भारत और नेपाल के मैत्रीपूर्ण सम्बंध बनाए रखने में मिथिला की संस्कृति, इतिहास और धरोहर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। आज भले ही हम दो देश बन चुके हैं, लेकिन हमारी साझी विरासत और संस्कृति हमें एक होने का एहसास करवाती रहती है।
मिथिला क्षेत्र अपनी समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के लिए जाना जाता है। वर्तमान में नेपाल के कुछ हिस्से और भारत के कुछ हिस्सों को मिलाकर मिथिला क्षेत्र है। जिसमें मुख्यतः नेपाल की पूर्वी तराई और भारतीय राज्य बिहार के उत्तरी भाग शामिल हैं। इस क्षेत्र में मैथिली भाषी जनसंख्या का निवास है। भारत और नेपाल के बीच अत्यंत गहरे और बहुपक्षीय सम्बंधों के मूल में मिथिला क्षेत्र का योगदान हमेशा से रहा है। हिमालय की छाया में बसे इन दोनों देशों के लोगों ने सदियों से एक-दूसरे के साथ घनिष्ठ सम्पर्क बनाए रखा है। भाषा, रहन-सहन, खानपान की समानता के कारण मिथिला और नेपाल के बीच गहरे सम्बंध ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक समानताओं पर आधारित हैं।
ऐतिहासिक धरोहरों से सम्बंधों की मजबूती
मिथिला का इतिहास नेपाल के व्यापक इतिहास के साथ जुड़ा हुआ है। भारत और नेपाल के बीच के सम्बंधों की शुरुआत प्राचीन समय से मानी जाती है। नेपाल का उल्लेख वेदों और पुराणों में मिलता है, जो इसकी प्राचीनता को दर्शाता है। महाभारत और रामायण जैसे महाकाव्यों में भी नेपाल का वर्णन किया गया है। नेपाल के प्रमुख शहरों में से एक जनकपुर का ऐतिहासिक महत्व है। इस शहर की चर्चा हिंदुओं के पवित्र और प्राचीन ग्रंथ रामायण में भी है। रामायण के अनुसार जनकपुर शहर राजा जनक की राजधानी थी। राजा जनक, माता सीता के पिता थे। माता सीता का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के पुत्र भगवान श्रीराम से हुआ था। यह ऐतिहासिक सम्बंध जनकपुर शहर को भारत और नेपाल के हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बनाता है।
जनकपुर एक ऐसा शहर है जो न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर के कारण भी अद्वितीय है। यहां सीता माता का प्रसिद्ध मंदिर है, जिसे जानकी मंदिर कहा जाता है। यह मंदिर अपनी ऐतिहासिकता, भव्यता और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। यह नेपाल के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है, जहां प्रतिवर्ष हजारों श्रद्धालु आते हैं।
प्राचीन मिथिला के क्षेत्र के रूप में जनकपुर को महाकवि विद्यापति की भूमि के रूप में भी जाना जाता है। विद्यापति मैथिली भाषा के महान कवि थे और उन्होंने अपनी कविताओं और गीतों के माध्यम से मिथिला की संस्कृति और परम्पराओं को अमर किया। जनकपुर में विद्यापति की स्मृति में विभिन्न सांस्कृतिक और साहित्यिक कार्यक्रम आज भी बड़े धूमधाम से आयोजित होते हैं।
संस्कृति की साझी विरासत
भारत और नेपाल के बीच सांस्कृतिक सम्बंध भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। दोनों देशों में हिंदू धर्म का प्रभाव प्रबल है। नेपाल को हिंदू राष्ट्र के रूप में जाना जाता है और यहां भगवान पशुपतिनाथ का प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जो भारतीय श्रद्धालुओं के लिए एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। इसके अलावा बौद्ध धर्म का भी नेपाल में महत्वपूर्ण स्थान है। लुम्बिनी जो भगवान बुद्ध की जन्मस्थली है, नेपाल में स्थित है और यह स्थान भारतीय और अन्य बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। मिथिला और नेपाल के बीच का सांस्कृतिक सम्बंध बहुत मजबूत और जीवंत है।
