हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
भाजपा विजय का फार्मूला राष्ट्रवाद और विकास का एजेंडा

भाजपा विजय का फार्मूला राष्ट्रवाद और विकास का एजेंडा

by अमोल पेडणेकर
in ट्रेंडींग, महिला विशेषांक मार्च २०२४, राजनीति, विशेष, सामाजिक
0

रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में और अधिक बढ़ोत्तरी हुई है। देश में इस बार केवल मोदी लहर ही नहीं बल्कि बाढ़ आने वाली है जिसमें कांगे्रस सहित विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन का सुपड़ा साफ होने की सम्भावना दिखाई दे रही है। इस बार 400 पार के लक्ष्य पर भाजपा जी-जान से जुटी हुई है।

भारत में लोकसभा के लिए आम चुनाव की प्रक्रिया अप्रैल और मई 2024 में होने की संभावना है। वर्तमान लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को समाप्त होगा। 2019 में 543 में से 303 भाजपा और भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) द्वारा जीती गई सीटों की कुल संख्या 353 थी। इस चुनाव में भाजपा को कुल वोटों का 37.36 प्रतिशत प्राप्त हुआ। ‘एनडीए’ को मिले वोटों की कुल संख्या 45 प्रतिशत थी। 2019 चुनाव में कांग्रेस ने जीती 52 सीटें जबकि कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन ने 92 सीटें जीतीं, अन्य दलों और गठबंधनों ने 97 सीटें जीतीं थी। अब 1 जनवरी 2023 के आंकड़ों के अनुसार देश में कुल मतदाताओं की संख्या 14.50 करोड़ हो गई है। इसलिए 18वीं लोकसभा का चुनाव न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के चुनावी इतिहास में एक महत्वपूर्ण चुनाव होने जा रहा है।

लोकसभा चुनाव में कुछ ही महीने बाकी है। भाजपा इस चुनाव में 400 सीटों का लक्ष्य लेकर तैयारियों में जुटी है। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 303 सीटें जीती थी। भाजपा ने 2014 के लोकसभा चुनाव से भी ज्यादा सीट और वोट प्रतिशत 2019 के चुनाव में प्राप्त किया था। 2014 में 31% वोट और 282 सीटें मिली थी। 2019 में वोट प्रतिशत बढ़कर 37 हो गया। अब जबकि भाजपा ने 400 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है तो जाहिर है कि भाजपा को अपने वोट प्रतिशत भी बढ़ाना होगा।

अबकी चुनाव में भाजपा के सामने चुनौती यह है कि उसे पिछला प्रदर्शन तो दोहराना ही है, साथ ही नई जगह भी अपनी जमीन तलाशनी है। आंध्र प्रदेश में लोकसभा की 25 सीटें हैं, जिनमें बीजेपी को पिछले चुनाव में एक भी सीट नहीं मिली। तमिलनाडु की 39 सीटों में से भी कुछ नहीं आया। केरल की 20 सीटों में से एक भी सीट नहीं आ पाई। इन तीनों राज्यों को मिलाकर ही 84 सीटें होती है। बीजेपी को यदि 400 सीटों का लक्ष्य प्राप्त करना है तो यहां सिर्फ अपना खाता ही नहीं खोलना होगा बल्कि काफी अच्छा प्रदर्शन भी करना होगा।

महाराष्ट्र में 48 सीटों में से बीजेपी को 23 सीटें मिली थी। पिछले चुनाव से अब तक महाराष्ट्र के समीकरण काफी बदले है, जो भाजपा और मित्र पक्ष के लिए पोषक साबित हो सकता है। पश्चिम बंगाल में 42 सीटों में से बीजेपी को 18 सीटें मिली थी, लेकिन उसके बाद हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा तृणमुल कांग्रेस के विरूध्द कड़ा संघर्ष करने के बाद भी सत्ता प्राप्त नहीं कर पाई।

