इस बार के लोकसभा चुनाव में राहुल गांधी का आक्रामक अंदाज और तानाशाही व्यवहार महज दिखावा नहीं है बल्कि वास्तव में तानाशाही उनके खून में है। सोनिया गांधी के पिता फासिस्ट स्टेफेनो माइनो इटली के नेशलन फासिस्ट पार्टी के सदस्य थे।
सेवा निवृत्त आईआरएस अधिकारी देवेंद्र नारायण छ: साल पहले लिंक्डइन पर एक लेख लिखते हैं। यह सामान्य लेख नहीं था। उसे पढ़ते हुए ऐसा लगता है कि वे 2018 में भारत के 2024 का हाल लिख रहे हैं। देवेंद्र नारायण कांग्रेस पार्टी के नेता राहुल गांधी का नाम लिखकर देश को आगाह करते हैं कि सावधान हो जाओ। वे लिखते हैं- “एक इतालवी प्रशिक्षक द्वारा प्रशिक्षित और नाजी प्रचार मंत्री गोएबल्स से प्रेरित होकर राहुल गांधी एक भयानक राष्ट्र विरोधी खेल खेल रहे हैं। अगर वे इस खेल में जीत गए तो भारत हार जाएगा, भारत में लोकतंत्र संकट में पड़ जाएगा।”
ठरर्हीश्र ॠरपवहळ ळी श्रिरूळपस र वरपसर्शीेीी रपींळ-परींळेपरश्र शीर्षक से लिखा गया यह लेख कोई भी गूगल सर्च करके लिंक्डइन पर पढ़ सकता है। इस पूरे लेख में देश के प्रमुख विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े नेता का जीवंत चित्रण है। देवेंद्र नारायण लिखते हैं – “चूंकि राहुल गांधी सत्ता से बाहर रहने की वजह से कुछ भी देने में असमर्थ है, इसलिए वह अपमानजनक भाषा और झूठ का सहारा लेते हैं।” छ: साल पहले लिखी हुई यह बात 2024 के चुनाव में लोगों ने सच होते देख ली। राहुल की भाषा इतनी खराब हो चुकी थी कि वे और उनके नेता पत्रकारों पर हमलावर हो गए थे। राहुल गांधी अपने भाषण में उन्हें चमचा, चमची कहते थे और उनके प्रवक्ता पत्रकार वार्ता में उन्हें चरण चुंबक। 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार में कांग्रेस पार्टी ने पत्रकारों के लिए अपमानजनक भाषा का जमकर प्रयोग किया और झूठ का सहारा लेने में भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। इस चुनाव में 100 से भी अधिक कांग्रेसी मानसिकता के यू ट्यूबर मैदान में छोड़े गए थे। जिनमें कई तो वरिष्ठ पूर्व पत्रकार भी थे। इनके पास मुंह नोचने का असाइनमेंट था। कोई भी प्रश्न कांग्रेस से या राहुल गांधी से पूछा जाए तो यू ट्यूबर्स का यह पूरा इको सिस्टम सक्रिय हो जाता था। ओपन एआई रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ कि इजरायली फर्म एसटीओआईसी ने एंटी बीजेपी एजेंडा चलाकर लोकसभा चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की। कुछ यू ट्यूबर जिनकी पहचान निष्पक्ष पत्रकार की रही है, इस चुनाव में ऐसा लग रहा था कि उन्होंने कांग्रेसी पट्टा गले में डाल लिया है। उन्हें कांग्रेस आईटी सेल जिस दिशा में भौंकने को कहता है, वे भौंकने लगते हैं। कुछ खास यू ट्यूबर अपनी चर्चा के विषय एक जैसे ही रखते थे। जैसे किसी एक दिशा से सबके पास निर्देश आ रहा हो। उन सबके व्यू और लाइक असामान्य तरीके से बढ़े हुए दिखाई देते थे। यू ट्यूब पर लम्बे समय से काम कर रहे प्रोफेशनल भी मानते हैं कि इस गति से व्यूज का बढ़ना सामान्य नहीं है। दूसरी तरफ कांग्रेस और इंडी अलायंस की आलोचना वाले वीडियो की रीच कम कर दी गई। आम आदमी पार्टी के आईटी सेल का एक पूर्व कर्मचारी लोकसभा चुनाव 2024 में यू ट्यूब के ऊपर सबसे बड़ा सेलिब्रिटी था।
‘वनली फैक्ट इंडिया’ के फाउंडर विजय पटेल ने कांग्रेस के कई झूठों और उनके द्वारा फैलाई गई अफवाहों की कलई खोल कर रख दी है। 14 जून को जब कांग्रेस ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ‘बीफिटिंग फैक्टस’ नाम के अकाउंट पर फेक न्यूज फैलाने के आरोप में एफआईआर की बात लिखी। पार्टी को अपने झूठ याद नहीं आए, जो उनके अपने लोगों के अकाउंट से लगातार शेयर हो रहा था। बताया गया कि कांग्रेस एमएलसी डॉ. वेंकट नरसिंह राव बालमूर ने हैदराबाद के साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई है। अब कांग्रेस कह रही है कि वह फेक न्यूज को बिल्कुल सहन नहीं करेगी। इसे पढ़कर कुछ लोग व्यंग्य समझ रहे हैं। क्योंकि कांग्रेसी आईटी सेल कारखाने देश भर में सुप्रिया श्रीनेत के नेतृत्व में झूठ-सच करने और अपशब्दों से भरे सोशल मीडिया कंटेंट के उत्पादन के लिए ही 2024 लोकसभा चुनाव में प्रसिद्ध हुआ। ऐसी आईटी सेल वाली पार्टी फेक न्यूज सहन नहीं करने की बात करेगी तो लोग व्यंग्य ही समझेंगे ना!
