सोशल मीडिया का जो प्लेटफार्म है बड़ा ही मायावी है। इतनी चकाचौंध वाला है कि यदि ठीक से प्रयोग करना नहीं सीखे तो आपको यह राक्षस कब निगल जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा। विज्ञान में नए-नए अनुसंधान हमारी सुविधा के लिए किए जाते हैं पर न जाने क्यों कुछ असामाजिक तत्वों के चलते यह अभिशाप-सा बन जाता है।
बचपन में कल्पवृक्ष की कहानी तो सभी ने पढ़ी होगी और सभी को उसका अंत भी याद होगा। नहीं याद है तो सुनिए- कल्पवृक्ष वह पेड़ होता है जिसके नीचे बैठकर जिस भी बात या चीज की कल्पना करो वो सच हो जाती है। एक बार एक राहगीर एक जंगल से गुजरता हुआ थक गया और एक पेड़ के नीचे विश्राम करने बैठ गया। गर्मी का मौसम था तो स्वाभाविक है कि गला सूख गया था, उसने मन में सोचा काश! ठंडा-ठंडा जल मिल जाए और तभी अचानक चमत्कार हुआ। उसके सामने एक लोटा ठंडा-ठंडा जल प्रकट हो गया, जल पीकर वह बड़ा खुश हुआ। फिर मन में आया कि भाई भूख भी लगी है यदि एक थाल में बढ़िया-बढ़िया भोजन मिल जाए तो… बस यह सोचने भर की देर थी और उसके सामने छप्पन भोग से भरा थाल आ गया। उसने पेट भर खाना भी खा लिया अब आया आलस्य। मन में इच्छा जागी कि काश बढ़िया सी आरामदायक खाट मिल जाए और यह लो जी- मुलायम चद्दर बिछौने वाला खाट भी लग गया। वह झट से खाट पर लेट गया और अचानक मन में शंका उठी कि यह क्या माया है और मैं जंगल में अकेला हूं। कहीं कोई राक्षस मुझे आकर खा न जाए और बस प्रकट हुआ राक्षस और उस राहगीर को खा गया। कहानी खत्म!
कुछ याद आया? क्या ऐसा ही कुछ आपके साथ भी हो रहा है कि आप किसी बात को सोचते हो या बोलते हो और आपका जीवनसाथी यानी आपका मोबाइल फोन झटपट उन्हीं बातों की जानकारी लेकर प्रकट हो जाता है?
जी हां! यह बात एकदम सत्य है। आजकल हर एक के पास स्मार्ट फोन हैं और हमें आभास भी नहीं है कि यह यंत्र हमारी सब बातें सुनता है और इस डाटा यानी सूचना को स्टोर भी करता है। असलियत यह है कि फोन यह सब नहीं करता पर फोन पर जो हमारे द्वारा प्रयोग किए जाने वाले एप्प होते हैं वे हमारी बातें या हमारे सर्च इंजन का ध्यान रखते हैं।
दरअसल होता यह है कि जब भी हम कोई एप डाउनलोड करते हैं या फोन पर किसी भी सर्विस का प्रयोग करते हैं तो उसमें वह प्राय: कैमरा, वॉयस सिस्टम प्रयोग करने की अनुमति मांगता है जो हमें देनी होती है पर इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि यह फोन इन सबके जरिए आप पर थोड़ी बहुत जासूसी कर रहा होता है। धीरे-धीरे आपकी पसंद-नापसंद से सम्बंधित डाटा जमा करने लगता है और उसी के आधार पर आपको विज्ञापन या जानकारी दिखाना शुरू करता है।
शुरू-शुरू में तो आपको बड़ा मजा आता है कि वाह! क्या जादू हो रहा है। आप सोचते हैं कि बाल झड़ रहे हैं और यह लो एक के बाद एक बाल झड़ने के उपाय आने शुरू हो जाते हैं। आपको घर खरीदने का मन हो रहा है और लो जी एक से बढ़कर एक प्रॉपर्टीज सम्बंधी जानकारी आने लगती है। घर में शादी है और आपको बढ़िया कपड़ों-गहनों के वीडियो आने लग जाते हैं। यदि हम धार्मिक कंटेंट एक बार देखेंगे तो फोन वैसे ही दस विकल्प और दिखाना शुरू कर देता है।
पर धीरे-धीरे हमारी हालत भी उस राहगीर जैसे ही होने लगती और तब मन में भय उत्पन्न होने लगता है, यह हो क्या रहा है? यह फोन कैसे हर बात भांप लेता है?
