मिथिला में सड़क, रेलवे, हवाई अड्डे और जलमार्ग के द्वारा यातायात-परिवहन की सीमित सुविधा है, इसलिए इन सुविधाओं को बढ़ाने और इनका आधुनिकीकरण करने की बहुत आवश्यकता है। यातायात व परिवहन की पर्याप्त सुविधा होने पर निश्चित रूप से मिथिला में उद्योग-व्यवसाय, स्वयं रोजगार स्थापित करने में सहायता मिलेगी।
प्राचीन काल में कई ऐसी सड़कें रही हैं जो मिथिला से गुजरती हैं। वास्तव में मिथिला में सड़क मार्ग का विकास सभ्यता के विकास के साथ ही जुड़ा हुआ है। हम देखें तो रामायण और महाभारत काल में भी सड़कों की उपस्थिति मिथिला में रही है, जिसमें भगवान राम की अयोध्या से जनकपुर की यात्रा में भी राजमार्गों के उपयोग की चर्चा है, साथ ही साथ कई स्थानों पर जल मार्गों की भी चर्चा हुई है। महाराजा जनक के द्वारा भेजे गए दूत तीव्र गति से चलते हुए 3 दिन में अयोध्या पहुंचते हैं, जबकि महाराजा दशरथ को रथ के द्वारा जनकपुर आने में 4 दिन का समय लगता है। महाभारत काल में हम देखते हैं कि महाभारत में मगध के बाद (उत्तर) मिथिला की स्थिति मानी गई है। श्रीकृष्ण, अर्जुन तथा भीम की मगध यात्रा का वर्णन करते हुए पहले सरयू नदी पार करके पूर्वी कौशल प्रदेश तथा फिर महाशोण, गंडकी तथा सदानीरा को पार करके मिथिला में जाने का उल्लेख हुआ है। पुनः गंगा तथा महाशोण को पार करके मगध में जाने की बात कही गई है। इसके साथ ही मिथिला, न्याय दर्शन के एक महत्वपूर्ण केंद्र के रूप में उभरा। पूरे देश भर से वहां न्याय दर्शन के अध्ययन के लिए छात्र आते थे। इसके अतिरिक्त अंग का साम्राज्य मिथिला के पूर्व में था और वहां से हस्तिनापुर जो वर्तमान मेरठ उत्तर प्रदेश में है, जुड़ा हुआ था और यह बिना यातायात साधनों के सम्भव नहीं है। यह सभी यात्राएं बिना सड़क और जलमार्ग के सम्भव नहीं है। भगवान बुद्ध की मिथिला यात्रा का भी वर्णन आता है जो रामपुरवा से प्रारम्भ हुई थी और पूरे मिथिला में उनके आगमन के प्रमाण मिलते हैं। मध्यकाल में भी यह क्षेत्र यातायात के मामले में बहुत उन्नत रहा है। काशी से कामाख्या को जोड़ने वाली सड़कें, इस क्षेत्र से गुजरती रही हैं। मध्यकाल के बाद आधुनिक काल में यदि हम बात करें विशेष कर ब्रिटिश काल के प्रारम्भ की तो हम देखते हैं कि पूरे क्षेत्र में सड़कें थी। अंग्रेजों ने नदियों के ऊपर नए पुल बनाने का प्रयास किया। जिसमें कई बार उन्होंने जहां पर पुराने पुल थे या जहां पहले से लोग नदियों को पार करते थे, उन्हीं जगहों पर पुल बनाने की कोशिश की। उन्होंने कई नए पुल भी बनाए, जिस कारण क्षेत्र में सड़क यातायात और बेहतर होता चला गया।
प्रारम्भिक सड़क निर्माण : ब्रिटिश शासन के दौरान मिथिला में सड़क नेटवर्क की नींव रखी गई। ब्रिटिश प्रशासन ने क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सुधारने के लिए कई प्रमुख मार्गों और सड़क परियोजनाओं की शुरुआत की। इस दौरान प्रमुख मार्गों का निर्माण किया गया, जो मिथिला को अन्य महत्वपूर्ण शहरों और क्षेत्रों से जोड़ते थे। उदाहरण के लिए दरभंगा और समस्तीपुर के बीच के मार्ग को सुधारने पर ध्यान केंद्रित किया गया। स्वतंत्रता के बाद सड़क नेटवर्क में कई सुधार किए गए। ग्रामीण क्षेत्रों को मुख्य सड़कों से जोड़ने के लिए नई सड़कें बनाई गईं और मौजूदा सड़कों का उन्नयन किया गया।