विजय पटेल लिखते हैं कि सिर्फ एक खबर जो सत्यापित नहीं हो पाई और उसके ऊपर कांग्रेस ने बिना देरी किए एफआईआर करवा दिया। इससे तो यही सिद्ध होता है कि राहुल गांधी फासिस्ट है। विजय पटेल का यह ट्वीट 15 जून 2024 का है। 28 सितम्बर 2018 को अपने लेख में देवेंद्र नारायण भी राहुल गांधी के फासिस्ट होने की बात लिखते हैं। विजय पटेल के अनुसार उनकी टीम ने 100 से अधिक ऐसे फेक न्यूज की पहचान की है, जिसे राहुल गांधी, उनकी कांग्रेस पार्टी या फिर कांग्रेस गठबंधन की पार्टियों ने फैलाया। इसके बावजूद बीजेपी ने कार्रवाई करने की जगह इस पर खामोश रहने का निर्णय लिया। बावजूद इसके बीजेपी डिक्टेटर है जबकि राहुल गांधी के ‘तानाशाही रवैए’ को कांग्रेस पार्टी के काम-काज में देखा जा सकता है। 99 सीट वाली कांग्रेस, बीजेपी के बहुमत से पीछे रहने पर प्रश्न उठा रही थी। जबकि बीजेपी प्री-पोल अलायंस में बहुमत में थी। उसकी सरकार बनी और एक बार फिर देश के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी बने।
इंडी अलायंस से जुड़े कार्यकर्ताओं ने चुनाव परिणाम के बाद जगह जगह तोड़-फोड़ की, हंगामा किया। पश्चिम बंगाल में बीजेपी के कार्यकर्ता जान बचाकर छुप रहे हैं। जब वे अपनी पीड़ा राजभवन में जाकर राज्यपाल को बताने का प्रयास करते हैं तो इंडी अलायंस की प्रदेश सरकार पीड़ितों को मिलने नहीं देती। पश्चिम बंगाल में इंडी अलायंस का खूनी खेल किसी से छुपा नहीं है। चुनाव परिणाम आने के बाद हालात इतने खराब हो गए कि पश्चिम बंगाल के गवर्नर सीवी आनंद बोस को हस्तक्षेप करना पड़ा। चुनाव के बाद से राज्य में जारी हिंसा को लेकर उन्होंने कहा कि बंगाल में कई जगहों पर मौत का तांडव हो रहा है और ममता सरकार हिंसा के शिकार लोगों को राजभवन नहीं आने दे रही हैं। इंडी अलायंस संविधान को बचाने की बात करता था और पश्चिम बंगाल की मुख्य मंत्री उसी संविधान की उपेक्षा करने पर उतारू है।
यह बात भारत में रहस्य नहीं रहनी चाहिए कि कांग्रेसियों को फासिस्ट शब्द से इतना प्रेम क्यों है? इस प्रश्न को हल करने से पहले सोनिया गांधी का इतिहास जानना होगा। उनके पिता फासिस्ट स्टेफेनो माइनो की कहानी जाननी होगी, जो इटली के नेशलन फासिस्ट पार्टी के सदस्य थे। इस तरह राहुल गांधी को विरासत में षडयंत्र और तानाशाही मिली है। फिर वे राजनीति की गंदी चालें क्यों ना चलें? अब तो यह लगने लगा है कि वे सभ्य राजनीति करने में असक्षम हैं।