कर्नाटक में बीजेपी ने 28 में से 25 सीटें जीती थीं लेकिन अब वहां सरकार बदल चुकी है। वहां कांग्रेस ने अच्छे-खासे बहुमत से जीत प्राप्त की है। पूर्वोत्तर के राज्यों में कुल 25 लोकसभा सीटें हैं, जिनमें से अभी बीजेपी के पास 11 सीटें है। प्रश्न है कि यहां बीजेपी स्थानीय पार्टियों से मुकाबला करते हुए क्या अपनी सीटें इस चुनाव में बढ़ा पाएगी? पंजाब में लोकसभा की 13 सीटें है। यहां भी बीजेपी को ज्यादा सीटें जीतनी होंगी लेकिन इस बार मुकाबला आप पार्टी के साथ ही शिरोमणि अकाली दल से भी होगा। बिहार में भी तस्वीर सकारात्मक रुप से बदली है। इस बदली तस्वीर का भाजपा को निश्चित लाभ होना ही है लेकिन प्रश्न यह है कि भाजपा के रिकॉर्ड जीत की उम्मीद कैसे पूरी होगी?

हाल ही में हुए मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने अच्छी जीत प्राप्त की है। इससे बीजेपी कार्यकर्ताओं के हौसले बुलंद है और भाजपा का वोटर उत्साहित है। बीजेपी ने अपने घोषणापत्र के कई वादे पूरे किए है। जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 खत्म किया गया। राम मंदिर निर्माण से ही सभी लोकसभा सीटों में डेढ़ लाख के आसपास वोट बढ़ने की उम्मीद है। विविध क्षेत्र में किए गए विकास के नाम पर भी सीटें बढ़ने की आशा है। साथ ही केंद्र की कई योजनाओं के लाभार्थी मतदाता बने हैं। बीजेपी युवाओं को टारगेट कर रही है और विकसित भारत संकल्प यात्रा के जरिए उन्हें विकसित भारत का ब्रांड एम्बेसडर बनने का न्यौता दे रही है। बीजेपी सफलता के साथ सोशल इंजीनियरिंग करते हुए उन समुदायों के वोट पर भी पकड़ बना रही है जो उसका परंपरागत वोटर नहीं रहा है। बीजेपी की ओर से करीब 5 लाख युवाओं तक पहुंचने की तैयारी की जा रही है। पार्टी को इससे राजनीतिक मजबूती मिलने की उम्मीद है। राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार पार्टी का यह अभियान ‘गेम चेंजर’ साबित हो सकता है क्योंकि ग्रामीण और युवा मतदाता चुनाव के नतीजे तय करने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।

उत्तर प्रदेश में भाजपा ने गैर यादव ओबीसी पकड़ बनाई है तो मुस्लिम महिलाएं भी भाजपा के पक्ष में परिवर्तित होती जा रही हैं। भाजपा अपने कई सांसदों के टिकट बदलने की तैयारी में भी है, ताकि किसी क्षेत्र में उनसे नाराजगी का असर उसके लक्ष्य पर ना पड़े। ऐसी करीब 160 सीटें होने की बात कही जा रही है।

राम मंदिर निर्माण के बाद नरेंद्र मोदी जी का कद बढ़ा हुआ है। मोदी की ख्याति पूरे विश्व भर में फैली हुई है। मोदी जी के बढ़ते कद और ख्याती को समाप्त करना हमारा मकसद है इस प्रकार का वक्तव्य किसान आंदोलन के एक नेता ने दिया है। यह वक्तव्य टीवी चैनलों के माध्यम से पूरे देश के दर्शकों तक पहुंच गया है। इससे यह बात महसूस हो रही है कि आने वाले लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर नरेंद्र मोदी और उनके विकास के विचारों को परास्त करने के लिए विरोधी पक्ष हर एक मार्ग से प्रयास कर रहे है। विविध जाति, धर्म, व्यवसाय, आरक्षण, अनाप-शनाप मांगो से जुड़े हुए आंदोलन और इन जैसे कई मुद्दे आने वाले लोकसभा चुनाव तक विरोधियों के माध्यम से निर्माण किए जाएंगे।

