पत्रकारिता में महिलाओं की दशा और दिशा

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पत्रकारिता के क्षेत्र में महिलाओं की संख्या तो बढ़ी है लेकिन अभी भी वो हाशिए पर है। लेकिन कई ऐसी जुझारु पत्रकार हैं जो अपनी कार्य-कुशलता के बल पर अपने अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करती हैं और उन क्षेत्रों में जाकर साहसिक रिर्पोटिंग करती हैं जहां पुरुषों का क्षेत्र  माना जाता था।  

नशे की अजगरी बांहों में महिलाएं

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फैशन के नाम पर सिगरेट, शराब, ड्रग्स का नशा करना और इसके साथ ही तस्करी एवं अन्य अपराधिक गतिविधियों में महिलाओं की संख्या में लगातार वृद्धि होना चिंता की बात है। संवेदनशील भारतीय महिलाएं संवेदनहीन व दिशाहीन होकर विकृति की ओर बढ़ती जा रही है।

शौर्य की प्रतिमूर्ति रानी दुर्गावती

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इतिहास के पन्नों में अलग से रेखांकित है महानतम वीरांगनाओं में रानी दुर्गावती का नाम। इस साल उनका शताब्दी वर्ष मनाया जा रहा हैं। जिन्होंने देश की रक्षा और आत्मसम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति तक दे दीं। राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाईयां भी लड़ी और मुगलों से युद्ध करते हुए वे वीरगति को प्राप्त हुईं।

कर्तृत्व, नेतृत्व व मातृत्व का आदर्श

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नारी विमर्श से ही सनातन संस्कृति की भारतीय परम्परा को मजबूत करना है। नारी ही समाज, परिवार व राष्ट्र की आधारशिला है। जिसका एक उदाहरण जीजाबाई के मातृत्व, अहिल्याबाई के कर्तृत्व तथा लक्ष्मीबाई के नेतृत्व में मिलता है।

कर्तव्य पथ पर महिला सशक्तीकरण की गूंज

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महिलाएं अब हाशिए पर नहीं है। फर्श से उठकर वो अर्श पर पहुंचकर अपने सपनों को ऊंची उड़ान दे रही हैं। जल, थल, नभ और यहां तक कि अंतरिक्ष तक में एक नया इतिहास रच रही हैं। ये महिला सशक्तिकरण नहीं तो और क्या है?

बंगाल पर कलंक

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किसी भी देश और राज्य की प्रगति तभी सम्भव है जब वहां शांति हो। परंतु पश्चिम बंगाल में असामाजिक तत्वों का बोलबाला है। राज्य में सनातन संस्कृति को मानने वाले नागरिकों पर हमला किया जा रहा है। यहां के कुछ क्षेत्रों में महिलाओ पर अत्याचार का भी मामला प्रकाश में आ रहा है।

आगे बढ़ें अपनी उन्नति के लिए

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समानता आने की यह प्रक्रिया बहुत लम्बी और निरंतर चलने वाली है, क्योंकि महिलाएं अगर आगे बढ़ रहीं हैं तो पुरुष भी रुके नहीं हैं, वे भी प्रगति कर ही रहे हैं, नए-नए आयाम विकसित कर रहे हैं। ऐसे में प्रतिस्पर्धा होना तय है, परंतु यह प्रतिस्पर्धा उचित मानकों पर होनी चाहिए। अंग्रेजी में इसे ‘हेल्दी कॉम्पीटीशन’ कहा जाता है।

सौंदर्य, कला व प्रतिभा की प्रतिमूर्ति मधुबाला

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जब भी हम कभी बीते समय की फिल्मी नायिकाओं की सुंदरता की बात करते हैं, तब बरबस ही मधुबाला का नाम आ जाता है। मधुबाला का आकर्षक मनभावन चेहरा, बोलती आंखें, नैन नक्श, जैसे दर्शकों के दिलों दिमाग में छा सा जाता था। उस दौर में हर प्रेमी अपनी प्रेमिका…

कैंसर के नाम पर पूनम का घटिया पब्लिसिटी स्टंट

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क्या पूनम की इस छिछोरे झूठ से वाकई में कैंसर की प्रति जागरूकता फैला पाएगी? कैंसर मरीजों या पीड़ित मानवता के प्रति इतनी ही हमदर्दी होती तो दूसरे चैरिटेबल काम कर आर्थिक मदद पहुंचाती। जागरूकता के लिए जहां-तहां अपने शो करती, जो कैंसर के खिलाफ और बचाव के लिए कारगर मुहिम होती। लेकिन ये क्या? उन्होंने तो पूरे देश के साथ एक तरह से धोखा किया, वह भी अपनी ओर ध्यान खींचने के लिए। यह माफी के काबिल नहीं हो सकता।

परिधानों में दिखती परंपरा

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परिधानों में कुनबी सूती साड़ी,पानो भाजु से लेकर मिडी ड्रेस और रिज़ॉर्ट वियर तक यहां प्रचलित हैं। माना जाता है कि लाल-स़फेद रंग की कुनबी साड़ी केवल सुहागिनें ही पहनती हैं, जबकि हल्का बैंगनी रंग विधवाओं द्वारा पहना जाता है। वहीं मांडो का परिधान पानो भाजु विशिष्ट परिधान है। गोवा के लोकनृत्य मांडो को यही परिधान पहनकर किया जाता है।

सरकार आपके द्वार

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विकास का घोड़ा योजनाओं पर दौड़ा। जी हां गोवा के संदर्भ में यह पूरी तरह सटीक बैठती है। गोवा राज्य के विकास के लिए कई तरह की योजनाएं लागू की गई हैं। योजनाएं कागजों पर ही सीमित नहीं है बल्कि यह पूरी तरह से कार्यान्वित भी है। एमपीएलएडीएस हो, या फिर महिलाओं के लिए कल्याणकारी योजनाएं हों, मछुआरों की नावों का आधुनिकीकरण हो या फिर प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना या अन्य योजनाएं हों, सभी का लाभ लाभार्थियों को मिल रहा है। विकास की ताल पर सरकारी योजनाएं चल रही हैं।

सर्व समावेशी लोक कलाएं

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लोगों के समूह की भावनात्मक दुनिया की कलात्मक अभिव्यक्ति ही लोककला है। ऐसे लोकजीवन में अभी तक जी जान से संभाल कर रखी हुई संस्कृति खंडित होती जा रही है। बदलती हुई ग्राम व्यवस्था, पर्यावरण में होने वाले अकल्पनीय परिवर्तन, विघटित सामाजिक संरचना, घटते हुए जीवन मूल्य ऐसे अनेक कारण परिवर्तन के लिए जिम्मेदार हैं।

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