एक एतिहासिक अवसर प्राप्त करने के लिए तन, मन, धन से एक नगर बसाने की सुनहरी दिशा का प्रारम्भ किया। हालांकि इसमें दक्षिण मुंबई से नवी मुंबई स्थलांतर प्रक्रिया में विलम्ब हो रहा था, इसके लिए महाराष्ट्र शासन सिडको एवं हमारी मातृ संस्थाओं का एमओयू बनाया गया, जिसके आधार पर एपीएमसी कानून को काम चलाऊ मान्यता देकर इस मार्किट को बसाने का एवं सभी व्यापारी, कामगार, गुमास्ता, ट्रांसपोर्ट, सभी परिवार को रोजी रोटी कमाने एवं यहां वैश्विक व्यापार को बढ़ाने एवं विकास के अनुकूल बनाने हेतु सेक्टर बनाया गया।

इस परिसर में रोजाना लगभग 3400 ट्रक भरे हुए मसाले, किराने, तेल, घी, शक्कर, गुड़, नारियल, ड्रायफ्रूट, सब्जी, फल, प्याज, आलू समेत अनेक वस्तुओं का होलसेल-रिटेल एक्सपोर्ट इम्पोर्ट होने लगा। यह मार्केट इन वस्तुओं के वैश्विक व्यापार का केंद्र बन गया है। नवी मुंबई की आन, बान और शान का प्रतीक इस चेंबर की नवी मुंबई को दुनियाभर का जानामाना स्थल बनाने में भागीरथ प्रयास रहा। आज हम मुंबई और नवी मुंबई को सोने की चिड़िया बनाने में सफल हुए हैं। आनेवाली नई पीढ़ी वह समाज को एक वैश्विक शहर-एवं वैश्विक मार्केट देने के लिए यहां के भूमिपुत्रों, सरस्वतीपुत्रों एवं लक्ष्मीवान कार्यपुत्रों की मेहनत के अप्रतिम योगदान से यहां तक की राह सफल हुई है। यह भविष्य की नवी मुंबई की उज्ज्वल गाथा लिख रहा है।

इस नवी मुंबई में एशिया की बड़ी एमआईडीसी, वैश्विक इंटरनेशनल व्यापार का केंद्र, एपीएमसी मार्केट, जेएनपीटी पोर्ट, इंटरनेशनल एयरपोर्ट, विश्व की जानीमानी विविध कम्पनियां, सर्वश्रेष्ठ रोड, पानी, बिजली, ट्रेन, मेट्रो, ट्रैवलिंग सुविधा, अच्छे आधुनिक टावर, बिल्डिंग, गार्डन व विविध आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं। भारत देश का यह जाना माना आर्थिक केंद्र मुंबई से बिलकुल जुड़ गया है। यह जनहित में वैश्विक व्यापार का केंद्र बना है जिसमें भारत सरकार एवं महाराष्ट्र शासन के सराहनीय प्रयास जुड़े हुए हैं। आगे भी सफलता की ओर सहायता मिलती रहेगी। इस इंटरनेशनल मार्केट परिसर में लगभग 1200 प्रतिष्ठान व अंदाजन 15000 दुकान एवं कार्यालय वैश्विक व्यापार से जुड़े हुए हैं। आनेवाले दिनों में भारत सरकार और महाराष्ट्र सरकार द्वारा नवी मुम्बई को फ्री होल्ड करके विश्व स्तर के रेसिडेंशियल और कर्मशियल बनाने की दिशा में अग्रसर हैं।

                                                                                                                                                                                            कीर्ति  राणा

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