मध्य प्रदेश के पांच पर्यटन खजाने

मध्य प्रदेश में कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जो अपना प्राकृतिक सौंदर्य बिखेरते हैं। यहां पर कई ऐसे पर्यटन स्थल हैं जिसकी जानकारी पर्यटकों को नहीं थी, लेकिन पर्यटन विभाग ने उन गुमनाम जगहों को विकसित किया। इन स्थानों की ऐतिहासिक उपलब्धि, मनोरम छटा देखकर पर्यटक रोमांचित हो उठते हैं।

‘एमपी अजब है, सबसे गजब है’ यह मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग का विज्ञापन आपको तो याद ही होगा। इस विज्ञापन की विशेषता यह थी कि इसे जितनी भी बार बनाया गया, बहुत ही रचनात्मक तरीके से बनाया गया। कभी रेतकला अर्थात सैंड आर्ट तो कभी हाथों की कलाकारी से मध्य प्रदेश के पर्यटन विभाग को बखूबी इसमें दिखाया गया। यह विज्ञापन सबके मन मस्तिष्क में बैठ गया। इस विज्ञापन में मध्य प्रदेश के कई प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों के बारे में दिखाया गया हैं। जब भी हम मध्य प्रदेश का नाम लेते हैं, तो कान्हा, सांची स्तूप, बांधवगढ़, भेडाघाट ये सभी स्थान हमारी आंखों के सामने छा जाते हैं लेकिन मध्य प्रदेश के इस पर्यटन के खजाने में कुछ ऐसे अनदेखे, अनछुए मोती भी हैं, जहां तक अभी तक बहुत लोग नहीं पहुंचे हैं, परंतु ये सभी अनदेखे स्थान बहुत ही सुंदर हैं और पर्यटन विभाग ने इनमें से कई हाल ही में विकसित किए हैं।

ओरछा का राजा राम मंदिर : ओरछा, मध्य प्रदेश के निवाडी जिले में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है। इसकी स्थापना रुद्र प्रताप सिंह बुंदेला द्वारा की गई थी। यह बुंदेलखंड क्षेत्र में बेतवा नदी के किनारे बसा एक सुंदर सा नगर है। ओरछा मुख्य रूप से प्रसिद्ध है, यहां के राजा राम के मंदिर के लिए। ओरछा का राजा राम मंदिर संपूर्ण विश्व का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां भगवान राम की पूजा एक राजा के रूप में की जाती है। यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि भगवान श्रीराम का 400 वर्ष पूर्व ओरछा में ही राज्याभिषेक हुआ था और तभी से यहां पर भगवान श्रीराम राजा के रूप में पूजे जाते हैं। ओरछा में सही अर्थों में रामराज्य हैं। राजा राम को यहां पर सूर्योदय के पूर्व और सूर्यास्त के पश्चात सलामी दी जाती है। यहां राम ओरछाधीश के रूप में मान्य हैं। रामराजा मंदिर के चारों ओर भगवान हनुमान के मंदिर हैं। छडदारी हनुमान, बजरिया के हनुमान, लंका हनुमान के मंदिर एक सुरक्षा चक्र के रूप में चारों ओर हैं। ओरछा की अन्य बहुमूल्य धरोहरों में लक्ष्मी मंदिर, पंचमुखी महादेव, राधिका बिहारी मंदिर, राजामहल, रायप्रवीण महल, हरदौल बुंदेला की बैठक, हरदौल बुंदेला की समाधि, जहांगीर महल और उसकी चित्रकारी प्रमुख है। ओरछा झांसी से मात्र 15 किमी. की दूरी पर है। झांसी देश की प्रमुख रेलवे लाइनों से जुड़ा है। पर्यटकों के लिए झांसी और ओरछा में शानदार आवासगृह बने हैं।

हनवंतिया द्वीप : खंडवा के पास हनवंतिया नामक स्थान पर एक द्वीप विकसित किया गया है, जिसका नाम इंदिरा सागर पर्यटक परिसर रखा गया है लेकिन इसे हनवंतिया द्वीप के नाम से ही जाना जाता है। खंडवा से 20 किलोमीटर की दूरी पर बूंदी नामक स्थान पर यह टापू विकसित किया गया है। मध्य प्रदेश में पहली बार पर्यटन विभाग के द्वारा एक द्वीप विकसित किया गया है, जहां पर प्रकृति के असीम सुंदर दृश्यों के साथ ही आधुनिक वॉटर स्पोर्ट्स भी हैं। मध्य प्रदेश का यह मुख्य पर्यटन आकर्षण बनता जा रहा है। इस द्वीप की सुंदरता आस-पास विकसित हो रहे आधुनिक रिसॉर्ट्स और वॉटर स्पोर्ट्स के कारण और अधिक निखर कर सामने आती है। सबसे खास बात यह है कि यह कोई प्रकृति निर्मित टापू नहीं है, बल्कि इसे मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा इंदिरा सागर बांध के बैकवॉटर पर विकसित किया गया है। मध्य प्रदेश के पर्यटन को ऊंचाई प्रदान करने के लिए इसे विकसित किया गया है और यह टापू आजकल सैलानियों को बहुत आकर्षित कर रहा है। इसे बनाने में 20 करोड़ की लागत लगी है। शहरी चकाचौंध और आपाधापी से दूर इस टापू पर पर्यटकों के लिए सभी आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध हैं।

