आपको नहीं लगता कि सारी दुनिया आपकी मुठ्ठी में है। जी हां! हम बात कर रहे हैं मोबाइल की। आपको देश-विदेश का समाचार जानना हो, यात्रा टिकट बुक कराना हो, फिल्म देखना हो या फिर दूर बैठे अपने प्रियजनोें से बात करनी हो तो आप पलक झपकते ही सब कुछ कर सकते हैं।
मोबाइल अर्थात एक ऐसा उपकरण जो कभी-कभी अपने रिश्तेदारों से भी ज्यादा प्यारा लगने लगता है यहां तक कि कई बार लगता ही है। वजह बड़ी सरल है। मोबाइल, विशेष रूप से टच स्क्रीनवाले के माध्यम से इंटरनेट की दुनिया में हम सभी रहने लगे हैं। कहना गलत न होगा कि जब से इस मोबाइल के जाल में हम फंसे हैं तब से यह हमारे मन में भी किसी अपने स्नेहिल रिश्तेदार के समान बस गया है। एक सर्वेक्षण के अनुसार दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत लोग मोबाइल पर आसक्त हैं और लगभग आश्रित से रहने लगे हैं, यह मानना भी गलत नहीं होगा। एक वो भी समय था जब मोबाइल एंड्रायड न होकर एक साधारण सा उपकरण हुआ करता था। केवल कॉल और मैसेज भेजना ही इसके मुख्य प्रयोग हुआ करते थे। उस समय भी लोग संदेशों का आदान-प्रदान कर खुश होते थे, दुखी होते थे। उस समय भी हमारे जीवन में मोबाइल बेहद जरुरी तो था ही लेकिन हमारी सांसों के साथ-साथ नहीं चलता था। मनोरंजन प्राप्त करने के माध्यम बहुत सीमित थे। मोबाइल की दुनिया में सबसे पहला आगमन वर्ष 2007 में आई फोन का हुआ। लेकिन यह आम जनमानस की पहुंच से कोसों दूर था। लेकिन एक वर्ष बीतते-बीतते ही आम जनमानस के लिए मोबाइल एक संचार क्रांति के रूप में सामने आया।
वर्ष 2008 में एंड्रायड की सुविधा के साथ आया तो पूरी की पूरी दुनिया की जीवनशैली ही बदल गई। एंड्रायड फोन अपने साथ इंटरनेट और सोशल मीडिया लेकर आया। इसके साथ इंस्टेंट मैसेजिंग, फेसबुक, व्हाटसएप, यूटयूब, इंस्टाग्राम, टेलीग्राम और गूगल आदि अलग-अलग माध्यम लेकर आया। कहना न होगा कि इन माध्यमों ने मनोरंजन की दुनिया में एक क्रांति ला दी है। ये सारे माध्यम मोबाइल में आसानी से उपलब्ध हैं।
एक मोबाइल के उपयोगकर्तागण सबसे पहले अपने एंड्रायड मोबाइल फोन के माध्यम से इंटरनेट से जुड़ते हैं। इसके बाद वो मनोरंजन प्राप्त करने के लिए वह विभिन्न प्रकार के माध्यमों की दुनिया में विचरण करने लगते हैं। सबसे पहले उसके अपने दैनिक जीवन से जुड़े लोगों की व्हाटसएप की दुनिया में खोना पसंद करते हैं। कई सारे दोस्तों रिश्तेदारों को ढूंढते हैं। उनसे कई चाहे-अनचाहे विषयों पर बातचीत करते हैं। कभी दुखी तो कभी प्रसन्न होकर अपने मन का भाव प्रकट करते हैं। अधिकांशत: वो अपनी मनोव्यथा साझा करने के लिए उन सभी से कई प्रकार के किस्से, घटनाएं और चुटकुले आदि साझा करते हैं। एक प्रकार से मानसिक सुकून प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। दूसरे माध्यम जैसे फेसबुक के जरिए लोगों से जुड़ने की कोशिश करते हैं।