प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना : 2000 के दशक में शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में सड़क नेटवर्क का व्यापक विस्तार हुआ। मिथिला में प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग जैसे छक 27 और छक 57 और राज्य राजमार्गों का नेटवर्क क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करता है। इन मार्गों ने मिथिला को बिहार के अन्य हिस्सों और पड़ोसी राज्यों से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। प्रमुख शहरों जैसे दरभंगा, मधुबनी और जयनगर में सड़क नेटवर्क को आधुनिक बनाया गया है। इन सड़कों की गुणवत्ता में सुधार किया गया है और यातायात की सुविधा को बेहतर बनाया गया है। भविष्य में नई सड़क परियोजनाओं की योजना बनाई गई हैं, जो मिथिला को और अधिक क्षेत्रों से जोड़ेंगी। इसमें नई सड़कों का निर्माण और मौजूदा मार्गों का विस्तार शामिल है। नेपाल और अन्य पड़ोसी देशों से कनेक्टिविटी को बढ़ाने के लिए अंतरराष्ट्रीय सड़क लिंक की योजना बनाई जा सकती है। मिथिला में सड़क नेटवर्क क्षेत्रीय विकास, आर्थिक वृद्धि और सामाजिक समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। स्वतंत्रता के बाद से सड़क नेटवर्क में सुधार और विस्तार ने इस क्षेत्र को आधुनिक बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। भविष्य की परियोजनाओं और सुधारों से मिथिला की कनेक्टिविटी, सुविधाएं और विकास में और भी वृद्धि होगी।
मिथिला में रेलवे
ब्रिटिश काल में भारतीय रेलवे नेटवर्क की स्थापना के साथ ही मिथिला में रेलवे का विकास शुरू हुआ। दरभंगा, मधुबनी और अन्य प्रमुख शहरों में रेलवे लाइनें बिछाई गईं, जो स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने में सहायक थी। मिथिला में प्रमुख रेलवे लाइनों में दरभंगा, मधुबनी, जयनगर और समस्तीपुर शामिल हैं। ये लाइनें भारतीय रेलवे के महत्वपूर्ण मार्गों में शामिल हैं और क्षेत्रीय कनेक्टिविटी को सुनिश्चित करती हैं। प्रमुख रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण और सुधार किया गया है, जैसे दरभंगा जंक्शन और मधुबनी स्टेशन, जो यात्रियों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करते हैं। मिथिला में विभिन्न प्रकार की ट्रेन सेवाएं उपलब्ध हैं, जिनमें एक्सप्रेस, मेल और पैसेंजर ट्रेनें शामिल हैं। इन सेवाओं का समय पर संचालन और आधुनिकीकरण किया गया है।
भविष्य में नई रेलवे परियोजनाएं प्रस्तावित हैं, जो मिथिला को और अधिक क्षेत्रों से जोड़ेंगी। इनमें नई लाइनों का निर्माण और मौजूदा लाइनों का विस्तार शामिल है। इंटरसिटी और हाई-स्पीड ट्रेन सेवाओं की शुरुआत से मिथिला की कनेक्टिविटी में सुधार होगा और यात्रा की गति में वृद्धि होगी।
मिथिला में हवाई यातायात
मिथिला में हवाई यातायात की शुरुआत अपेक्षाकृत देर से हुई। स्वतंत्रता के बाद हवाई सेवाओं का विकास धीरे-धीरे हुआ, लेकिन शुरुआती वर्षों में इस क्षेत्र में हवाई सम्पर्क की सीमित सुविधाएं थीं। मिथिला में हवाई सेवाओं की शुरुआत दरभंगा और मधुबनी हवाई अड्डों के माध्यम से हुई। इन हवाई अड्डों ने सीमित हवाई सम्पर्क प्रदान किया, लेकिन इनकी सुविधाओं और कनेक्टिविटी में समय के साथ सुधार हुआ। दरभंगा हवाई अड्डा मिथिला का प्रमुख हवाई अड्डा है। 