बरगी बांध : मध्य प्रदेश प्राकृतिक सुंदरता से भरा पूरा प्रदेश है और उसका एक मुख्य कारण है, मध्य प्रदेश की जीवनदायिनी मां नर्मदा। नर्मदा नदी के कारण विविध बांधों का विकास हुआ, साथ ही अनेक पर्यटन स्थलों का भी। उसी में से एक है, बरगी बांध। मध्य प्रदेश के जबलपूर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर नर्मदा नदी पर बने 30 बांधों में से एक महत्वपूर्ण बांध है, बरगी बांध। इस बांध पर कुल 21 दरवाजें हैं और जब इन सभी दरवाजों को एकसाथ खोला जाता है, तो जो विहंगम दृश्य बनता है, उसकी बात ही कुछ निराली होती है। यहां पर मध्य प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा मॅकल रिसॉर्ट का निर्माण भी किया गया है, जहां पर आधुनिक सुविधाओं से युक्त सुंदर कमरे हैं और कमरों की बालकनी से दूर तक फैली नर्मदा नदी का विहंगम दृश्य भी। बच्चों के साथ मजे करने के लिए उद्यान, क्रूज, वॉटर स्पोर्ट्स और साथ ही लजीज व्यंजन यहां के प्रमुख आकर्षण हैं। मध्य प्रदेश की सैर में जब आप जबलपुर आते हैं, तो बरगी देखें बिना आप जा नहीं सकते। शनिवार और रविवार यहां प्राय: पर्यटकों का तांता लगा रहता हैं।उदयगिरी की गुफाएं : मध्य प्रदेश का एक और ऐसा पर्यटन स्थल जो इतिहास के पन्नों में अलग से रेखांकित करने लायकहैं। मध्य प्रदेश के विदिशा के निकट एक बहुत ही सुंदर स्थान है, उदयगिरी की गुफाएं। यहां पर लगभग 20 गुफाएं हैं। ये गुफाएं 5वीं शताब्दी (ई.स. पश्चात) के आरम्भिक काल की हैं और शिलाओं को काटकर बनाई गई हैं। इन गुफाओं में भारत के कुछ प्राचीनतम हिंदू मन्दिर और चित्र सुरक्षित हैं। इन गुफाओं में स्थित शिलालेखों के आधार पर यह स्पष्ट है कि ये गुफाएं गुप्त नरेशों द्वारा निर्मित कराई गई थी। उदयगिरि की ये गुफाएं भारत के सबसे महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थल हैं और भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण द्वारा संरक्षित स्मारक हैं। विदिशा से वैसनगर होते हुए उदयगिरि पहुंचा जा सकता है। नदी से यह गिरि लगभग 1 मील की दूरी पर है। पहाड़ी के पूरब की ओर पत्थरों को काटकर गुफाएं बनाई गई हैं। इन 20 गुफाओं में से कुछ गुफाएं 4थीं -5वीं सदी से सम्बद्धित हैं। गुफा संख्या 1 तथा 20 को जैन गुफा माना जाता है। इतिहास में रुचि रखने वाले पर्यटक यहां अवश्य आते हैं। अजंता एलोरा या एलिफेंटा की तरह उदयगिरी की गुफाएं अभी तक बहुत अधिक प्रसिद्ध नहीं हो पाईं हैं लेकिन इतिहास की दृष्टि से यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है।

घुघवा का जीवाश्म उद्यान : मध्य प्रदेश के डिंडौरी जिले में घुघवा राष्ट्रीय जीवाश्म उद्यान नामक एक स्थान है, जो विज्ञान की दृष्टि से एक बहुत ही महत्वपूर्ण लेकिन कम प्रसिद्ध स्थान है। डिंडौरी से लगभग 70 कि.मी. दूर ग्राम घुघवा में यह स्थित है। इस राष्ट्रीय उद्यान में जीवाश्म रूप में पौधे हैं जो 40 मिलियन से 150 मिलियन साल पहले भारत में कभी मौजूद थे। पेड़ों की कई छटी हुई टहनियों की पहचान जिमनोस्पर्म, एंजियोस्पर्म मोनोसाईटलिडोंस के रूप में की गई है। यहां पर करोड़ों सालों पहले का डायनोसोर का अंडा है, ऐसा कहा जाता है। ये जीवाश्म जुरासिक काल के हैं। डॉ. धर्मेंद्र प्रसाद द्वारा इसकी खोज के 13 साल बाद 1983 में इस स्थल को राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यहां पर प्रदर्शन क्षेत्र में पत्तियों, बीज, फल और यहां तक कि पूरे पेड़ के तने के रूप में पौधों के जीवाश्म मौजूद हैं। यदि हम समयावधि को देखें तो ये जीवाश्म उस समय के हैं जब डायनासोर विलुप्त हो गए थे, जो लगभग 65-66 मिलियन वर्ष पहले (क्रेटेशियस काल) हुआ था। एमपी सच में अजब और गजब है यहां इतना कुछ छुपा हुआ है, कि खोजते जाएंगे तो एक नया विश्व मिलेगा।

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