मुंबई – हाल ही में अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में मुंबई की संस्था की ओर से चलाए गए कैंसर मुक्त जागरूकता अभियान को जोरदार प्रतिसाद मिला है।
ज्ञात हो कि अरूणांचल सरकार और वहां की मन इंडिजिनियस कल्चरल और वेल्फेयर सोसायटी , नवी मुंबई के छबी सहयोग फाउंडेशन और मुंबई के देव देश वैद्यकीय शैक्षणिक सामाजिक प्रतिष्ठान द्वारा 18 से 30 नवंबर के बीच तवांग जिले में छह स्थानों पर कैंसर मुक्त जागरूकता अभियान आयोजित किया गया था। पहला शिविर भारत-भूटान से सटे लुम्बला में आयोजित किया गया था. शिविर का उद्घाटन जिला परिषद सदस्य श्री युटेन गोम्बू ने किया. इस अवसर पर मन इंडिजिनस कल्चरल एंड वेलफेयर सोसायटी के अध्यक्ष श्री खंडू थुंगन, छवि सहयोग फाउंडेशन के सचिव पार्थ रॉय, सलाहकार डॉ. अविनाश गारगोटे, देव देश प्रतिष्ठान के अध्यक्ष डॉ. वैभव र. देवगिरकर, डॉ. रवीन्द्र कांबले, डॉ. प्रतिका जेटके – कांबले, डॉ. स्नेहा भट्टे, डॉ. रेनू, श्री सचिन ममगाई, जय गणेश मुरुगन, चारु सावंत, मुद्रा देवगिरकर और बाबू कांबले के साथ समन्वयक लुंबला, जंबे सेरिन और मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रिनचिन उपस्थित थे। शिविर स्थानीय विधायक श्रीमती शिरिंग लाम्हू के मार्गदर्शन और सहयोग से आयोजित किया गया था। इसमें बड़ी संख्या में स्थानीय बुजुर्ग शामिल हुए।.दूसरा शिविर भारत-तिब्बत सीमा के पास सेना संचालित क्षेत्र झेमीथांग के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित किया गया था। इस समय चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ. कप्तान यजवीर सिंह और हवलदार डी.एन. शिंदे, मेजर मनोज ने शिविर का दौरा किया और मेडिकल टीम की सराहना की और कमांडिंग ऑफिसर परवेज मुलानी ने सभी मेडिकल टीम को भोजन के लिए आमंत्रित किया। इस शिविर में सीमा से सटे बी टी के, मोचुन, खरमन, गोरसाम, गीप्सू जैसे दूरदराज के इलाकों से युवा और बुजुर्ग लोगों ने भाग लिया। तवांग के मुख्य समन्वयक लूनडूप चोसांग और जाम्बे शिरिंग ने इस शिविर की सफलता के लिए अथक प्रयास किया। इस शिविर में लोगों के जोरदार प्रतिसाद के कारण शाम तक शिविर लगाया गया।. साथ ही, सेना की पूरी मेडिकल टीम को भारत-तिब्बत सीमा मार्ग पर उस स्थान का दौरा करने का मौका मिला। जहां से 14वें तिब्बती दलाई लामा भारत आए थे। इस समय मराठा वारियर्स जंगी पलटन के मेजर खोत एवं हरियाणा से सुभेदार गुरुमीत सिंग जी ने इस स्थान का महत्व समझाया। इसके अलावा 1962 में चीन ने नमकाचुर नदी इसी स्थान से भारत पर आक्रमण किया था और हजारों भारतीय सैनिकों को शहीद होना पड़ा था। उनकी स्मृतिप्रित्यर्थ स्मारक पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
तीसरा शिविर सेरू के एक माध्यमिक विद्यालय में आयोजित किया गया था। इस बार प्रिंसिपल रिंगचिन शिरिग, चोरझोम, नीम चोइज़ोम, लोबसांग उपस्थित थे। शिविर का लाभ इस विद्यालय के कक्षा आठवीं से दसवीं तक के विद्यार्थी, शिक्षक एवं आसपास के नागरिकों ने उठाया।
चौथा शिविर किपी में आयोजित किया गया। इस अवसर पर जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ. रिचिन और सांगे वांग्यु हेडमास्टर गवर्नमेंट हायर सेकेंडरी स्कूल ने शिविर का उद्घाटन किया। इस अवसर पर चोइकयाग लामू, दोरजी लामू, युटोंग लोमसोंग, ताशी सगे शीरिंग उपस्थित थे। इस शिविर में दूर-दराज के इलाकों से आए ओडुंग, वोयकर, तेमखार, बायुंग, जमखर के लोगों ने इस शिविर में उत्साहपूर्वक भाग लिया।पांचवां शिविर माननीय मुख्यमंत्री श्री पेमा खंडू के निर्वाचन क्षेत्र जंग में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित किया गया था। शिविर का उद्घाटन वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डाॅ. थुतांग लामू और डॉ. केवी मेरू द्वारा किया गया। यहां के तिबेट सीमा से सटे दूरदराज के इलाकों से लोग इस शिविर में आए। जंग मुक्ति, थेम्बू सेच्यो, खरसा, जगदा, रो, युथेम्बु, मिरबा, मागो, मरमांग के पुरुषों की तरह महिलाओं को भी बड़ी संख्या में लाभ हुआ और हाई स्कूल के छात्रों ने भी भाग लिया। डॉक्टरों की टीम ने कैंसर का कारण बनने वाली हानिकारक आदतों, शरीर पर उनके प्रभाव और लक्षणों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। लक्षणों में बढ़ती कमजोरी, लगातार दर्द, वजन का अकारण बढ़ना या घटना आदि शामिल हैं,। विशेष रूप से महिलाओं को स्तन कैंसर और इसकी रोकथाम के बारे में बताया गया ।, स्तन में सूजन, छोटी गांठ बनना, उस विशेष क्षेत्र का मलिनकिरण, साथ ही भूख न लगना, , उल्टी, पेट दर्द, बेचैनी, चक्कर आना जैसे लक्षण दिखाई दें तो सतर्क हो जाएं और तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।मुख्यमंत्री के आग्रह पर यहां दूसरे दिन भी छठा शिविर लगाया गया।, इस शिविर का लाभ यहां के शिक्षक-शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों ने उठाया। इस शिविर के लिए अपर जिलाधिकारी ताशी शीरिग, वरिष्ठ डेंटल सर्जन डाॅ. जेन्डेन त्सुइंग की विशेष उपस्थिति थी। इस दिन भी लाभार्थियों की संख्या काफी रही। तवांग जिला समन्वयक लूंडुप चोसाग ने शिविर को सफल बनाने के लिए अथक प्रयास किया। इसी प्रकार शिविर की सफलता के पीछे सह संयोजक सांग गोम्बू का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने दूरदराज के इलाकों में घर-घर जाकर लोगों से बड़ी संख्या में शिविर का लाभ उठाने की अपील की थी। इस तरह कई लोगों के प्रयास से अरुणाचल प्रदेश में यह कैंसर जागरूकता अभियान सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।