स्वतंत्रता के बाद से ही कांग्रेस सरकार और बिहार सरकार ने मिथिला क्षेत्र के विकास की उपेक्षा की और इसके साथ सौतेला व्यवहार किया, किंतु अटल बिहारी वाजपेयी सरकार और मोदी सरकार ने मिथिला के विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
मिथिला क्षेत्र में विकास की नई धारा बहाने के लिए मोदी सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। इन प्रयासों का उद्देश्य क्षेत्र के समग्र विकास को सुनिश्चित करना, बुनियादी ढांचे में सुधार करना, और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाना है।
मिथिला की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए पर्यटन विकास परियोजनाएं शुरू की गई हैं। इससे न केवल सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित किया जा रहा है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिल रही है। जल प्रबंधन और स्वच्छता के लिए भी कई पहल की गई हैं, जैसे कि जल संरक्षण परियोजनाएं, स्वच्छता अभियान और नदियों की सफाई के कार्यक्रम। मिथिला क्षेत्र में छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं और सब्सिडी प्रदान की जा रही हैं, जिससे रोजगार के नए अवसर सृजित हो रहे हैं।
इन पहलों के माध्यम से मोदी सरकार ने मिथिला क्षेत्र में विकास की नई धारा बहाई है, जिससे न केवल क्षेत्र की भौतिक और आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है, बल्कि लोगों के जीवन स्तर में भी महत्वपूर्ण बदलाव आया है। एक मुलाकात के दौरान दरभंगा के सांसद डॉ. गोपाल ठाकुर ने कहा था कि मिथिला के विकास के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने दरभंगा एम्स, एयरपोर्ट जैसे युगांतकारी कार्य किए हैं। आम लोगों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाने के लिए प्रधान मंत्री आवास योजना, प्रधान मंत्री उज्जवला योजना, भारत स्वच्छता मिशन जैसी सैकड़ों योजनाओं का संचालन पंचायती राज के द्वारा किया जा रहा है। उनका यह भी कहना था कि एनडीए की सरकार ने पंचायत सरकार में अतिपिछड़ा और महादलित वर्ग की मजबूत भागीदारी करवाने का कार्य किया है।
यदि यह कहा जाए कि भाजपा से जो भी प्रधान मंत्री बने, उन्होंने मिथिला क्षेत्र में विकास की नई गंगा को अवतरित किया, तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। नरेंद्र मोदी से पहले जब भारतरत्न अटल बिहारी वाजपेयी देश के प्रधान मंत्री थे, उस समय भी उनकी प्राथमिकता की सूची में मिथिला क्षेत्र रहा। उन्होंने मिथिला के लिए बहुत कुछ किया। दिसम्बर 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी ने 23 वर्षों से केंद्र सरकार के पास अटकी मैथिली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर मिथिला को एक अच्छा उपहार दिया था। इसके अलावा प्रधान मंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान अटल बिहारी वाजपेयी ने निर्मली में कोसी नदी पर एक रेलवे पुल की आधारशिला रखी थी। वे मिथिला के लिए अपने वादे पर अटल रहे। इसके लिए सम्पूर्ण मिथिला सदैव इनका ऋणी रहेगा।
सभी मिथिलावासी इस बात से खुश हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी की घोषणाएं अन्य सरकारों की तरह खोखली सिद्ध नहीं हुईं। शायद इसी वजह से मिथिला के गांवों में आज भी इनको याद किया जाता है। आज मैथिली भाषा इतनी समृद्ध हो गई है कि अन्य राज्यों के छात्र जो मैथिली नहीं जानते थे वे इस भाषा में यूपीएससी और बीपीएससी जैसी प्रशासनिक परीक्षाएं पास करने लगे हैं।
मिथिला क्षेत्र में बाढ़ की विकराल समस्या है। इसको लेकर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हालिया बजट में विशेष प्रावधान कराया है। नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा बिहार के लिए केंद्रीय बजट में बम्पर पैकेज देने की घोषणा से राज्य के विकास को एक नई दिशा मिलने की आशा है। इस पैकेज के अंतर्गत विभिन्न परियोजनाओं को शामिल कर बिहार को 58,900 करोड़ रुपए से अधिक की राशि दी गई है। बाढ़ प्रबंधन के लिए 11,500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। यह राशि बाढ़ से प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं को लागू करने और नदियों के तटबंधों की मरम्मत एवं पुनर्निर्माण में उपयोग की जाएगी। इससे बाढ़ की विभीषिका से होने वाले नुकसान को कम करने और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने में सहायता मिलेगी।
बदल रहा है मिथिला का सामाजिक ताना-बाना
मिथिला क्षेत्र में शिक्षा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि हो रही है। यह क्षेत्र यानी मिथिला की गोद में उच्च शिक्षण संस्थान, तकनीकी प्रशिक्षण केंद्र और उद्योग-धंधे स्थापित हो रहे हैं। जिससे युवाओं को बेहतर रोजगार के अवसर मिल रहे हैं। इसके साथ ही शिक्षा और रोजगार के अवसरों में सुधार से सामाजिक और आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आ रहा है। विभिन्न सामाजिक आंदोलनों और जागरूकता अभियानों ने मिथिला की सामाजिक धारा को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह सामाजिक मुद्दों पर खुली चर्चा और सुधार के लिए एक मंच प्रदान कर रहा है। युवा पीढ़ी के अधिकतर लोग बड़े शहरों और विदेशों में रोजगार और शिक्षा के लिए जा रहे हैं, जिससे मिथिला में सामाजिक और पारिवारिक संरचनाओं में बदलाव आ रहा है।
-सुभाष चंद्र