ऐक्ट्रेस पूनम पाण्डे जिन्दा है। भगवान करे अपनी मौत की अफवाह उड़ा सुर्खियां बटोरने वाली अदाकारा स्वस्थ-सकुशल रहे। लेकिन उसकी इस हरकत की जितनी भी निंदा की जाए, कम है। सर्वाइकल कैंसर के नाम पर जागरूकता की आड़ में उसके इस भद्दे मजाक से कितने प्रशंसकों को धक्का लगा होगा इसका अंदाजा उसे नहीं। कैसे भूल गई वो एक भारतीय है। भावना प्रधान उस देश से है जहां लोग दिल से जुड़ते हैं, दिखावे से नहीं, पूनम जैसा छलावा नहीं करते। कभी उन्हें कैंसर जैसी भयानक बीमारी का सामना भी न करना पड़े। लेकिन उनकी हल्की सोच और जागरूकता की आड़ में खेले गए खेल ने कैंसर पीड़ितों और उनके लिए जुड़े-जुटे लोगों को कितना आहत किया है? इसका भी अंदाजा पूनम को नहीं होगा। अपनी ओर ध्यान खींचने के लिए पहले किसी ने ऐसी जुर्रत की हो, याद नहीं आता।
क्या पूनम की इस छिछोरे झूठ से वाकई में कैंसर की प्रति जागरूकता फैला पाएगी? कैंसर मरीजों या पीड़ित मानवता के प्रति इतनी ही हमदर्दी होती तो दूसरे चैरिटेबल काम कर आर्थिक मदद पहुंचाती। जागरूकता के लिए जहां-तहां अपने शो करती, जो कैंसर के खिलाफ और बचाव के लिए कारगर मुहिम होती। लेकिन ये क्या? उन्होंने तो पूरे देश के साथ एक तरह से धोखा किया, वह भी अपनी ओर ध्यान खींचने के लिए। यह माफी के काबिल नहीं हो सकता।
पूनम कैसे भूल गई कि ये वो देश है जहां किरदार को भी भगवान की तरह पूजा जाता है। उसे कैसे याद नहीं कि लोकप्रिय सीरियल और फिल्मों के भगवान बने पात्रों को भी पूजा जाता है। इस हरकत से पहले कैसे भूल गई कि लोकप्रियता के शिखर पर पहुंचे अभिनेताओं की मौत से आहत न जाने कितने प्रशंसकों ने अपनी जान तक दे दी। यूँ तो कई उदाहरण हैं पर एक ही यहाँ काफी है जहां दिग्गज तमिल अभिनेता से मुख्यमंत्री के मुकाम तक पहुंचे एमजी रामचंद्रन की 24 दिसंबर, 1987 को मृत्यु के बाद तमिलनाडु दहल उठा। हर कोई दुखी था और हाहाकार मचा हुआ था। लोग इतने आहत कि किसी ने अपनी नसें काट लीं तो किसी ने जहर पी लिया। कइयों ने अपनी उंगली और जीभ तक काट डाली। दुखी लोगों के एमजीआर घर के सामने रोने-चिल्लाने का रिकॉर्ड भी बना। माना कि यह एक सार्वजनिक उन्माद था जिसमें आत्महत्याओं के अलावा, एमजीआर की मौत के बाद भड़के लोगों पर हुई फायरिंग से 29 और मौतें भी हुईं। अच्छा हुआ कि फरेबी पूनम शोहरत के उस मुकाम तक नहीं पहुंच पाई थी वरना उसकी यह खलनायकी कितनी भारी पड़ती?