मिथिला कला, विशेषकर प्रसिद्ध मिथिला (मधुबनी) पेंटिंग्स, एक साझा सांस्कृतिक धरोहर है। ये पेंटिंग्स, जो अपने जटिल डिजाइनों और जीवंत रंगों के लिए जानी जाती हैं, दोनों भारतीय और नेपाली मिथिला संस्कृति का अभिन्न अंग हैं। छठ, होली और दिवाली जैसे त्योहार दोनों देशों में समान उत्साह के साथ मनाए जाते हैं, जो गहरे सांस्कृतिक बंधनों को प्रदर्शित करते हैं।
इसके अतिरिक्त मिथिला क्षेत्र अपनी अनोखी लोक परम्पराओं, संगीत और नृत्य रूपों के लिए जाना जाता है, जो राष्ट्रीय सीमाओं को पार करते हैं। मैथिली भाषा, जो नेपाल और भारत दोनों देशों में बोली जाती है, इस सांस्कृतिक एकता को और मजबूत बनाती है। यह केवल संचार का माध्यम नहीं है बल्कि इस क्षेत्र की लोक कथाओं, साहित्य और पारम्परिक ज्ञान का भंडार है।
भाषा के मामले में भी भारत और नेपाल के सम्बंध काफी निकट हैं। मैथिली, नेपाली, हिंदी और संस्कृत भाषा के बीच घनिष्ठ सम्बंध हैं। इन सभी भाषाओं में शब्दों और व्याकरण की समानता पाई जाती हैं, जो उनके सांस्कृतिक और ऐतिहासिक सम्बंधों को और अधिक सुदृढ़ बनाती हैैं।
मिथिला और नेपाल के बीच सामाजिक व आर्थिक सम्बंध पारस्परिक निर्भरता की विशेषता है। भारत और नेपाल के बीच लोगों, वस्तुओं और सेवाओं की आसान आवाजाही इसे सुगम बनाती है। भारत के मिथिला क्षेत्र से कई लोग शिक्षा, रोजगार और व्यापार के लिए नेपाल जाते हैं और वहां से भी लोग भारत आते हैं। इस आवाजाही ने विचारों और संसाधनों के गतिशील आदान-प्रदान को जन्म दिया है, जो दोनों क्षेत्रों के विकास में योगदान करता है। कृषि प्रथाओं में समानता, जैसे धान, गेहूं और गन्ने की खेती, नेपाल और भारत दोनों में देखी जा सकती है। कृषि उत्पादों और हस्तशिल्पों का सीमा पार व्यापार स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
गहरे राजनीतिक और कूटनीतिक सम्बंध
मिथिला क्षेत्र और नेपाल के बीच का सम्बंध भारत और नेपाल के व्यापक राजनीतिक और कूटनीतिक सम्बंधोें से भी प्रभावित होता है। दोनों देश मिथिला क्षेत्र के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को पहचानते हैं और इसकी धरोहर को बढ़ावा देने तथा संरक्षित करने के लिए प्रयास करते हैं। पर्यटन, सांस्कृतिक आदान-प्रदान और बुनियादी ढांचे के विकास, क्षेत्रों में सीमा पार सहयोग आदि ने दोनों देशों के बीच सम्बंधों को और मजबूत किया है।
भारत और नेपाल के बीच कई दशकों से मित्रता और सहयोग के सम्बंध रहे हैं, लेकिन कुछ विवाद भी उभरे हैं जो दोनों देशों के बीच तनाव का कारण बने हैं। इनमें से प्रमुख हैं, कालापानी क्षेत्र विवाद और मधेसी मुद्दा। कालापानी क्षेत्र विवाद, भारत और नेपाल के बीच सबसे महत्वपूर्ण और चर्चित विवादों में से एक है। दोनों सरकारें इस पर बातचीत कर रही है और मुद्दे को सुलझाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
मिथिला क्षेत्र और नेपाल के बीच का सम्बंध इतिहास, संस्कृति, सामाजिक और आर्थिक पारस्परिक निर्भरता के स्थायी बंधनों का प्रमाण है। भौगोलिक विभाजन के बावजूद मिथिला के लोग एक गहरा सम्बंध साझा करते हैं जो राष्ट्रीय सीमाओं से परे हैं। साझा धरोहर और पारस्परिक सम्मान की नींव पर बना दोनों देशों का सम्बंध नेपाल और मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक समृद्धि को निरंतर बढ़ाता और विकसित करता रहता है। भविष्य में भी इन सम्बंधों को और अधिक प्रगाढ़ बनाने के प्रयास जारी रहेंगे, ताकि दोनों देश एक साथ प्रगति और विकास की राह पर आगे बढ़ सकें।
-ईश्वर नाथ झा