2020 में इस हवाई अड्डे का विस्तारीकरण और आधुनिकीकरण किया गया। वर्तमान में यह हवाई अड्डा प्रमुख भारतीय शहरों के साथ कनेक्टिविटी प्रदान करता है। मधुबनी हवाई अड्डा भी मिथिला क्षेत्र में हवाई सम्पर्क प्रदान करता है, हालांकि यह अधिक सीमित सुविधाओं के साथ है। वर्तमान में दरभंगा हवाई अड्डा, दिल्ली, पटना और अन्य प्रमुख शहरों के लिए नियमित उड़ानें प्रदान करता है, जिससे क्षेत्रीय कनेक्टिविटी में सुधार हुआ है। मिथिला में नए हवाई अड्डों के निर्माण की योजनाएं बन रही हैं। जिससे अधिक क्षेत्रों को हवाई सम्पर्क प्रदान किया जा सके। इससे क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी में सुधार होगा। मौजूदा हवाई अड्डों का और अधिक विस्तार और आधुनिकीकरण किया जाएगा, जिसमें रनवे विस्तार, टर्मिनल उन्नयन और अन्य सुविधाओं में सुधार शामिल है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से हरित हवाई अड्डे और इको-फ्रेंडली उपायों को अपनाया जाएगा। इसमें सौर ऊर्जा, रीसाइक्लिगं और ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा दिया जाएगा। स्मार्ट हवाई यातायात प्रबंधन प्रणाली और तकनीकी सुधारों के माध्यम से हवाई यातायात की दक्षता बढ़ाई जाएगी।
मिथिला में जल यातायात
जल यातायात, विशेषकर नदियों और जलमार्गों के माध्यम से इस क्षेत्र के परिवहन और कनेक्टिविटी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्राचीन मिथिला में जल यातायात का एक महत्वपूर्ण स्थान था। नदियां जैसे कि गंगा, कोसी और सप्तकोसी मिथिला की प्रमुख जलमार्ग थीं। इन नदियों का उपयोग व्यापार, परिवहन और सामाजिक गतिविधियों के लिए किया जाता था। छोटे और बड़े जलयान नदियों पर चलाए जाते थे, जो विभिन्न गांवों और कस्बों के बीच सामान और लोगों का परिवहन करते थे। ब्रिटिश काल के दौरान जलमार्गों का उपयोग व्यापार और माल परिवहन के लिए किया जाता था, लेकिन रेलवे और सड़क परिवहन के विकास के साथ जल यातायात की भूमिका में कमी आई।
मिथिला में गंगा और कोसी नदियां प्रमुख जलमार्गों के रूप में काम करती हैं। ये नदियां न केवल जल आपूर्ति बल्कि परिवहन के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। हाल के वर्षों में मिथिला में जल परिवहन को बढ़ावा देने के लिए कुछ प्रयास किए गए हैं, जैसे कि नदी के किनारे बोट सर्विस और छोटे जहाजों का संचालन। केंद्रीय और राज्य सरकार ने जलमार्ग परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया है, जो नदियों की सफाई और विकास से सम्बंधित हैं। इसमें नदी मार्गों का आधुनिकीकरण और नावों के लिए सुविधाओं का निर्माण शामिल है। कुछ प्रमुख नगरों में जैसे कि दरभंगा, जल परिवहन के लिए बुनियादी ढांचे में सुधार किया गया है, जिसमें डाक और परिवहन यंत्रणाओं का उन्नयन शामिल हैं। भविष्य में मिथिला के जलमार्गों के विस्तार और विकास की योजनाएं बनाई जा रही हैं। इसमें नदी तटीय क्षेत्रों को सुधारने, नए जलमार्ग स्थापित करने और नदियों के किनारे इंफ्रास्ट्रक्चर का निर्माण शामिल है।
बोट और जलयान : बोट और अन्य जलयानों के निर्माण और उन्नयन से जल यातायात को बढ़ावा मिलेगा। नए और आधुनिक जलयान के लिए सुविधाएं प्रदान की जाएंगी। नदी संरक्षण और पुनर्वास परियोजनाओं पर ध्यान दिया जाएगा, ताकि जलमार्गों की गुणवत्ता बनी रहे और पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सके। स्थानीय कनेक्टिविटी को बेहतर बनाने के लिए नदी के किनारे छोटी नाव सेवाओं और पर्यटक नावों के संचालन की सम्भावना है। यदि सम्भव हो तो नेपाल और अन्य पड़ोसी देशों के साथ जलमार्ग कनेक्टिविटी को बढ़ाने के प्रयास किए जा सकते हैं, जो व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा देंगे।
– धीप्रज्ञ द्विवेदी