समाज में हिंसा, आतंक और अराजकता का वातावरण निर्माण करने का प्रयास विरोधी पक्ष द्वारा किया जा रहा है। विरोधी पक्ष के राजनीतिक स्वार्थ और उनकी इन हरकतों को ध्यान में रखकर भारत की जनता को जागरूक रहना अत्यंत आवश्यक है। भविष्य के सुनहरे भारत को ध्यान में रखकर जाग्रत एवं विकास की आकांक्षा रखने वाले मतदाता लोकसभा चुनाव में शत प्रतिशत मतदान करें तो विरोधी पक्ष के माध्यम से हो रहे इन प्रयासों को बेअसर किया जा सकता हैं।

बीजेपी लगातार तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतना चाहती है, इससे बीजेपी को कौन और कैसे रोकेगा? भाजपा के कुछ विरोधी दल भी निजी तौर पर स्वीकार कर रहे हैं कि भाजपा को रोकना मुश्किल है! विपक्षी दलों के पास न रणनीति है और न ही उसे रचनात्मक रूप से क्रियान्वित करने की राजनीतिक इच्छाशक्ति है, तो भाजपा की दौड़ को रोकना असंभव है। भाजपा को रोकने के लिए लोकसभा चुनाव में ‘इंडिया’ गठबंधन कौन सी रणनीति बना सकती है? कांग्रेस और स्थानीय पक्षों द्वारा शासित राज्यों में भाजपा के 2019 में विजयी हुए सीटों को पराजित करने का प्रयास विपक्ष कर सकता है। जिससे विपक्षी दलों को 2019 से अधिक सीटें जीतकर भाजपा की जीत में सेंध लगाने का अवसर मिल सके। बीजेपी के पास मौजूद सीटों को कम करने का प्रयास विरोधी खेमा करेगा। विश्लेषक इस बात पर भी जोर दे रहे हैं कि यदि बीजेपी इस वर्ष देश में बहुमत बरकरार रखना चाहती है तो जहां वह कम ताकत में है, वहां बड़ी मेहनत और रणनीति की आवश्यकता है। जहां ज्यादातर सीटों पर बीजेपी के पास बहुमत है। वैसे बीजेपी का प्रभाव क्षेत्र मुख्य रूप से हिंदी भाषी राज्यों में है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, राजस्थान के साथ गुजरात और असम में भी हैं। त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्यों में भी भाजपा का प्रभाव है। इनमें कुल 223 सीटों में से 190 सीट पिछली बार भाजपा को मिला था। ये सभी वो राज्य हैं जहां ‘बीजेपी के बिना कौन?’ वाली हवा चल रही है।

पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक जहां बीजेपी को 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद से अन्य चुनावों में हार का सामना करना पड़ा है और किसान आंदोलन के कारण हरियाणा का राजनीतिक परिदृश्य भी बदल गया है। इस बात के साफ संकेत हैं कि बीजू जनता दल को ओडिशा में उतनी लोकसभा सीटें नहीं मिलेंगी जितनी उन्होंने 2019 में बीजेपी को दी थीं। इसी सूची में मणिपुर, मेघालय या लद्दाख, पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेशों को जोड़ा जा सकता है।

अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बाद का असर पूरे देश के राजनीतिक और सामाजिक वातावरण पर पड़ा है। जहां तक राजनीतिक दलों का सवाल है, लगभग सभी राजनीतिक दलों ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए अपना प्रचार अभियान शुरू कर दिया है। कांग्रेस समेत सभी विपक्षी पार्टियों का ‘इंडिया’ गठबंधन पूरी शक्ति के साथ प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जीत की हैट्रिक से चुकाने की तैयारी में जुटा हुआ था लेकिन इस बीच 5 राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से स्थितियां बदल गई।

3 राज्यों में बीजेपी के जीत के बाद गठबंधन में खलबली मच गई और सीट बंटवारे पर मतभेद का बहाना कर कांग्रेस पार्टी समेत ‘इंडिया’ गुट के कई दल ‘एकला चलो’ की नीति पर चलने लगे।  इससे ‘इंडिया’ गठबंधन में असमंजस की स्थिति साफ तौर पर उजागर हो गई।

