मातृत्व का महान आदर्श जीजामाता, उनका सार्ध त्रिशताब्दी पुण्यस्मरण स्मृति वर्ष है। साथ ही जीजामाता के हिंदवी स्वराज्य संस्थापना के व्रत का उद्यापन यानी शिवराज्याभिषेक! इस पवित्र समारोह का यह सार्ध त्रिशताब्दी वर्ष है। इन दोनों स्मरणीय मातृ-पुत्र मंगल उत्सव के उपलक्ष्य में पौष पूर्णिमा जीजामाता के जयंती दिन 25 जनवरी 2024 को राष्ट्र सेविका समिति के देवगिरी प्रांत और विदर्भ प्रांत द्वारा संयुक्त रूप से बुलढाणा जिले में उनके जन्मस्थान सिंदखेडराजा में स्वराज्य ज्योति सम्मेलन का आयोजन किया गया। व्यक्ति के प्राथमिक संस्कार का केंद्र परिवार होता है और संस्कार देने का कार्य महिलाएं करती हैं अर्थात मां ही बच्चे की आदि गुरु होती है। मातृत्व, उपलब्धि, नेतृत्व के साथ-साथ राष्ट्रीयता के भाव से माताएं राष्ट्र की भावी पीढ़ी को संस्कारित करके एक उज्ज्वल राष्ट्र का निर्माण कर सकती है। इसका आदर्श उदाहरण है राजमाता जिजाऊ इसीलिए स्वराज्य के निर्माता राजा शिव छत्रपति जैसे योगी हमारी भारत भूमि पर पैदा हो सके।
राष्ट्र सेविका समिति द्वारा आदर्श मानी जाने वाली इस स्वराज्य-प्रेरिका राष्ट्रमाता और उनके महान पुत्र छत्रपति शिवराय, जिन्होंने हिंदू स्वराज्य का सपना पूरा किया। इनका अभिवादन करने के लिए 1200 से अधिक सेवक, केंद्रीय पदाधिकारी, जिला पदाधिकारी, प्रांतीय पदाधिकारी, प्रचारक उपस्थित थे। तीन सत्रों में आयोजित सम्मेलन के उद्घाटन अवसर पर कार्यक्रम के मुख्य वक्ता राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय कार्यवाहिका चित्रा ताई जोशी ने प्रेरक उद्बोधन दिया।
– स्वाति राजीव जाहगीरदार