अब होता क्या है कि है तो यह गैरकानूनी, पर हम खुद ही गूगल को जाने-अनजाने में अपना माइक्रोफोन ऑन रखने की स्वीकृति देते हैं। तब इसके जरिए फोन हमारे द्वारा कही बातों पर आधारित जानकारियां हमें दिखाने लगती हैं। अब यह अलग बात है कि यह सुविधा बनाई गई थी हमारे सदुपयोग के लिए, पर सिक्के के दो पहलू वाली बात यहां भी लागू होती है। सदुपयोग तो है पर असामाजिक तत्वों के लिए तो यह खुल जा सिमसिम वाली बात हो गई है क्योंकि हर एक स्मार्ट फोन यूजर को फोन प्रयोग करते समय क्या-क्या सावधानियां बरतनी चाहिए यह बात पता नहीं है। इसी बात का लाभ हैकर्स वगैरह उठाते हैं। इसका दुष्परिणाम यह है कि आजकल आए दिन फेसबुक या फोन हैक होने की घटनाएं आम होने लगी हैं क्योंकि हैकर्स को यहां फ्री एंट्री मिल जाती है। मजे की बात यह है कि उन्हें भी तिजोरी लूटने की चाबी हम स्वयं देते हैं। हमें कभी भी किसी अनजान मैसेज से आए लिंक को नहीं छूना चाहिए क्योंकि प्राय: यही लापरवाही हमारे फोन या डिवाइस को हैक करवा देती हैं। कभी भी किसी बैंक या किसी सरकारी संस्था वगैरह से कॉल या मैसेज आए तो हमेशा सतर्क रहिएं। याद रखिए कि आपको अपने अकाउंट सम्बंधी या आई.डी. सम्बंधी कोई भी जानकारी नहीं देनी है। प्राय: जो फर्जी लोग होते हैं वो प्रौढ़ उम्र के पुरुष व महिलाओं को भी टारगेट करते हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि ये लोग जल्दी घबरा जाएंगे और तुरंत मांगी हुई सभी जानकारी दे देंगे, इसीलिए अपने घर पर भी सभी को इन बातों से अवगत करवाएं और स्मार्ट फोन के बारे में पूरी जानकारी दें।
अब मोबाइल फोन के संदर्भ में प्राइवेसी और सिक्योरिटी के अलग अलग अर्थ होते हैं- प्राइवेसी यानी आपके द्वारा सोशल मीडिया पर पोस्टेड कंटेंट कौन देख पाएगा, कौन उसका प्रयोग कर पाएगा वगैरह। वहीं सिक्योरिटी का सरल शब्दों में अर्थ है- हैकर्स से या डिजिटल दुनिया के असामाजिक तत्वों से रक्षण, जो आपके द्वारा जारी इनफार्मेशन (डाटा) को अप्राधिकृत तरीके से गलत कामों के लिए प्रयोग करते हैं।
साथ ही इंटरनेट प्राइवेसी का अर्थ भी जानना बहुत आवश्यक है। इस से आप अपनी ब्राउजिंग हिस्ट्री, अपने पासवर्ड, यूजरनेम, आपके चैट्स और आप किन साइट्स से क्या खरीदते हो, यह सब जानकारियां छुपा कर रख सकते हैं। क्योंकि ये उपयोगी डाटा यदि हैकर्स के हाथ लग जाती है तो वे इसका गलत लाभ उठाते हैं और आपको ब्लैकमेल या रैंसमवेयर जैसी बड़ी दुविधाओं का सामना करना पड़ सकता है। सोशल मीडिया का जो प्लेटफार्म है बड़ा ही मायावी है। इतनी चकाचौंध वाला है कि यदि ठीक से प्रयोग करना नहीं सीखे तो आपको यह राक्षस कब निगल जाएगा आपको पता भी नहीं चलेगा। विज्ञान में नए-नए अनुसंधान हमारी सुविधा के लिए किए जाते हैं पर न जाने क्यों कुछ असामाजिक तत्वों के चलते यह अभिशाप-सा बन जाता है।
– अनु बाफना