3 प्रमुख हिंदी भाषी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की शानदार विजय और कांग्रेस की हार देखने के बाद विपक्षी दलों को फिर से यह एहसास हुआ है कि मोदी के अश्वमेध विजयी रथ को रोकना असंभव है।

एक सर्वेक्षण में भाजपा सरकार के लिए 59 प्रतिशत और नरेंद्र मोदी को प्रधान मंत्री पद के लिए 63 प्रतिशत वोटरों ने अपनी पसंद बताया है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद भी नरेंद्र मोदी के निकटतम प्रतिद्वंद्वी राहुल गांधी को सिर्फ 16 फीसदी वोट मिले। इसलिए लोकसभा चुनाव में मोदी बनाम राहुल मुकाबले को प्राथमिकता देना विपक्ष के लिए मूर्खता होगी।

राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा को बीजेपी किसी एक मंदिर या सिर्फ भगवान राम से जोड़कर नहीं पेश कर रही है। इसे अपनी विरासत की वापसी के प्रतीक और राष्ट्र निर्माण के रुप में पेश किया जा रहा है। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा से पहले प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दक्षिण भारत के उन मंदिरों में भी गए, जहां से किसी न किसी रूप में राम जुड़े है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना कार्य हमेशा से विकास और विरासत को जोड़कर पेश किया है। नरेंद्र मोदी के शासन काल में विरासत को पुनर्जीवित करने के अलग-अलग स्तरों पर किए गए विविध प्रयासों के कारण देश में राष्ट्रहित की भावना का जागरण हुआ, जिसका लाभ भाजपा को मिलेगा। धार्मिक स्थलों को नए सिरे से विकसित करने के अलावा हिंदू परंपरा को उचित स्थान दिलाने का दावा भी किया जा रहा है। नए संसद भवन की स्थापना भी इसी पहल का हिस्सा है। इस क्रम में कई सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक विकास की पहल भी की गई है। अनुच्छेद 370 को हटाने जैसे निर्णयों को भी इसी संदर्भ से जोड़ा गया।

पुरानी विरासत स्थापित करने की मुहिम के जरिए भाजपा ने हिंदुत्व और राष्ट्रवाद के अजेंडे को एक साथ लागू किया है। बीजेपी को इस बार 2014 और 2019 से भी बड़ी जीत मिलेगी। भाजपा के विरोध में विपक्षी गठबंधन का कोई ठोस प्लान अभी तक नजर नहीं आ रहा है। विपक्ष के सामने सबसे बड़ी चुनौती मोदी और भाजपा के विरूध्द नैरेटिव स्थापित करने की होगी। राहुल गांधी की अगुआई में कांग्रेस न्याय यात्रा शुरू की थी पर वह दूसरी पारी में टायटाय फिश हो गई है। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के बाद से इंडिया गठबंधन में बिखराव होने के कारण विपक्षी खेमा पिछड़ा दिख रहा है, वहीं दूसरी ओर भाजपा समर्थकों में गजब का जोश व उत्साह है। इसका प्रमाण यह है कि भाजपा लोगों के बीच ‘मोदी की गारंटी’ से लैस होकर जा रही है।

नरेंद्र मोदी के 10 वर्षों के कार्यकाल के संदर्भ में जनता की राय है कि मोदी सरकार ने पहले कार्यकाल में कांग्रेस सरकार के दौरान पिछले शासन काल में जो गंदगी फैला के रखी थी, उसे मोदी सरकार ने स्वच्छ करने का प्रयास किया है। दूसरे कार्यकाल में मोदी सरकार ने नए समर्थ, सशक्त एवं आत्मनिर्भर भारत की नींव रखी है। नरेंद्र मोदी का आने वाला तीसरा कार्यकाल विकसित भारत के निर्माण को नई गति और दिशा देने वाला होगा। यह विश्वास भारत की जनता के मन में मोदी सरकार के संदर्भ में गहराई तक जाकर बैठा है। यह गहराई का विश्वास ही 2024 के चुनाव में मोदी सरकार के अद्भुत विजय के रूप में सामने आएगा।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp

अमोल पेडणेकर

Next Post
बंगाल पर कलंक

बंगाल पर कलंक

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0