भले ही मुख्य मंत्री नीतीश कुमार अपने राज में सुशासन की बात कर लें, किंतु बिहार में सतत हो रही आपराधिक गतिविधियों की वास्तविकता को कोई नकार नहीं सकता। अपराधियों, पुलिस और नेताओं की मिलीभगत से संचालित होनेवाला भ्रष्टाचार इसका प्रमुख कारण है। बिहार को अपराध मुक्त करने हेतु बिहार में भी योगी मॉडल की आवश्यकता है।
बिहार में सबसे लम्बे समय तक मुख्य मंत्री बने रहने का रिकार्ड बनाने वाले नीतीश कुमार ‘जंगलराज’ समाप्त करने और ‘सुशासन’ स्थापित करने पर जोर देते थे। उन्होंने मुख्य मंत्री रहते हुए ऐसा किया भी और अधिकतर अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया। पहले स्थिति यह थी कि जहां 90 के दशक में बिहार की बहू-बेटियां शाम होने के बाद घर के बाहर निकलने से कतराती थीं, वहीं इसी दशक में बिहार से सबसे अधिक पलायन युवाओं का हुआ। वे युवा मेहनती थे, ईमानदार थे, अपने कर्तव्य को जानते थे और इसका फल यह हुआ कि जो जहां गया, वहां खूब परिश्रम किया और अपनी पहचान कायम की। वह चाहे कोलकाता हो, मुंबई हो, दिल्ली हो, असम हो या पंजाब। ऐसे में बिहार में सिर्फ और सिर्फ बचे वे लोग जिनकी मजबूरी थी वहां रहने की। ऐसी स्थिति में बिहार में अपराध खूब फला-फूला। इसके साथ ही हत्या, चोरी-डकैती, झपटमारी, दुष्कर्म, फिरौती आदि एक नए धंधे के रूप में सामने आया।
बिहार में होने वाले अपराध के आंकड़े कहते हैं कि पिछले 24 वर्षों के दौरान हत्या की घटना घटकर आधी हो गई है। वर्ष 2001 में प्रति लाख जनसंख्या पर हत्या दर 4.4 थी, जो 2024 में घटकर 2.1 हो गई है। बावजूद इसके जुलाई 2024 में विकासशील इंसान पार्टी प्रमुख मुकेश साहनी के पिता जीतन साहनी की धारदार हथियार से की गई हत्या से पूरा देश सन्न रह गया।
केंद्रीय गृह राज्य मंत्री का ट्वीट
ऐसे में साफ है कि बिहार में अपराधियों का बोलबाला है और अभी भी आम जनता इससे अलग नहीं है। अप्रैल 2023 में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने एक आंकड़ा जारी किया था जिसके अंतर्गत उन्होंने कहा था कि महागठबंधन सरकार (नीतीश और लालू यादव गठबंधन) बनने के बाद अपराध का आंकड़ा 4 हजार से भी अधिक है। राय ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि 9 अगस्त 2022 को नीतिश कुमार और तेजस्वी यादव की सरकार बिहार में बनी, तब से लेकर अप्रैल 2024 तक 4848 अपराध की घटनाएं बिहार में हुई हैं। इनमें से 2070 हत्याएं, 345 दुष्कर्म, 144 अपहरण तथा 700 हत्या के प्रयास के मामले हैं।
हत्या मामले में दूसरे स्थान पर राज्य
वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में हत्या के मामले में पूरे देश में बिहार दूसरे स्थान पर है और इस वर्ष 2930 मामले दर्ज किए गए। दिसम्बर 2023 में एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार गम्भीर अपराध में बिहार भले ही टॉप-10 से बाहर हो, लेकिन आर्थिक अपराध के मामले में बिहार छठे और साइबर अपराध के मामले में यह सातवें स्थान पर है। बिहार में आर्थिक अपराधों की संख्या 10,674 रही, जो राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल के बाद सबसे अधिक है। बिहार में 2023 में कुल 1621 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए। बिहार में महिलाओं के विरुद्ध अपराध दर 33.5 है। बच्चों के विरुद्ध अपराध की दर 17.1 है।
बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 को मंजूरी
मार्च 2024 में बिहार विधानसभा ने बिहार अपराध नियंत्रण विधेयक 2024 को मंजूरी दे दी। उस समय कहा गया कि राज्य में असामाजिक तत्वों को नियंत्रित और दंडित करने के लिए बिहार अपराध नियंत्रण अधिनियम 1981 लागू है, जो लगभग 43 साल पुराना है। इस अधिनियम की योजना बनाते समय आधुनिक अपराधों की कल्पना नहीं की गई थी। वर्तमान में अवैध शराब, आग्नेयास्त्रों का दुरुपयोग, अवैध बालू खनन, भूमि कब्जा, सूचना प्रौद्योगिकी का दुरुपयोग, यौन अपराध और बच्चों के प्रति अपराध को लेकर समाज को सुरक्षित रखने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इस नए कानून के अंतर्गत यदि जिला दंडाधिकारी को लगता है कि किसी जिले के किसी भाग में किसी की गतिविधि के कारण लोगों को भय हो सकता है, तो वे उस व्यक्ति या समूह को नोटिस जारी कर सकते हैं। यदि स्पष्टीकरण से संतुष्टि नहीं मिलती, तो अपराधी को जिलाबदर किया जा सकता है, जो कि 6 महीने तक हो सकता है और जरूरत पड़ने पर इसे बढ़ाया जा सकता है। जिलाधिकारी किसी भी पुलिस अधिकारी (इंस्पेक्टर से नीचे) को किसी स्थान की तलाशी लेने, जहाज, वाहन या जानवर को रोकने और उसकी तलाशी लेने का अधिकार दे सकते हैं।
– विनीत उत्पल