हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
‘तक्षक’ की आक्रामक रणनीति अपनाए भारत

‘तक्षक’ की आक्रामक रणनीति अपनाए भारत

by रवींद्र सिंह भड़वाल
in अगस्त २०२४, समाचार.., सामाजिक
0

भारत को अब सूचनाओं के इस युग में ‘तक्षक’ के विचारों को समक्ष रखकर शत्रुओं के प्रति अपनी रणनीति विकसित करनी होगी। शत्रुओं को हमारे मर्यादित आचरण का कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। उल्टा इस आचरण से उन्होंने हमारे कमजोर होने का भ्रम पाल लिया है। इससे उनका दुस्साहस और भी बढ़ता रहा है। हमें अब हर बार शत्रुओं के किसी झूठे एजेंडे के हमले की प्रतीक्षा करने के बजाय तक्षक की तरह अपनी ‘आक्रामक रणनीति’ विकसित करनी होगी।

सातवीं सदी में मोहम्मद बिन कासिम पहला मुस्लिम शासक था, जिसने सफलतापूर्वक हिंदू क्षेत्रों सिंध और मुल्तान पर कब्जा किया था। उस समय कन्नौज के शासक नागभट्ट द्वितीय का मुख्य अंगरक्षक ‘तक्षक’ था। नागभट्ट को सूचना मिली कि अरब खलीफाओं के सहयोग से सिंध की विशाल सेना कन्नौज पर आक्रमण के लिए प्रस्थान कर चुकी है और सम्भवतः 2 से 3 दिन के अंदर यह सेना कन्नौज की सीमा पर होगी। सिंध की सेना से निपटने के लिए महाराज नागभट्ट ने रणनीति बनाने के लिए एक सभा बैठाई। सभा में तक्षक ने कहा, ‘महाराज! हमें इस बार दुश्मन को उसी की शैली में उत्तर देना होगा। अरब सैनिक महा बर्बर हैं। सनातन नियमों के अनुरूप युद्ध करके हम अपनी प्रजा के साथ घात ही करेंगे। उनको उन्हीं की शैली में हराना होगा।’

इसके बाद महाराज अपने मुख्य सेनापतियों, मंत्रियों और तक्षक के साथ युद्ध रणनीति के लिए गुप्तकक्ष की ओर चल दिए। अगले दिन कन्नौज सेना तक्षक के नेतृत्व में युद्ध के लिए सीमा की ओर निकल पड़ी। आधी रात बीत चुकी थी, अरब सेना अपने शिविर में निश्चिंत सो रही थी। अचानक तक्षक के संचालन में कन्नौज की एक चौथाई सेना अरब शिविर पर टूट पड़ी। सिंध सेना को किसी हिंदू शासक से रात्रि युद्ध की आशा कतई न थी। एरान सैनिक उठते, सावधान होते और हथियार सम्भालते, तब तक कन्नौज की सेना अपने लक्ष्य की ओर काफी आगे बढ़ चुकी थी। दोपहर होते-होते समूची अरब सेना का विनाश हो चुका था। भारत ने अबतक मातृभूमि की रक्षा में प्राण न्योछावर करना सीखा था, किंतु तक्षक की आक्रामक रणनीति ने मातृभूमि के लिए प्राण लेना सीखा दिया। बताया जाता है कि इस युद्ध के बाद अगली तीन शताब्दियों तक अरबों की भारत की तरफ आंख उठाकर देखने की हिम्मत नहीं हुई।

इस कथानक से हमें वर्तमान समय में भारत के विरुद्ध लड़े जा रहे विमर्श व सूचनाओं के युद्ध में शत्रुओं को ठोस उत्तर देने की एक कुशल रणनीतिक समझ मिलती है। भारत अपने शत्रुओं के प्रति अब तक मर्यादित नीति का पालन करता आया है। भारत ने अपने शत्रु के विरुद्व भी आदर्श व्यवहार किया है। हमारे शत्रु देश इसका अनुचित लाभ ही उठाते आए हैं। वर्तमान में विमर्शों के इस युद्ध में सूचना तंत्र के माध्यम से दुनिया भर में भारत के प्रति ऐसी सूचनाएं परोसी जाती हैं, जिनसे भारत की छवि धूमिल हो, निवेशकों का भारत में विश्वास कम हो या फिर भारत की किसी तरह की क्षति होती हो। साइबर हमले, भारत के प्रति झूठी खबरें प्रसारित करना, भारत विरोधी एजेंडे को बढ़ाने के लिए फंडिंग जैसे कई रूपों में भारत के विरुद्ध यह युद्ध निरंतर लड़ा जा रहा है।

