बात सुनने में ही समूची दुनिया की भलाई है। यूक्रेन-रूस के मध्य छिड़े युद्ध पर प्रधान मंत्री मोदी जब बोले कि ‘This is not an era of war’ तो पूरी दुनिया ने राहत की सांस ली। इसराइल-हमास जंग, ग्लोबल वार्मिंग, जलवायु परिवर्तन, कार्बन क्रेडिट अथवा साउथ अफ्रीकी देशों को G-20 का सदस्य बनाने जैसे विश्व-व्यापी प्रमुख मुद्दों पर भारत के रुख को दुनिया गंभीरता से ले रही है। आज भारत ग्लोबल साउथ का निर्विवादित लीडर बनकर उभर रहा है।
यह एक प्रमुख कारण है कि दुनिया के शक्तिशाली देश पेशोपेश में पड़ गए हैं। वे अपना ताज भारत को पहनाना कतई नहीं चाहेंगे लेकिन वे भली-भांति यह भी जानते हैं कि भविष्य में भारत के बिना उनके आर्थिक हित सध नहीं सकते। यही वो पेंच है जिसमे प्रधान मंत्री मोदी को महारत हासिल है। इसलिए आज दुनिया की सभी भारत विरोधी शक्तियों ने हाथ मिला लिए हैं। दुर्भाग्य से उन्हें हमारे देश में एक ऐसा विपक्षी दल मिल गया है जो प्रधान मंत्री मोदी के प्रति नफरत से भरा है और मोदी को सत्ता से बेदखल करने हेतु किसी भी सीमा तक जा सकता है। अतः भारत के सामान्य नागरिक की यह महती जिम्मेदारी बन जाती हैं कि दुनिया की भारत विरोधी शक्तियों के दुष्चक्र को विफल करने के लिए वह अपने स्तर से अपने बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के लिए जो-जो प्रयत्न कर सकता है, करें।
प्रधान मंत्री मोदी ने 2047 तक जब भारत आजादी के 100 वर्ष पूरे कर रहा होगा भारत को विकसित और आत्मनिर्भर देश बनाने का संकल्प सभी देशवासियों के समक्ष रखा है। परन्तु अभी तक देश के प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस से इस संबंध में कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं आई है। भारत में अप्रैल/मई 2024 में लोकसभा चुनाव सम्पन्न होने जा रहे हैं। जिसके बाद भारत की नई सरकार का गठन होगा। भारत के नागरिक के नाते हमारा पुनीत कर्तव्य होगा कि हम ऐसी सरकार का गठन करें जो आज़ादी की स्वर्णजयंती तक भारत को एक विकसित और आत्मनिर्भर देश बनाने के लिए पूर्णतया प्रतिबद्ध हो, समर्पित हो।