पूनम की हद दर्जे की ढ़िठाई देखिए। इंस्टाग्राम पर वीडियो साझा करते हुए अपने जिंदा होने का सबूत खुद कुछ ही घण्टों में देती है कि उसे कैंसर नहीं है। उसने तो सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ जागरूकता के लिए ऐसा किया! जिस सोशल मीडिया पर फैन उनकी मौत का गमजदा हो, अंतिम संस्कार का स्थान पता कर रहे थे, वही अब उसे ट्रोल कर रहे हैं। उसी सोशल मीडिया पर उसके प्रति नफरत भरी न जाने कितनी पोस्ट घूम रही हैं। फिल्म इण्डस्ट्री भी भौंचक है। कई सितारे तक नाखुश हैं और खरी-खोटी सुना रहे हैं। इंडियन फिल्म एंड टीवी डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने सख्त कार्रवाई की मांग तक की है।
वाकई में पूनम पाण्डे ने उन सभी का मजाक उड़ाया है जो सर्वाइकल कैंसर या दूसरे कैंसर से जूझ रहे हैं। यकीनन कैंसर घातक, जानलेवा और बेहद तकलीफदेह बीमारी है। केन्द्र और राज्य सरकारों के साथ चिकित्सक और पैरामेडिकल स्टाफ पूरे मनोयोग से कैंसर रोगियों के लिए रात-दिन जुटे रहते हैं। पूनम का यह झूठ उन सभी पर मजाक जैसा है। क्या अकेले पूनम को ही बड़ी चिन्ता है? उसके फर्जी पीआर स्टंट से ऑल इंडियन सिने वर्कर्स एसोसिएशन भी खासा नाराज है जिसने फेक पीआर स्टंट को बेहद घटिया बताया। भला पब्लिसिटी के लिए मौत की झूठी अफवाह को लोग कैसे स्वीकारें? ऐसी घटिया हरकत किसी और हिन्दुस्तानी सेलेब्रिटी ने की हो याद नहीं आता।
अपनी शोहरत के लिए हमेशा चर्चाओं में बने रहना पूनम का शगल है। अजीबो गरीब कारनामों के लिए चर्चित पूनम ने प्रसिध्द निर्माता, निर्देशक सैम अहमद बॉम्बे को ढाई साल तक डेट किया उसके बाद 10 सितंबर 2020 को गुपचुप शादी कर ली। दोनों हनीमून मनाने के लिए गोवा गए, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर खूब साझा की। लेकिन शादी के महज 13 दिन में ही दोनों के बीच इतना झगड़ा हुआ कि सैम को जेल की हवा खानी पड़ी और आईपीसी की धारा 353, 506 और 354 के तहत मामला तक दर्ज हो गया।
ग्लैमर की इस चकाचौंध भऱी इंडस्ट्री में पूनम पांडे का नाम अनेकों लोगों के साथ जुड़ा फिर भी उसका फिल्मी कैरियर ज्यादा सफल नहीं रहा। इतना ही नहीं उसके ग्लैमर और बोल्डनेस का मिक्स अप ज्यादा नहीं चल पाया तो समाज सेवा का झूठा दिखावा करने के लिए ऐसे पब्लिसिटी स्टंट उतर आई? लगता नहीं कि इन दिनों कहीं ओटीटी प्लेटफार्म तो कहीं छोटे-बड़े पर्दे पर ध्यान खींचने खातिर कलाबाजियों का दौर चल रहा है?
अभी कुछ दिन पहले ‘बिग बॉस-17’ में अभिनेत्री अंकिता लोखंडे अपने बिजनेसमैन पति विक्की जैन के साथ पहुंची थीं। जहां दोनों के बीच काफी बवाल हुआ और रिश्ता सुर्खियों में बना रहा। ये लड़ाई इनके घरों तक भी पहुंची। अंकिता की सास रंजना जैन ने फैमिली वीक में बिग बॉस हाउस में एंट्री की और काफी खरी-खोटी सुनाई। यहां मेरा यह बताना जरूरी है कि विक्की का बचपना (दो-तीन साल की उम्र तक) मैने अपने सामने देखा, उसे गोद में भी खिलाया। उसके पिता मध्यप्रदेश के बुढ़ार में शासकीय विभाग में बड़े पद पर रहे। मैं उनके साथ एक प्रतिष्ठित सामाजिक संस्था में बड़ी जिम्मेदारी में था। वहीं विक्की की माँ रंजना जैन भी उसी संगठन की महिला विंग की अध्यक्ष रहीं जो पारिवारिक जिम्मेदारियों के साथ-साथ संगठन को चोटी पर पहुंचाने के प्रबंधन में हमेशा अव्वल रहतीं। यह सब मैने बेहद करीब से देखा। उनकी मेहनत से चमके भाग्य ने सबको ऊंचाई पर पहुंचाया। यहां पूनम पाण्डे से ठीक उलट रंजना जैन पर उनके स्वाभाव से इतर सोशल मीडिया पर खूब आलोचना और कटाक्ष किए गए। मैं दावे से कह सकता हूँ कि रंजना जैन बेहद समझदार, पारिवारिक, सामाजिक महिला हैं जो शिखर पर पहुंच कर भी सामान्य हैं। अब विक्की भी दोनों की भावनाओं को समझता है जो परवरिश का ही असर है। उसने अपनी माँ के पक्ष में सफाई भी दी। स्क्रीन पर रंजना जैन ने जो कहा या किया वह उनकी रियल फीलिंग्स थीं न कि सुर्खियां बटोरने का स्टंट।
काश पूनम पाण्डे भी समझ पाती कि उसका कुल जमा छोटा सा कैरियर है। ऐसे दांव-पेंच में उलझना ठीक नहीं। उसे अपनी गलती का अहसास हुआ या नहीं, नहीं पता। लेकिन रंजना जैन से उसे इस इण्डस्ट्री में काफी कुछ सीखने मिल सकता है कि किस तरह एक गृहिणी और माँ के रूप में घर, परिवार, समाज और देश-दुनिया के सामने अपना वास्तविक पक्ष बेझिझक बिना फिल्मी कैरियर से होकर भी मजबूती से रखा जाता है। बस ईश्वर से प्रार्थना है कि दोबारा कोई पूनम पाण्डे न बने और पब्लिसिटी स्टंट के लिए कुछ नया अजूबा फिर न कर बैठे।