विमर्शों के इस युद्ध के संदर्भ में भारत की स्थिति का आकलन करें, तो भारत इसके ऊपर होने वाले हमलों के प्रति तुरंत बचाव की मुद्रा में आ जाता है। इसके साथ ही स्वयं को निर्दोष सिद्ध करने में ताकत झोंक दी जाती है। इससे एक हानि यह होती है कि जब किसी आरोप से मुक्त होने के लिए प्रयास किए जाते हैं, तो इससे दुनिया में यह संदेह बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है कि कहीं वास्तव में वह अपराधी तो नहीं। इसे समझने के लिए हाल ही की कथित हिंडनबर्ग रिपोर्ट एक सटीक उदाहरण है। इस एक रिपोर्ट के सामने आने के बाद भारत की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा। सम्बंधित भारतीय औद्योगिक प्रतिष्ठान ने स्वयं को निर्दोष सिद्ध करने के प्रयास शुरू कर दिए। भारत के सत्ता पक्ष ने भी इसमें आरोपित कम्पनी की निर्दोष सिद्ध करने में शक्ति लगा दी। बाद में मामले की जांच हुई और इसमें यह कथित रिपोर्ट तथ्यहीन और झूठी सिद्ध हुई, मगर तब तक भारत की अर्थव्यवस्था को इससे अरबों रुपयों की हानि हो चुकी थी।

भारत को अब सूचनाओं के इस युग में ‘तक्षक’ के विचारों को समक्ष रखकर शत्रुओं के प्रति अपनी रणनीति विकसित करनी होगी। शत्रुओं को हमारे मर्यादित आचरण का कोई ज्यादा फर्क नहीं पड़ता। उल्टा इस आचरण से उन्होंने हमारे कमजोर होने का भ्रम पाल लिया है। इससे उनका दुस्साहस और भी बढ़ता रहा है। हमें अब हर बार शत्रुओं के किसी झूठे एजेंडे के हमले की प्रतीक्षा करने के बजाय तक्षक की तरह अपनी ‘आक्रामक रणनीति’ विकसित करनी होगी। हमें हर बार शत्रु के विरुद्ध रक्षात्मक मुद्रा अपनाने की बजाय आक्रामक होकर लड़ना होगा। सूचनाओं और झूठे विमर्शों के इस युद्ध में हमें त्रिकोणीय रणनीति के साथ युद्ध के मैदान में उतरना होगा।

सबसे पहले हमें भारत राष्ट्र की महान सभ्यता और संस्कृति के सकारात्मक पक्षों को रचनात्मक ढंग से दुनिया को बताना होगा। अपनी विरासत और वर्तमान की क्षमताओं के बारे में दुनिया को बताना होगा, जिससे पूरे विश्व समुदाय में हमारी छवि मजबूत होगी। इससे पूरे विश्व का भारत में विश्वास बढ़ेगा। दूसरा, अपने शत्रु पक्ष की खामियों को ढूंढकर उन्हें विश्व मंच पर प्रस्तुत कर उसकी साख को क्षति पहुंचानी चाहि। इस मोर्चे पर भारत अब तक अपने मूल्यों और सिद्धांतों के कारण कुछ खास नहीं कर सका है। इस साख के नुकसान से उसे विश्व समुदाय में कई मोर्चों पर एक साथ परास्त किया जा सकेगा। तीसरा, सबसे अंत में हमें हमारे विरुद्ध चलाए जा रहे झूठे विमर्शों का भी उत्तर उसी की भाषा में देना होगा। इससे हम अपनी साख को बचाने में सक्षम होंगे।

तक्षक की उस रणनीति को हम यदि झूठे विमर्शों के वर्तमान युद्ध में अपना सकें, तो निश्चित तौर पर झूठे विमर्शों के इस युद्ध में भारत की छवि को धूमिल होने से बचाया जा सकेगा, शत्रु पक्ष को कमजोर किया जा सकेगा, वहीं छवि में सुधार से भारत की ताकत भी बढ़ेगी।

 

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: #hindivivek #world #india #hindu #hindivivek

रवींद्र सिंह भड़वाल

Next Post
राष्ट्रबोध, शत्रुबोध और कर्तव्य बोध

राष्ट्रबोध, शत्रुबोध और कर्तव्य बोध

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0