फेसबुक में तरह-तरह की मनोरंजक सामग्रियां उपलब्ध रहती हैं। कई सारे वीडियो और कुछ मनोरंजक जानकारियां देखने को मिलती हैं। फिर शुरु होता है ‘लाईक’ करने और ‘अनलाईक’ करने का सिलसिला जो उपयोगकर्त्ताओं को एक अलग ही आभासी दुनिया में लेकर पहुंच जाती है। दोस्ती जैसे रिश्ते ढूंढना भी मनोरंजन का ही एक हिस्सा है। नए दोस्तों को बनाने में भी एक अलग ही मनोरंजनपूर्ण रोमांच है। फेसबुक के बाद मैसेंजर की बात करें तो व्यक्तिगत सम्बंध इस माध्यम से भी विकसित होते हैं। व्हाटसएप की बात करें तो यह भी अपने माध्यम से एक अलग दुनिया में हमें पहुंचाती है। अधिकांशत: ये एक समूह निर्माण के जरिए संचालित होती हैं। समूह में वीडियो साझा करने के अलावा, एक दूसरे के साथ असीमित समय बिताना और सबसे बड़ी बात कि इस माध्यम से अपनी भावनाएं साझा करना भी स्वस्थ्य मनोरंजन प्राप्त करने का एक सशक्त माध्यम है। यूट्यूब की बात करें तो इसने पर्दे की दुनिया को जबरदस्त चुनौती दी है। आज तो हाल यह है कि देश के कोने-कोने में यूट्यूब से जुड़े हर उम्र के कलाकार मिलेंगे जो यूट्यूब को मनोरंजन का सबसे बड़ा पिटारा बनाते हैं। हर किसी का अपना चैनल है। ऐसा चैनल जिसके लिए किसी सेटेलाईट ट्रांपॉडर की जरुरत नहीं होती। बस एक मोबाइल हो और वो इंटरनेट से जुड़ा हो। फिर आप स्वाभाविक रूप से राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक विषय से सम्बंधित तरह-तरह के कंटेंट से जुड़ जाएंगे और उनसे आत्मसात भी कर पाएंगे।
यहां आप छोटी-बड़ी फिल्में, म्यूजिक वीडियो, कुकिंग चैनल, नाटक आदि आपको दिखाई देेंगे। जिस विषय से सम्बंधित वीडियो देखनी हो, बस आपको सर्च करना है। पचासों यूट्यूब चैनलों के अनेक वीडियो आपको सर्च के परिणामस्वरूप दिखाई देने लगेंगे। अधिकांशत: वीडियो हमारा मनोरंजन करने के उद्देश्य से बनाए जाते हैं। लोकप्रियता इतनी कि रेवेन्यू अर्जित करने के मामले में यह माध्यम एक प्रकार के विशाल उद्योग का रूप एवं आकार धारण कर चुका है। इस माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया को नए-नए प्रतिभाशाली कलाकार भी दिए हैं जो आज रजत परदे की कला की मुख्यधारा से जुड़े हुए हैं। इंस्टाग्राम की बात करें तो आज यह सम्प्रेषण का सार्थक माध्यम बन गया है। व्यक्तिगत प्रतिभा प्रदर्शित करने के लिए इस माध्यम का अधिक से अधिक उपयोग किया जाता है। सदस्यों द्वारा इंस्टाग्राम में ज्यादातर तस्वीरें ही पोस्ट होती हैं। कई बार तो नए-पुराने कलाकार इसलिए भी फिल्मों, सीरियलों और वेब सीरीजो में चुने जाते हैं कि इंस्टाग्राम में उनके फॉलोवर्स की कितनी संख्या है? फेसबुक की तरह यह भी लोकप्रियता मापने का भी सुनिश्चित मापदंड माना जाने लगा है। टेलीग्राम सफलता प्राप्त करने की प्रक्रिया से गुजर रहा है। व्हाट्सएप के विकल्प के रूप में इसे लोकप्रिय बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है।
अंतत: गूगल की बात आती है तो यह सोशल मीडिया का एक सबसे विकसित और स्थापित टूल है। गूगल के द्वारा आपको दुनिया का छोटे से छोटे और बड़े से बड़े सवालों का 90 प्रतिशत जवाब क्षण भर में ही टच स्क्रीनवाली मोबाइल से मिल जाता है। मोबाइल मनोरंजन की दुनिया में एक समंदर की तरह है जिसकी लहरों का प्रवाह व्यापक रूप से न केवल देश में बल्कि विश्ववयापी है। हालांकि इसका दुरुपयोग भी होता है और मनोरंजन की दुनिया कलुषित भी होती है। लेकिन यह भी एक सच है कि मोबाइल ने जनमानस की दुनिया को अधिकांशत: मनोरंजक ही बनाया है।
-राजीव रोहित