सरदार पटेल से बांग्लादेश के वर्तमान हिंदू और बौद्ध बहुल क्षेत्रों के नागरिकों ने एक स्वतंत्र हिंदू राष्ट्र बनाने का अनुरोध किया था। पानी और बिजली वितरण के महत्वपूर्ण मुद्दों के कारण यह संभव नहीं हो सका। आज उसी क्षेत्र के नागरिक मारे जा रहे हैं। 1971 के युद्ध में निर्दोषों के नरसंहार, छात्रों की सामूहिक हत्या, 1947 से आज तक अल्पसंख्यकों की भयावह स्थिति की जानकारी साक्ष्य सहित दी गई।
पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के नाम पर स्थापित मंच ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर व्याख्यान न दे तो आश्चर्य होगा! मुंबई के उपनगर बोरीवली में सुषमा स्वराज मंच, जिसका गठन अंतर्राष्ट्रीय राजनीति विषय पर जन जागरूकता निर्माण करने के उद्देश्य से किया गया था, ने पहले दिन बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता के विषय पर बोलने के लिए शांभवी थेटे को अटल स्मृति उद्यान में आमंत्रित किया। इस महीने शाम्भवी थेटे एक अंतर्राष्ट्रीय संबंध विद्वान और युवा पीएचडी विद्वान हैं। नई दिल्ली की जेएनयू महाविद्यालय में उनका शोध अभ्यास जारी है।
व्याख्यान का प्रारम्भ मंच के अध्यक्ष श्री रविंद्र कट्टी, कार्यक्रम अध्यक्ष डॉ. श्रीनिवास कुलकर्णी और शांभवी थेटे ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अध्यक्षीय भाषण के बाद शांभवी थेटे ने बांग्लादेश की आजादी से पहले की ऐतिहासिक घटनाओं की समीक्षा की। एक राष्ट्र के रूप में पृथक अस्तित्व की भावना क्यों और कैसे उत्पन्न हुई? इसका परिचय दर्शकों से कराया। आज के समय में ऐतिहासिक घटनाओं का संदर्भ समझाया। पूर्वी और पश्चिमी पाकिस्तान, उनके बीच भारत की भौगोलिक और राजनीतिक स्थिति, भारत के हस्तक्षेप पर टिप्पणी की।
सरदार पटेल से बांग्लादेश के वर्तमान हिंदू और बौद्ध बहुल क्षेत्रों के नागरिकों ने एक स्वतंत्र हिंदू राष्ट्र बनाने का अनुरोध किया था। पानी और बिजली वितरण के महत्वपूर्ण मुद्दों के कारण यह संभव नहीं हो सका। आज उसी क्षेत्र के नागरिक मारे जा रहे हैं।
1971 के युद्ध में निर्दोषों के नरसंहार, छात्रों की सामूहिक हत्या, 1947 से आज तक अल्पसंख्यकों की भयावह स्थिति की जानकारी साक्ष्य सहित दी गई। इसमें एक संक्षिप्त, लेकिन महत्वपूर्ण विवरण दिया गया कि कैसे एक बार बुतपरस्त घटना इस्लामी बन गई। इन सभी घटनाओं पर भारत, चीन, पाकिस्तान से लेकर सीधे अमेरिका, रूस और हर देश की प्रतिक्रिया का विश्लेषण किया गया। आज भारत बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों को कैसे स्वीकार करेगा? भारत में शरण लेने वाली उनकी पूर्व प्रधानमंत्री हसीना शेख का भविष्य क्या होगा? श्रोताओं के ऐसे कई प्रश्नों का उत्तर शांभवी थिटे ने देकर संतुष्ट किया। कार्यक्रम का समापन विश्व प्रार्थना के साथ हुआ।