पशु-पक्षियों के उपचार हेतु एम्बुलेंस सेवा

हमारे उपचार के लिए तो हर जगह अस्पताल हैं लेकिन पशु-पक्षियों के लिए उचित उपचार का घोर अभाव है। पशु-पक्षी इलाज के अभाव से तड़प-तड़प कर न मरें, उन्हें भी मानवों की तरह बीमार, दुघर्टना, घायल होने पर उपचार की सुविधा मिले इसके लिए मुंबई में एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई है।

आर्य देश की संस्कृति में राष्ट्रसंत नम्रमुनि महाराज जीवरक्षा के क्षेत्र में धर्मगुरुओं में अग्रणी है। उनका कहना है कि यदि मानव को कुछ भी बीमारी होती है या अपघात होता है, तो उसका हॉस्पिटल में उपचार किया जाता है। उसी तरह सड़क पर आवारा जानवरों एवं पक्षियों का भी उपचार होना चाहिए। इस जीवदया के कार्य हेतु हमें नम्र मुनि महाराज का पूरा सहयोग मिला। उनके मार्गदर्शन में समस्त महाजन संस्था की ओर से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर पशु व पक्षियों के लिए हमने एक एम्बुलेंस सेवा मुंबई में शुरू की लेकिन वह पर्याप्त नहीं थी क्योंकि हम सीमित संख्या में ही अपनी सेवा दे पा रहे थे और इसकी आवश्यकता अधिक थी।

हमें प्रतिदिन लगभग 100 कॉल आते थे लेकिन हम केवल 10 केस ही हैंडल कर पाते थे। फिर हमने अपने कार्य का दायरा बढ़ाया और मुंबई को 11 जोन में विभाजित कर विभाग के अंतर्गत अलग-अलग क्षेत्र में डॉक्टर-कंपाउंडर नियुक्त किये। इसके साथ समाजसेवियों की एक टीम का गठन किया गया। जिसमें समस्त महाजन संस्था और अर्हम अनुकम्पा के कार्यकर्ता शामिल है।

एक एम्बुलेंस दिन में 10 से 12 केस हैंडल कर पाती है और 11 एम्बुलेंस दिन में 100 से अधिक केस हैंडल कर पाती है। अनुमानत: एक वर्ष में कम से कम लगभग 36 हजार पशु -पक्षियों को नया जीवन मिल सकता है। बीमार, घायल, अपाहिज, दुर्घटना के शिकार पशु-पक्षियों को उपचार के माध्यम से थोड़ी राहत देने का कार्य हम कर रहे है। जीवन तो परमात्मा ने दिया है लेकिन हमसे जितना संभव हो पाता है हम करने का प्रयास करते है।

हमारा मानना है कि मृत्यु तो सभी को आनी ही है परन्तु किसी अबोल प्राणी की उपचार के अभाव में अकाल मृत्यु न हो, इसके लिए हम अपनी सेवाएं दे रहे है।

वर्तमान समय में कोलाबा से लेकर कल्याण तक, वालकेश्वर से लेकर विरार तक, नवी मुंबई-वासी तक यह सेवा प्रदान की जा रही है। इसके अलावा गुजरात के कई क्षेत्रों-गांवों में खासकर गोशालाओं में उपचार की सुविधा उपलब्ध कराई। महाराष्ट्र के पालघर, मनोर आदि क्षेत्रों में केम्प के माध्यम से सेवाएं दे रहे है।

24 फरवरी 2022 से इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। तब से कुल मिलाकर अब तक 22 हजार पशु-पक्षियों को नया जीवन देने में हम सफल हुए है। फर्क सिर्फ इतना है कि शुरू में 1 एम्बुलेंस थी अब 11 है, जो मुंबई के 110 किलोमीटर का क्षेत्र कवर कर रही है।

यह सेवा हम केवल दिन में ही दे पा रहे है। शाम 6 से सुबह 8 बजे तक के दौरान जो केस अचानक आते है उस पर तत्काल मदद नहीं कर पाते, इसका हमें खेद है पर हमारी भी मजबूरी है। रात्रि सेवा शुरू करने के सम्बन्ध में भी विचार विमर्श चल रहा है। हमारी सबसे बड़ी कमी यह है कि मुंबई में पशु-पक्षियों के लिए कोई अच्छा हॉस्पिटल नहीं है। जहां पशुओं को भर्ती करके उनका बेहतरीन उपचार किया जा सके। नम्रमुनि महाराज और समस्त महाजन संस्था के गिरीश भाई शाह भी इसके लिए प्रयत्नशील है। जब हम उत्तर प्रदेश दौरे पर गए थे तब हमने लखनऊ में देखा कि विशेष रूप से पशुओं के लिए राज्य सरकार ने बहुत ही अच्छा हॉस्पिटल बनाया है। महाराष्ट्र सरकार से भी हमारा विनम्र निवेदन है कि पशुओं के लिए मुंबई में एक हॉस्पिटल सुविधा उपलब्ध कराए या फिर यदि राज्य सरकार एवं बीएमसी हमें कोई जमीन उपलब्ध कराएं तो हम स्वयं हॉस्पिटल का निर्माण करने के लिए तैयार है अथवा किसी के भी माध्यम से यह कार्य संपन्न करें।

हमारी एम्बुलेंस सेवा सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित है। फायर फायटिंग सिस्टम, ऑक्सीजन सिलेंडर, ऑपरेशन थेटर, फ्रिज, गीजर, आवश्यक उपकरण, दवा, डॉक्टर आदि जरूरत का हर सामान एम्बुलेंस में ही उपलब्ध है। एक तरह से यह एक चलता फिरता छोटा दवाखाना ही है जो पीड़ित जानवरों व पक्षियों के लिए जीवनदायिनी संजीवनी की भूमिका अदा कर रहा है।

अबोल प्राणियों की सेवा चिकित्सा कर के हमें असीम आनंद एवं शांति की अनुभूति होती है इसलिए हमने अपना जीवन इनके लिए समर्पित कर दिया है। इस काम में मुझे मेरे परिवार का पूरा साथ मिलता है, उनके प्रोत्साहन से ही मैं जीवरक्षा का कार्य कर पा रहा हूं। इसलिए मुझे लगता है कि पशुधन की सेवा करना यह मेरा पारिवारिक कार्य है क्योंकि पशु-पक्षियों को मैं अपने परिवार का ही सदस्य मानता हूं।

इसके साथ ही समस्त महाजन संस्था द्वारा गरीबों को भोजन हेतु मुंबई में भोजन रथ चलाया जाता है। धर्म रक्षा, जीवरक्षा, संत-महात्मा एवं संस्कृति से जुड़े अनेक विषयों पर हम विशेष रूप से कार्यरत है। हाल ही में प्राणिमात्र की सेवा एवं रक्षा के लिए मुझे एक समारोह के दौरान जैन मुनि के करकमलों द्वारा ‘महावीर रत्न’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। इसे मैं अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि एवं पूंजी मानता हूं। भगवान महावीर जी की प्रेरणा से उनके बताए मार्ग का अनुसरण करने का संकल्प मैंने लिया है।

                                                                                                                                                                                  परेश भाई शाह 

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